जेहादियों से रोहिंग्या के संबंध, देश की सुरक्षा के लिए ख़तरा: मोहन भागवत
मोहन भागवत ने आरएसएस संगठन के बारे में स्पष्टीकरण देते हुए कहा कि आरएसएस राजनीतिक नहीं सांस्कृतिक संगठन है।
highlights
- आरएसएस प्रमुख मोहन भगवात ने कहा संघ राजनीतिक नहीं सांस्कृतिक संगठन
- भागवत ने कहा कि रोहिंग्या मुसलमानों को देश में शरण देना सुरक्षा के लिए खतरा
नई दिल्ली:
आरएसएस (राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ) प्रमुख मोहन भागवत ने दशहरे के मौके पर नागपुर में आयोजित शस्त्र पूजन पर देशवासियों को आरएसएस संगठन के बारे में स्पष्टीकरण देते हुए कहा कि संघ 'राजनीतिक' नहीं 'सांस्कृतिक' संगठन है।
विपक्षी दल केंद्र सरकार पर बार बार यह कहकर निशाना साधती रही है कि वह संघ के इशारों पर काम करती है।
इस मौके पर भागवत ने मोदी सरकार की नीतियों की जमकर तारीफ करते हुए कई मुद्दों पर सरकार के रुख का समर्थन किया।
रोहिंग्या मुद्दे पर पूरे देश में चल रहे विवाद पर भागवत ने कहा, 'अगर हमने इन लोगों को यहां रहने दिया तो वह न केवल हमारे रोज़गार को प्रभावित करेंगे बल्कि देश की सुरक्षा भी प्रभावित होगी। मानवता के नाम पर हम अपनी मानवता नहीं खो सकते।'
आगे उन्होंने रोहिंग्या के आने पर सवाल खड़े करते हुए कहा, 'वह यहां क्यों आए हैं? वहां क्यों नहीं रह सके? क्योंकि उनके संबंध जेहादी ताक़तों के साथ उजागर हो गए हैं। इसलिए उनके देश के शासन का रवैया भी उनके लिए कड़ा है।'
Jihadi taaktaon se unke samabandh wahan pe ujagar ho gaye. Isliye us desh ka shaasan ka bhi unke prati rawaiyya kada hi hai: Mohan Bhagwat
— ANI (@ANI) September 30, 2017
उन्होंने कहा कि जब उनके बारे में सारी जानकारी ली जाती है तो पता चलता है कि उनकी अलगाववादी, हिंसक और अपराधिक गतिविधियों में भूमिका रही है। भागवत ने कहा, 'अभी हम बांगलादेश अतिक्रमण का मुद्दा पूरी तरह से सुलझा भी नहीं पाए थे कि म्यानमार का मुद्दा हम पर थोप दिया गया।'
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भागवत ने मोदी सरकार की तारीफ़ करते हुए कहा कि हम 70 साल से स्वतंत्र हैं फिर भी पहली बार अहसास हो रहा है कि भारत की प्रतिष्ठा बढ़ी है।
भारत और चीन के बीच काफी समय से चल रहे डोकलाम विवाद पर बोलते हुए कहा, 'देखिए कैसे हमने डोकलाम के मुद्दे पर बिना अपने आत्मसम्मान से समझौता किए देश को बचाया।'
वहीं पाकिस्तान पर बोलते हुए भागवत ने कहा, 'पाकिस्तान बार बार ख़ुराफ़ातें करता है, जिसकी वजह से सीमा पर रह रहे हमारे भाईयों को बार बार बेदख़ल होना पड़ता है। उनका खेती करना और तमाम चीजें दूभर हो जाती हैं। वहां आज भी जैसी स्वास्थ्य सुविधाएं होनी चाहिए, वैसी पहुंची नहीं है। राज्य प्रशासन को इसकी कोशिश करनी चाहिए।'
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भागवत ने कहा, 'कश्मीर की बात करें तो 2-3 महीने पहले लग रहा था कि वहां क्या होगा। लेकिन जिस तरह वहां आतंकियों का बंदोबस्त हुआ, सेना को पूरी ताकत दे दी गई और आतंकियों की शक्तिधारा को बंद कर दिया गया। हमारा कोई शत्रु नहीं लेकिन अपने से शत्रुता रखने वालों को जवाब दिया है।'
उन्होंने कहा, 'बीते कई सालों में जम्मू, कश्मीर घाटी और लद्दाख में विकास हुआ ही नहीं। उनके साथ सौतेला व्यवहार किया गया। कुछ तो भारत स्वतंत्र के बाद दो देश बने- भारत-पाकिस्तान। भारत में सब प्रकार के लोग आए।'
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