पुष्कर में शनिवार से शुरू होने वाले राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के तीन दिवसीय सम्मेलन में कश्मीर चर्चा के केंद्र में होगा. साथ ही सूत्रों का कहना है कि इसमें राष्ट्रव्यापी नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) का मुद्दा भी उठ जा सकता है. सूत्रों का कहना है कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ कश्मीर को विशेष अधिकार देने वाले संविधान के विवादास्पद अनुच्छेद-370 को हटाने पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को धन्यवाद देने संबंधित एक प्रस्ताव भी पारित कर सकता है. आरएसएस उक्त अनुच्छेद को हटाने के लिए लंबे समय से मांग करता रहा है.
असम में नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजन्स (एनआरसी) की अंतिम सूची हाल ही में जारी हुई है, जिसमें काफी बांग्लाभाषी हिंदू आबादी सूची से बाहर हो गई है.
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इसके बाद असम के राज्य मंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने कहा था कि हिंदुओं की देखभाल करना भारत की जिम्मेदारी है। उनका इशारा नागरिकता विधेयक की तरफ माना गया था. आरएसएस असम में एनआरसी सूची से बाहर हुई हिंदू आबादी की सुरक्षा की मांग कर सकता है.
दिल्ली में आरएसएस के एक सूत्र ने बताया कि भविष्य में संघ की ओर से राष्ट्रव्यापी एनआरसी की मांग करने की काफी संभावना है.
इस सम्मेलन में संघ के सहयोगी संगठन स्वदेशी जागरण मंच, लघु उद्योग भारती, भारतीय मजदूर संघ और भारतीय किसान संघ भी हिस्सा लेंगे.
संघ का एक मुख्य लक्ष्य राष्ट्रभर में अपने विस्तार की योजना बनाना है. बंगाल में कुछ दिनों पहले एक बंद दरवाजे की बैठक में आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने संगठन के विस्तार के मुद्दे पर जोर दिया था.
स्वदेशी जागरण मंच भारत में वॉलमार्ट की बढ़ती मौजूदगी का मुद्दा उठा सकता है. वहीं भारतीय किसान संघ द्वारा हाल ही में राजस्थान में पेप्सिको जैसी बहुराष्ट्रीय कंपनियों द्वारा किसान उत्पीड़न का मुद्दे उठाने की संभावना है. अर्थव्यवस्था की सुस्ती का मुद्दा भी उठ सकता है.
सितंबर 2017 में इस तरह की एक बैठक में मोदी सरकार की कुछ नीतियों की आलोचना की गई थी.
इस सम्मेलन को अखिल भारतीय समन्वय बैठक के नाम से जाना जाता है. यह सात सितंबर से शुरू होकर नौ सितंबर तक चलेगा.
इसमें राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख भागवत के अलावा, आरएसएस के सहकार्यवाह (महासचिव) सुरेश भैयाजी जोशी और संयुक्त महासचिव कृष्ण गोपाल व दत्तात्रेय होसाबले सहित अन्य लोग शामिल होंगे.