लड़कियों की शादी की उम्र को लेकर मोदी सरकार को RSS का बड़ा झटका, कही ऐसी बात
केंद्र सरकार देश में लड़कों के समान ही लड़कियों की शादी की उम्र 21 वर्ष निर्धारित करना चाहती है. संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान लड़कियों की शादी की उम्र लड़कों के समान ही 21 वर्ष करने वाला बिल संसद में पेश किया गया था.
highlights
- लड़कियों पर शादी की उम्र थोपना गलत
- विचार विमर्श के बाद फैसले पर दिया जोड़
- इस मुद्दे पर पूरी तरह बंटा हुआ है समाज
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केंद्र सरकार देश में लड़कों के समान ही लड़कियों की शादी की उम्र 21 वर्ष निर्धारित करना चाहती है. संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान लड़कियों की शादी की उम्र लड़कों के समान ही 21 वर्ष करने वाला बिल संसद में पेश किया गया था, जो फिलहाल विचार विमर्श के लिए संसदीय समिति के पास भेज दिया गया है. सरकार ने इस प्रस्तावित कानून को समाज में लड़कों और लड़कियों को समान अवसर प्रदान करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम बताया था. वहीं, इस बिल पर संघ ने आपत्ति दर्ज कराई है. RSS की शीर्ष निर्णायक समिति की वार्षिक बैठक से पहले सेविका समिति की प्रचार प्रमुख सुनीता सोहवानी ने रविवार को कहा कि लड़कियों को उपयुक्त शिक्षा हासिल करने के बाद ही विवाह करना चाहिए, लेकिन शादी की उम्र थोपने से सही परिणाम शायद नहीं मिल पाएंगे. गौरतलब है कि आरएसएस की प्रतिनिधि सभा की 3 दिवसीय बैठक 11 मार्च से शुरू होगी, जहां महिलाओं की शादी की उम्र 18 से बढ़ाकर 21 साल करने के प्रस्ताव समेत विभिन्न मुद्दों पर चर्चा होने की संभावना है.
दिसंबर में संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने महिलाओं की शादी की उम्र पुरुषों की तरह ही 18 से बढ़ाकर 21 वर्ष करने के प्रस्ताव संबंधी एक विधेयक पेश किया था. लेकिन, लोकसभा ने यह विधेयक बाद में व्यापक चर्चा के लिए संसद की स्थायी समिति के पास भेज दिया. इस बिल की ओर इशारा करते हुए सोनवानी ने कहा कि राष्ट्रीय सेविका समिति बाल विवाह की विरोधी है. उन्होंने कहा कि लड़कियों को उचित पालन-पोषण और शिक्षार्जन के बाद ही शादी करनी चाहिए, ताकि वे एक काबिल इंसान बनकर अपने पैरों पर खड़ी हो सके. वहीं, जब उनसे जब शादी की उम्र बढ़ाने वाली केंद्र सरकार के विधेयक के बारे में पूछा गया तो सोहवानी ने कहा कि हमने इस मुद्दे पर समाज की राय जुटाई है. हमारे पास जो आकड़े हैं उसके मुताहबिककुछ लोग इस के पक्ष में है, जदबकि ज्यादातर इसके विरोध में हैं.
कानून बनाने से पहले विचार-विमर्श जरूरी
सोहवानी ने बताया कि लड़कियों की शादी की उम्र 18 से बढ़ाकर 21 वर्ष करने के मामले में समाज के सभी वर्गों से विचार विमर्श करने के बाद ही नया कानून बनाना चाहिए. उन्होंने कहा कि हमने अपने कार्यकर्ताओं और समाज से जो आंकड़े जुटाए हैं. उसके मुताबिक लड़कियों की शादी की उम्र बढ़ाने के संबंध में दोनों प्रकार के विचार सामने आए हैं. उन्होंने बताया कि देखा गया है कि महिलाओं की शादी की उम्र जैसे सामाजिक मुद्दों पर कुछ थोपने से शायद वांछित परिणाम नहीं मिलेगा. इस साथ ही उन्होंने इस मुद्दे पर जन-जागरूकता और व्यापक विचार-विमर्श के बाद ही कानून बनाने की बात कही.
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