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आरएसएस प्रचार प्रमुख ने किया नूपुर का बचाव, कहा उकसावे से नहीं हुई यह तालिबानी घटना

आरएसएस के सूत्रों के अनुसार, प्रचार प्रमुख सुनील आंबेकर ने उदयपुर की घटना (Udaipur Murder Case) की ओर इशारा करते हुए कहा कि  उदयपुर में हुआ हत्याकांड एक तालिबानी घटना (Talibani Incident) है

Updated on: 02 Jul 2022, 02:34 PM

highlights

  • आरएसएस प्रचार प्रमुख सुनील आंबेकर ने किया नूपुर शर्मा का बचाव
  • उदयपुर में हुए हत्याकांड को बताया एक तालिबानी घटना
  • इतिहास के पन्ने पलटकर नई पीढ़ी को करना होगा जागरुक: आंबेकर

नई दिल्ली:

शुक्रवार को जहां सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने निलंबित भाजपा प्रवक्ता (BJP Spokesperson) नूपुर शर्मा (Nupur Sharma) को पैगंबर मोहम्मद पर की गई आपत्तिजनक टिप्पणी (Controversial Statement) के लिए फटकार लगाई, तो वहीं दूसरी तरफ आरएसएस (RSS) के प्रचार प्रमुख (Publicity Chief) ने इस मुद्दे पर अलग ही रुख अपनाया. कोर्ट ने जहां एक ओर कहा कि नूपुर देश में जो कुछ हो रहा है उसके लिए जिम्मेदार है, वहीं आरएसएस प्रचार प्रमुख ने कहा कि ये घटनाएं नूपुर के बयान की प्रतिक्रिया की वजह से नहीं बल्कि एक खास मानसिकता और मान्यता के कारण हुई हैं. उन्होंने देश के इतिहास में आरएसएस और कई स्वतंत्रता सेनानियों (Freedom Fighters) के योगदान को दबाने के प्रयासों को लेकर भी कई 
बातें कही.

उदयपुर हत्याकांड एक तालिबानी घटना
आरएसएस के सूत्रों के अनुसार, प्रचार प्रमुख सुनील आंबेकर ने उदयपुर की घटना (Udaipur Murder Case) की ओर इशारा करते हुए कहा कि उदयपुर में हुआ हत्याकांड एक तालिबानी घटना (Talibani Incident) है. सुनील आंबेकर ने कहा कि यह तालिबानी घटना किसी तरह की प्रतिक्रिया नहीं है. यह पूरी दुनिया में बिना किसी उकसावे के हो रहा है. दुनिया में कहीं हमास, इस्लामिक स्टेट, तालिबान हैं.... हमारे देश में, सिमी और पीएफआई हैं. यह किसी उकसावे का परिणाम नहीं है. जो ऐसा मानता है उसे और पढ़ने की जरूरत है. इस तालिबानी घटना के पीछे की मानसिकता और मान्यता को समझना बहुत महत्वपूर्ण है.

तालिबान को समझना बेहद जरूरी
आरएसएस के प्रचार प्रमुख सुनील आंबेकर ने तालिबान को समझने की महत्ता पर भी जोर दिया क्योंकि यह हमारे पड़ोस का ही घटनाक्रम है. उन्होंने कहा कि एक देश जिसने धार्मिक रूढिवाद के नाम पर बंटवारा झेला हो, वह इसे नजरअंदाज नहीं कर सकता. यह पता लगाना बेहद महत्वपूर्ण है कि क्या वहां के कोई तार भारत से भी जुड़े हैं या ऐसे कोई तत्व देश में आ रहे हैं? क्या हमारे देश में हो रही कुछ घटनाओं का वहां से कोई संबंध है? क्या राजनैतिक और अपने स्वार्थ की वजह से ऐसी रूढिवादी विचारधारा को सहारा देने वाले लोगों का उनसे कोई संबंध है? इसका क्या कारण है? इसका पता लगाया जाना चाहिए. सुनील आंबेकर ने ये बातें 'द तालिबान: वॉर एंड रिलिजन इन अफगानिस्तान' और 'द फॉरगॉटन हिस्ट्री ऑफ इंडिया' किताबों के विमोचन कार्यक्रम में कही.

आरएसएस के योगदान को दबाया गया
आरएसएस के प्रचार प्रमुख सुनील आंबेकर ने इसी कार्यक्रम में आरोप लगाया कि देश की आजादी के बाद आरएसएस के योगदान को पूरी तरह से दबा दिया गया. 12 जुलाई 1922 को डॉ हेडगेवार को एक साल बाद जेल से छोड़ा गया था. उनके स्वागत में नागपुर में एक कार्यक्रम रखा गया था. उस समय मोतीलाल नेहरू और सी राजगोपालाचारी कार्यक्रम में आए और भाषण भी दिए. देश को इस जानकारी से भी अवगत कराया जाना चाहिए,

नई पीढ़ी को करना होगा जागरुक
आंबेकर ने नई पीढ़ी को इतिहास के बारे जागरुक करने पर जोर दिया. उन्होंने कहा कि लोगों को सावरकर, सुभाषचंद्र बोस, आदिवासी नेता बिरसा मुंडा, मणिपुर का राजा जिसे अंडमान और निकोबार में जेल हुई थी, के बारे में पता होना चाहिए. उन्होंने कहा कि केवल तभी लोगों को पता चलेगा कि भारत 1947 से पहले भी एक था और वो अंग्रेज नहीं थे जिन्होंने हमें एक राष्ट्र के रूप में संगठित किया. इसलिए इतिहास के पन्नों को पलटकर देखना बेहद महत्वपूर्ण है. धर्मनिरपेक्षता को संविधान में कैसे लाया गया? नई पीढ़ी को इससे अवगत कराना होगा.

आरएसएस प्रचार प्रमुख ने यह भी कहा कि नई पीढ़ी को पता होना चाहिए कि देश का विभाजन क्यों हुआ. कुछ लोग चाहते हैं कि इस पर चर्चा न हो. इस बात को सुनिश्चित करना बेहद जरूरी है कि हमारे देश पर दोबारा हमला न हो या ऐसी शक्तियां जड़ें न जमाएं जो अलगाव और आतंकवाद की बात करती हैं.