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RSS के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले महंगाई पर बोले- आवश्यक वस्तुएं कम कीमतों पर मिलें

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले ने शनिवार को बढ़ती महंगाई पर चिंता व्यक्त की. उन्होंने कहा कि महंगाई और खाद्य पदार्थों की कीमतों के बीच संबंधों पर गंभीर चिंतन की आवश्यकता है.

Updated on: 24 Jul 2022, 09:56 AM

highlights

  • अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में होसबाले ने शिरकत की 
  • कहा, लोग भोजन,वस्त्र और आवास वहनीय कीमतों पर चाहते हैं
  • किसानों को मजबूत करने की है आवश्यकता 

नई दिल्ली:

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले (RSS general secretary Dattatreya Hosabale)  ने शनिवार को बढ़ती महंगाई पर चिंता व्यक्त की. उन्होंने कहा कि महंगाई और खाद्य पदार्थों की कीमतों के बीच संबंधों पर गंभीर चिंतन की आवश्यकता है. उन्होंने जोर देकर कहा कि लोग भोजन,वस्त्र और आवास वहनीय कीमतों पर चाहते हैं. ये आम आदमी की मूलभूत जरूरतें हैं. होसबाले ने भारत को कृषि में स्वावलंबी बनाने के लिए अब तक की सभी सरकारों को श्रेय दिया है. उन्होंने कहा कि आवश्यक वस्तुएं सभी को वहनीय कीमतों पर मिलनी चाहिए. इसका भार किसानों पर नहीं डाला जाना चाहिए. आरएसएस से संबंद्ध भारतीय किसान संघ, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद  और भारतीय कृषि आर्थिक अनुसंधान केंद्र द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित एक अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में होसबाले ने शिरकत की थी. होसबाले ने कहा, ‘महंगाई और खाद्य पदार्थों की कीमतों के बीच संबंध पर गंभीरता पूर्वक विचार करने की आवश्यकता है.’

होसाबले ने ये सुझाव दिया कि लोग औद्योगिक उत्पादों के लिए अधिक भुगतान  के लिए तैयार हैं, लेकिन खाद्य पदार्थों को लेकर नहीं… साथ ही कहा कि सहकारी समितियां इस संबंध में बड़ी भूमिका निभा सकती हैं. कृषि क्षेत्र में विकास के बारे में करते हुए, होसबाले ने कहा, ‘बीते 75 वर्षों में, कृषि में विकास हम सभी के लिए गर्व की बात है.’

उन्होंने आगे कहा, ‘भारत न केवल अनाज के मामले में आत्मनिर्भर हो गया है, बल्कि दूसरे देशों को भी भेज सकता है और इसका श्रेय आज तक की सभी सरकारों, वैज्ञानिकों और किसानों को जाता है.’  किसानों को और मजबूत करने की आवश्यकता है. होसबाले ने कहा कि कृषि को आकर्षक बनाने के लिए एक बड़े आंदोलन की आवश्यकता है. इससे गांवों से शहरों की ओर तेजी से पलायन को रोकने में सहायता मिलेगी. उन्होंने कहा, ‘किसानों के पास को कोई गारंटी वाली आय नहीं है. उनकी आजीविका बारिश जैसे कई बाहरी कारकों पर निर्भर रहती है. बढ़ती लागत लागत जैसी चुनौतियां हैं.’