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सबरीमाला मंदिर और सुप्रीम कोर्ट (फोटो कोलाज)
केरल के सबरीमाला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश को लेकर जारी विवाद पर सुप्रीम कोर्ट ने अहम टिपण्णी की है। महिलाओं के समर्थन में कोर्ट ने कहा है कि पुरुषों की तरह महिलाओं को भी मंदिर में प्रवेश और पूजा करने का अधिकार है।
सुनवाई के दौरान जस्टिस डीवाई चंद्रचूड ने कहा, 'संविधान में पूजा करने का अधिकार जितना पुरुषों को मिला है उतना ही महिलाओं को। मंदिर कोई व्यक्तिगत संपदा नहीं है। जो जगह सार्वजनिक है वहां किसी शख्स को जाने से नहीं रोक सकते हैं।'
वहीं चीफ जस्टिस ने मंदिर प्राधिकरण को संबोधित करते हुए कहा, 'आप किस आधार पर महिलाओं को पूजा करने से रोकते हैं। यह काम संवैधानिक जनादेश के खिलाफ है। अगर आपने इसे एक बार लोगों के लिए खोल दिया तो कोई भी जा सकता है।'
Sabarimala Temple entry issue: "On what basis you (temple authorities) deny the entry. It is against the Constitutional mandate. Once you open it for public, anybody can go," observes the Chief Justice of India
— ANI (@ANI) July 18, 2018
इस मामले की सुनवाई पांच सदस्यीय संवैधानिक पीठ कर रहा था। बता दें कि मंदिर में 10 साल से लेकर 50 साल तक के महिलाओं का प्रवेश वर्जित है।
क्या है मामला
केरल के पत्थनमथिट्टा जिले में पश्चिमी घाट की एक पहाड़ी पर सबरीमाला मंदिर है। महिलाओं के प्रवेश को लेकर इसके प्रबंधन का कहना है कि रजस्वला होने की वजह से 10 से 50 आयु वर्ग की महिलाएं अपनी व्यक्तिगत शुद्धता बनाये नहीं रख सकती हैं, यही कारण है कि इस वर्ग की महिलाओं का प्रवेश मंदिर में वर्जित है।
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सबरीमाला मंदिर हर साल नवम्बर से जनवरी तक श्रद्धालुओं के लिए खुलता है। मंदिर में प्रवेश को लेकर महिलाओं का कहना है कि उन्हें भी पूजा करने का अधिकार मिले।
सबरीमाला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश वर्जित को लेकर 'द इंडियन यंग लायर्स एसोसिएशन' ने चुनौती दी है। याचिका में केरल सरकार, द त्रावनकोर देवस्वम बोर्ड और मंदिर के मुख्य पुजारी सहित जिलाधिकारी को पार्टी बनाया गया है।
संवैधानिक पीठ में कौन कौन जस्टिस हैं शामिल
इस पीठ में चीफ जस्टिस के अलावे अन्य चार सदस्यों में न्यायमूर्ति आरएफ नरीमन, न्यायमूर्ति एएम खानविलकर , न्यायमूर्ति डीवाई चन्द्रचूड़ और न्यायमूर्ति इन्दु मल्होत्रा शामिल हैं।
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Source : News Nation Bureau