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सुवर्ण प्राशन से रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाएगा आरएसएस

सुवर्ण प्राशन से रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाएगा आरएसएस

Updated on: 27 Jul 2021, 11:45 AM

लखनऊ:

बच्चों की रोग प्रतिरोधी क्षमता बढ़ाने के लिए वैदिक काल में अपनाए जाने वाले सुवर्ण प्राशन को अब जन-जन तक पहुंचाने का राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) ने बीड़ा उठाया है। इसे भारतीय ज्ञान आयुर्वेद स्थापित करने की ²ष्टि से देखा जा रहा है। संघ के इस अभियान को विधानसभा चुनाव के पहले घर-घर तक अपनी पैठ गहरी करने की रणनीति भी बतायी जा रही है।

संघ कोरोना की तीसरी लहर की संभावना को देखते हुए बच्चों में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए अपने अनुषांगिक संगठन आरोग्य भारती को मोर्चे पर लगाया है। इसके तहत 1 से 16 साल के बच्चों को एक खास दवा एक खास नक्षत्र में दी जायेगी। इस अभियान को दो बूंद इम्युनिटी का नाम दिया गया है।

केजीएमयू के मुख्य चिकित्सा अधिकारी और आरोग्य भारती के महानगर अध्यक्ष प्रोफेसर एसएन शंखवार के बताया कि अभियान की सभी तैयारियां पूरी हो गयी हैं और इसे 7 अगस्त से आधिकारिक तौर पर शुरू किया जायेगा।

शंखवार ने बताया कि आयुर्वेद में सुवर्ण प्राशन का बहुत महžव बताया गया है और इसे एक खास नक्षत्र पुष्य नक्षत्र में देने से बच्चों में रोग प्रतिरोधक क्षमता बहुत तेजी से बढ़ती है। उनका कहना है कि पूर्वांचल में जो जिले जेई से प्रभावित थे वहां बच्चों को सुवर्ण प्राशन दिया गया था और उसका बहुत अच्छे नतीजे सामने आये थे।

संघ के एक अन्य पदाघिकारी ने बताया, यह दवा खास तौर से गुजरात से मंगवायी गयी है। दरअसल, सुवर्ण प्राशन दो शब्दों को जोड़ कर बनाया गया है स्वर्ण यानि सोना और प्राशन मतलब चटाना। उन्होंने बताया कि सुवर्ण प्रश्न में स्वर्ण भस्म के अलावा कई और तरह की आयुर्वेदिक दवाएं जैसे केशर, शंखपुष्पी, शारिबा, बलघृत, गुडुची, सरसव, शहद और गाय के घी का प्रयोग होता है। वैसे तो यह सुवर्ण प्राशन जन्म से 16 साल तक की आयु के बच्चों को हर पुष्य नक्षत्र में दिया जाता है, लेकिन इससे ज्यादा उम्र के बच्चों को भी दिया जा सकता है।

प्रोफेसर शंखवार ने बताया, यह अभियान 7 अगस्त से शुरू हो कर 4 जून 2022 तक चलाया जायेगा। इसमें नक्षत्र की अवधि के अनुसार समय और दिन तय किये गये हैं।

ज्ञात हो कि ज्योतिष में कुल 27 नक्षत्रों के बारे में बताया गया है जिसमें से कुछ नक्षत्र शुभ तो कुछ अशुभ माने गए हैं। 27 नक्षत्रों में पुष्य 8 वां नक्षत्र है। पुष्य नक्षत्र को बहुत ही शुभ माना जाता है। इसी नक्षत्र में भगवान श्रीराम का जन्म हुआ था। जब यह नक्षत्र सप्ताह के गुरुवार और रविवार के दिन पड़ता है तो इस दिन महायोग बनता है। गुरुवार के दिन पुष्य नक्षत्र पड़ने पर इसे गुरु-पुष्य योग और रविवार के दिन पड़ने पर रवि-पुष्य योग कहा जाता है। इन नक्षत्र के स्वामी बृहस्पतिदेव हैं।

ज्योतिष शास्त्र के सभी 27 नक्षत्रों में पुष्य नक्षत्र को सर्वश्रेष्ठ माना गया है, यद्यपि अभिजीत मुहूर्त को नारायण के चक्रसुदर्शन के समान शक्तिशाली बताया गया है फिर भी पुष्य नक्षत्र और इस दिन बनने वाले शुभ मुहूर्त का प्रभाव अन्य मुहूर्तो की तुलना में सर्वश्रेष्ठ माना गया है। यह नक्षत्र सभी अरिष्टों का नाशक बताया गया है।

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