S-400 के एक वार से निकलेगी दुश्मन कि चीख, रूस ने बढ़ाई भारत की शक्ति
रूस ने एक बार फिर (s-400) मिशाइल देकर भारत की शक्ति बढ़ा दी है. रूस ने भारत को ऐसा 'ब्रह्मास्त्र दिया है. जो एक बार में 72 मिशाइल छोड़ सकता है. बताया जा रहा है कि भारत अपने पश्चिमी सेक्टर में इस एयर डिफेंस सिस्टम को सबसे पहले तैनात करेगा.
highlights
- रूस ने भारत को दिया 'ब्रह्मास्त्र' बढ़ा भारत का रुतबा
- भारत अपने पश्चिमी सेक्टर में इस एयर डिफेंस सिस्टम को सबसे पहले तैनात करेगा
- S-400 एक बार में एक साथ 72 मिसाइल छोड़ सकती है
नई दिल्ली :
स ने एक बार फिर (s-400) मिशाइल देकर भारत की शक्ति बढ़ा दी है. रूस ने भारत को ऐसा 'ब्रह्मास्त्र दिया है. जो एक बार में 72 मिशाइल छोड़ सकता है. बताया जा रहा है कि भारत अपने पश्चिमी सेक्टर में इस एयर डिफेंस सिस्टम को सबसे पहले तैनात करेगा. भारत से पहले यह डिफेंस सिस्टम तुर्की और चीन की सेना में शामिल हो चुका है. भारत और रूस ने साल 2018 में एस-400 की आपूर्ति का समझौता किया था. एस-400 एयर डिफेंस मिसाइल सिस्टम हथियार नहीं महाबली है. इसके सामने बड़े से बड़ा दुश्मन कांपने लगता है. चीन ने तो इसे लद्दाख में तनाव देखते हुए तिब्बत में भी तैनात कर रखा है. यह आसमान से घात लगाकर आते हमलावर को पलभर में राख में बदल देता है.
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S-400 एक बार में एक साथ 72 मिसाइल छोड़ सकती है. इसके सबसे खास बात ये है कि इस एयर डिफेंस सिस्टम को कहीं भी ले जाना बहुत आसान है. माइनस 50 डिग्री से लेकर माइनस 70 डिग्री तक तापमान में काम करने में सक्षम इस मिसाइल को नष्ट कर पाना दुश्मन के लिए बहुत मुश्किल है. इसकी कोई फिक्स पोजिशन नहीं होती इसलिए इसे आसानी से डिटेक्ट नहीं कर सकते हैं. जानकारी के मुताबिक एस-400 मिसाइल सिस्टम में चार तरह की मिसाइलें होती हैं जिनकी रेंज 40, 100, 200, और 400 किलोमीटर तक होती है. यह सिस्टम 100 से लेकर 40 हजार फीट तक उड़ने वाले हर टारगेट को पहचान कर नष्ट कर सकता है.
बता दें कि शीतयुद्ध के दौरान रूस और अमेरिका में हथियार बनाने की होड़ मची हुई थी. जब रूस अमेरिका जैसी मिसाइल नहीं बना सका तो उसने ऐसे सिस्टम पर काम करना शुरू किया जो इन मिसाइलों को टारगेट पर पहुंचने पर पहले ही खत्म कर दे. यही से आगे चलकर एस-200, एस-300, एस-400 और अब सबसे आधुनिक एस-500 जैसे डिफेंस सिस्टम का जन्म हुआ. इससे पहले अमेरिका ने कहा था कि अगर भारत इस सबसे आधुनिक रूसी डिफेंस सिस्टम की डिलिवरी लेता है तो उसे काट्सा प्रतिबंधों का सामना करना पड़ सकता है.
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