logo-image

रोहतांग सुरंग की नई लंबाई 9.02 किलोमीटर तक पहुंची

भारत (India) के सबसे चुनौतीपूर्ण निर्माण में से एक हिमालय का रोहतांग दर्रा (Rohtang) राजमार्ग सुरंग बढ़ी हुई लंबाई के साथ नई सामरिक ऊंचाइयों को अंजाम देने जा रहा है.

Updated on: 24 Aug 2020, 11:16 AM

मनाली:

भारत (India) के सबसे चुनौतीपूर्ण निर्माण में से एक हिमालय का रोहतांग दर्रा (Rohtang) राजमार्ग सुरंग बढ़ी हुई लंबाई के साथ नई सामरिक ऊंचाइयों को अंजाम देने जा रहा है. परियोजना के इंजीनियरों ने यह बात कही. 8.8 किलोमीटर लंबी घोड़े की नाल के आकार की सिंगल-ट्यूबवाली दो लेन की सुरंग जो दुनिया की सबसे लंबी मोटरेबल सुरंग है, समुद्र तल से 3,000 मीटर की ऊंचाई पर है. यह पंजाल रेंज में 3,978 मीटर लंबे रोहतांग दर्रे के तहत आने के साथ और बढ़ी लंबाई के साथ नई सामरिक ऊंचाइयों को प्राप्त करेगी.

पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के सपने को पूरा करने के मद्देनजर बॉर्डर रोड ऑर्गनाइजेशन (बीआरओ) 4,000 करोड़ रुपये की लागत वाली सुरंग परियोजना परसंयुक्त रूप से एफकॉन्स के साथ काम कर रही है और मरणोपरांत उनके (वाजपेयी) नाम पर इसका नाम रखा है. सुरंग का उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा सितंबर के अंत तक किए जाने की संभावना है.

बीआरओ के महानिदेशक लेफ्टिनेंट जनरल हरपाल सिंह ने डीडी न्यूज को बताया, 'सुरंग को पूरा करने की हमारी निर्धारित तिथि 31 अगस्त है. हम निर्धारित समय सीमा पर इसे पूरा करने को लेकर निश्चित हैं. इसके सभी प्रमुख कार्य इस तिथि तक पूरे हो जाएंगे.' उन्होंने शनिवार को चल रहे निर्माण कार्यों की समीक्षा की. इस महीने सुरंग की यह उनकी दूसरी यात्रा थी.

निर्माण में शामिल अधिकारियों ने आईएएनएस को बताया कि 31 अगस्त तक सभी प्रमुख कार्यों को पूरा करने की समय सीमा को पूरा करने के बाद भी, दोनों ओर एक-एक मीटर फुटपाथ वाली 10.50 मीटर की चौड़ाई वाली कैरीज्वे के साथ सुरंग को मोटरेबल बनाने के लिए कम से कम तीन महीने का समय चाहिए.

इसके अलावा, सुरंग के अंदर प्रत्येक 250 मीटर पर सीसीटीवी लगाना और मोटर चालकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सुरंग के नॉर्थ पोर्टल पर एक महत्वपूर्ण हिमस्खलन रोधी यांत्रिक संरचना का निर्माण पूरा होना बाकी है. उन्होंने कहा कि पूरे काम में दो-तीन महीने लगेंगे. सुरंग की आधारशिला संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) की अध्यक्ष सोनिया गांधी ने 28 जून, 2010 को चंडीगढ़ से लगभग 300 किलोमीटर दूर मनाली के पास सोलंग घाटी में रखी थी.