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विजयदशमी पर मोहन भागवत बोले- भारत के जवाब से सहमा चीन

भारत की प्रतिक्रिया से चीन को धक्का मिला. जिसके चलते दुनिया के बाकी देश उसके सामने खड़े हुए है. चीन से सतर्क रहना होगा. मोहन भागवत ने कहा कि हमें पड़ोसी देशों के सामने चाइना के मुकाबले बड़ा होगा पड़ेगा.

Updated on: 25 Oct 2020, 09:45 AM

नागपुर:

दशहरे के मौके पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत ने कोरोना संकट से निपटने में मोदी सरकार की तारीफ की है. साथ ही कहा दुनिया के मुकाबले भारत में इस बीमारी से भारत में कम नुकसान हुआ है. मोहन भागवत ने कहा कि कोरोना संकट में पुरानी परंपरा को याद दिलया. पहले हम घर में हाथ, पैर धोकर घर में जाते है. किसी सामान को छूने ने पहले हाथ धोते है. उन्होंने कहा कि कोरोना संकट गया नहीं है. चरण बदल गया है. कोरोना की वजह से रोजगार छोड़कर गए लोग, अब वापस आने लगे हैं. सब वापस नहीं आए है. साथ ही उन्होंने कहा कि रोजगार देना, रोजगार का प्रशिक्षण देता हो. गांव  में रोजगार देना होगा. 

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नागपुर में मोहन भागवत ने कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा कि शिक्षकों के सामाने घर चलाने की समस्यां है. शिक्षकों को स्कूल कहां से पैसा दे यह उनके सामने समस्या है. उनके पास पैसे नहीं है. अभिभाव के पास पैसा नहीं है. स्कूल को निर्वहन करना ये सेवा का भाव है. वहीं, जबतक ये तनाव है. परिवार में निराशा आती है. अपराध बढ़ते है. आत्महत्या की घटनाएं सामने आती है. इस को ध्यान में रखना पड़ेगा. लंबे समय तक संकट का सामना करना होगा.

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मोहन भागवत ने कहा कोरोना वायरस चीन से फैला ये अभी संदिग्ध है, लेकिन चीन ने कोरोना संकट में जो हमारे साथ किया है. साथ ही सीमा पर कर रहा है. यह पूरी दुनिया के सामने है. वह कई देशों के साथ इस तरह से कर रहा है. भारत की प्रतिक्रिया से चीन को धक्का मिला. जिसके चलते दुनिया के बाकी देश उसके सामने खड़े हुए है. चीन से सतर्क रहना होगा. मोहन भागवत ने कहा कि हमें पड़ोसी देशों के सामने चाइना के मुकाबले बड़ा होगा पड़ेगा. पड़ोसी देश से हमारे प्रकृति स्वभाव है, इनको साथ जोड़ लेना चाहिए. इनसे मनमुटाव नहीं होना चाहिए. हमारा स्वाभव किसी से लड़ने वाला नहीं है. हमारी दोस्ती को कमजोरी समझकर हमें झुकाने की सोचने वाले को आज समझ में आ गया होगा. चीन से किसी मामले में हम कम नहीं पड़ेंगे. 

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भागवत ने कहा कि आज पूरे देश में राष्ट्रवाद की हवा चल रही है. देश की सुरक्षा की दृष्टि से अंदर की सुरक्षा भी जरूरी है. हमारा देश लोकतंत्र है कई राजनीतिक दल है. सबके विचार में विरोध है. सत्ता पाने के लिए एक दूसरे पर आरोप लगाते है. साथ ही उन्होंने कहा कि चुनाव आपस में युद्ध नही हैं. वहीं, अपनों के विरोध को लेकर दूसरे देश हमारे देश के खिलाफ चाल नहीं चल पाए ऐसा होना चाहिए.