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सच को ज्यादा दिनों तक छिपाया नहीं जा सकता, ज्ञानवापी पर बोला RSS

उत्तर प्रदेश के वाराणसी में ज्ञानवापी में कथित रूप से शिवलिंग मिलने को लेकर जारी बहस पर प्रतिक्रिया देते हुए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने कहा है कि तथ्यों को सामने आने देना चाहिए, क्योंकि तत्वों को अधिक समय तक छिपाया नहीं जा सकता है. किसी भी स्थिति में सच्चाई सामने ही आएगी. आप कितने समय तक सच को छिपाएं. उन्होंने आगे कहा कि मेरा मानना है कि ऐतिहासिक तथ्यों को सही परिप्रेक्ष्य में समाज के सामने आना ही चाहिए.

Updated on: 19 May 2022, 10:43 AM

highlights

  • अयोध्या फैसले के बाद संघ प्रमुख ने कहा था अब मानव विकास है लक्ष्य
  • संघ के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख सुनील आंबेकर का बयान आया सामने
  • ज्ञानवापी पर ये बयान संघ के रुख में आए बदलाव को दर्शाता है

नई दिल्ली:

उत्तर प्रदेश के वाराणसी में ज्ञानवापी में कथित रूप से शिवलिंग मिलने को लेकर जारी बहस पर प्रतिक्रिया देते हुए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने बुधवार को कहा है कि तथ्यों को सामने आने देना चाहिए, क्योंकि तथ्यों को अधिक समय तक छिपाया नहीं जा सकता है. किसी भी स्थिति में सच्चाई सामने ही आएगी. आप कितने समय तक सच को छिपाएंगे. ये बातें आरएसएस के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख सुनील आंबेकर ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के संवाद प्रकोष्ठ इंद्रप्रस्थ विश्व संवाद केंद्र द्वारा बुधवार को नई दिल्ली में आयोजित 12वें देवऋषि नारद पत्रकार सम्मान समारोह को संबोधित करते कही. उन्होंने आगे कहा कि मेरा मानना है कि ऐतिहासिक तथ्यों को सही परिप्रेक्ष्य में समाज के सामने आना ही चाहिए. 

संघ के बदले रुख का प्रतिबिंब है यह बयान
सुनील आंबेकर के इस बयान को काशी विश्वनाथ मंदिर और ज्ञानवापी मसले को लेकर काफी महत्वपूर्ण बयान कहा जा सकता है, क्योंकि अयोध्या विवाद को लेकर जब नवंबर 2019 में सुप्रीम कोर्ट का फैसला आया था, उस समय मथुरा और काशी को लेकर पूछे गए एक सवाल का जवाब देते हुए संघ प्रमुख मोहन भागवत ने कहा था कि संघ ऐतिहासिक कारणों की वजह से राम जन्मभूमि आंदोलन से जुड़ा था और यह अपवाद के तौर पर ही था. उस समय भागवत ने कहा था कि संघ अब मानव विकास को लेकर काम करेगा.

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केंद्रीय मंत्री संजीव बालियान बोले, मामले के खुलासे भर आई मेरी आंखें
इसी कार्यक्रम को संबोधित करते हुए केंद्रीय मंत्री संजीव बालियान ने भी ज्ञानवापी मसले पर अपनी राय रखी. अपनी भावना को जाहिर करते हुए बालियान ने कहा कि जब यह सारा घटनाक्रम (ज्ञानवापी) चल रहा था, तब वह वाराणसी में ही थे. जब उन्हें मस्जिद में शिवलिंग पाए जाने की जानकारी मिली, तब वो भावुक हो गए. उन्होंने कहा कि यह पता लगने पर कि नंदी कई सदियों से भगवान शंकर का इंतजार कर रहे थे, तब उनकी आंखें भर गई थीं.