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Rooh Afza: हमदर्द का बयान, 1 हफ्ते में सप्लाई में कमी की भरपाई कर लेंगे

Rooh Afza: हमदर्द लैब्स के चीफ सेल्स एवं मार्केटिंग ऑफिसर मंसूर अली के मुताबिक 1 हफ्ते के अंदर सप्लाई की कमी को पूरा कर लिया जाएगा. गर्मी में 25 फीसदी बिक्री बढ़ जाती है.

Updated on: 09 May 2019, 12:13 PM

highlights

  • 1 हफ्ते में सप्लाई में कमी की भरपाई कर लेंगे: हमदर्द
  • पाकिस्तान ने  भारत में Rooh Afza की सप्लाई की पेशकश की
  • गर्मियों में 25 फीसदी बढ़ जाती है रूह अफजा की बिक्री 

नई दिल्ली:

रमजान चल रहा है और बाजार से रूह अफजा गायब है. रूह अफजा की किल्लत ने त्यौहार का मूड बिगाड़ दिया है. जानकारों के मुताबिक रमजान के दौरान दिनभर रोजा रखने वाले मुस्लिम शाम को इफ्तार में रूह अफजा (Rooh Afza) का सेवन करते हैं. सोशल मीडिया पर रूह अफजा की किल्लत को लेकर तरह-तरह की चर्चाएं चल रही हैं. कंपनी के एक अधिकारी के मुताबिक 1 हफ्ते के अंदर रूह अफजा की किल्लत को दूर कर लिया जाएगा.

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1 हफ्ते में पूरी सप्लाई शुरू होने की संभावना
कंपनी के चीफ सेल्स एवं मार्केटिंग ऑफिसर मंसूर अली के मुताबिक शरबत में उपयोग आने वाले कुछ हर्बल तत्व की कमी के कारण उत्पादन रुक गया था जिसकी वजह से सप्लाई में कमी आई है. उनका कहना है कि मार्केट में सप्लाई की कमी को 1 हफ्ते के अंदर पूरा कर दिया जाएगा. वहीं सूत्रों के मुताबिक कच्चे माल की कमी होने की वजह से नवंबर, 2018 में उत्पादन बंद हो गया था. कंपनी ने 15 अप्रैल के आस-पास फिर से उत्पादन शुरू कर दिया है.

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गर्मियों में बढ़ जाती है 25 फीसदी बिक्री
मंसूर अली के मुताबिक गर्मियों में रूह अफजा की बिक्री में 25 फीसदी की बढ़ोतरी देखने को मिलती है. उनका कहना है कि मौजूदा समय में रूह अफजा ब्रांड की वैल्यू 400 करोड़ रुपये है. हमदर्द कंपनी साफी, सिंकारा, मस्तुरिन और जोशीना का प्रोडक्शन भी करती है.

पारिवारिक विवाद की चर्चाएं
मार्केट में चर्चा है कि हमदर्द फाउंडर हकीम हाफिज अब्दुल मजीद के पोते अब्दुल मजीद और उनके चचेरे भाई हामिद अहमद के बीच कंपनी पर नियंत्रण को लेकर विवाद है. हालांकि हमदर्द लैब्स ने कहा है कि कुछ हर्बल तत्व की सप्लाई में कमी की वजह से उत्पादन कम हो गया था, जिसकी वजह से मार्केट में सप्लाई नहीं हो पाई है.

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1906 में शुरू हुआ था रूह अफजा
साल 1906 में हकीम हाफिज और अब्दुल माजिद ने रूह-अफजा का उत्पादन शुरू किया था. मौजूदा समय में इसकी बागडोर उनके पोतों के हाथ में है. भारत के अलावा पाकिस्तान और बांग्लादेश में भी रूह अफजा लोग पसंद करते हैं.

रूह अफजा का क्या पाकिस्तान कनेक्शन
1906 में यूनानी चिकित्सक हाफिज अब्दुल मजीद ने पुरानी दिल्ली में 'हमदर्द' नाम का दवाखाना खोला. बाद में यूनानी पद्धति से बनाए गए शरबत की खोज की जिसका नाम रूह अफजा रखा गया. 1947 में बंटवारे के समय अब्दुल हमीद के मरने के बाद उनके छोटे बेटे पाकिस्तान चले गए कराची से हमदर्द की शुरूआत की. भारतीय हमदर्द की तर्ज पर ये कंपनी रूह अफजा और रूह अफजा गो जैसे पेय उत्पाद बनाने लगी.

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पाकिस्तान ने मदद की पेशकश की
पाकिस्तानी कंपनी हमदर्द (Hamdard Pakistan) ने भारत में रूह अफजा (Rooh Afza) की सप्लाई की पेशकश की है. हमदर्द पाकिस्तान (Hamdard Pakistan) के मुख्य कार्यकारी उस्मा कुरैशी (Usma Qureshi) ने रूह अफजा पेय की भारत को वाघा सीमा के जरिए सप्लाई का प्रस्ताव दिया है.