पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी राष्ट्रिय स्वयंसेवक संघ के तृतीया वर्ष शिक्षा वर्ग के समापन समारोह में हिस्सा लेने पहुंचे। राष्ट्रपति ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के संस्थापक केशव बलिराम हेडगेवार को 'भारत माता का एक महान सपूत' बताया।
आरएसएस के मुख्यालय में गर्मजोशी से स्वागत के बाद, मुखर्जी को हेडगेवार स्मारक परिसर दिखाया गया। आरएसएस प्रमुख मोहन भगवत ने पहले लोगो को संबोधित किया।
आरएसएस प्रमुख ने पूर्व राष्ट्रपति को अपना समय देने के लिए उनका शुक्रिया अदा किया।
मोहन भागवत ने अपने भाषण के दौरान कहा, 'विचारों का आदान-प्रदान करने की भारत की पुरानी परम्परा है। सतत संवाद भारत की जीवन शैली है। संघ और प्रणव दा एक दूसरे की विचारों को स्पष्ट जानते हैं, फिर भी संघ ने निमंत्रण दिया और प्रणब दा ने स्वीकार किया। यही भारतीय परम्परा है।'
प्रणव मुख़र्जी के कार्यक्रम में शामिल होने को लेकर हो रही चर्चाओं पर मोहन भागवत ने कहा कि उन्हें यहां कैसे बुलाया इसकी चर्चा बेकार है।
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भागवत ने कहा, संघ केवल हिंदुओं के लिए नहीं पूरे देश के लिए काम करता है। संघ लोकतांत्रिक व्यवस्था में यकीन करती'
उन्होंने अपने भाषण के दौरान कहा, 'भारत में रहने वाला हर शख्स अपना है हुए इसमें कोई विवाद नहीं है। देश में कोई दुश्मन नहीं है सबकी भारत माता है। हम सभी को देश कि सेवा करनी होगी।
आगे उन्होंने कहा कि आरएसएस लोकतान्त्रिक विकहरों वाला संगठन है।
बता दें कि राष्ट्रपति बनने से पहले दशकों तक कांग्रेस पार्टी में रहे मुखर्जी गुरुवार को नागपुर में आरएसएस के एक कार्यक्रम में शामिल होने आए हैं। वह यहां तीन वर्ष के प्रशिक्षण कार्यक्रम 'तृतीय वर्ष वर्ग' के समापन समारोह में आरएसएस कार्यकर्ताओं को संबोधित करेंगे।
उनके इस दौरे की उनकी पार्टी के कई नेताओं समेत कई अन्य लोगों ने आलोचना की है।
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Source : News Nation Bureau