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केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट में कहा, कुछ रोहिंग्या के ISI, पाकिस्तानी आतंकी गुटों से संबंध

केंद्र सरकार ने रोहिंग्या शरणार्थियों को वापस भेजने संबंधी याचिका पर हलफनामा दाखिल करने के लिए और वक्त की मांग की है।

Updated on: 19 Sep 2017, 08:12 AM

highlights

  • रोहिंग्या शरणार्थी के मुद्दे पर केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल किया
  • केंद्र ने रोहिंग्या को देश की आंतरिक सुरक्षा के लिए खतरा बताया
  • केंद्र ने कहा, रोहिंग्या मुस्लिम आईएसआई और आईएस के संपर्क में हैं

नई दिल्ली:

केंद्र सरकार ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट से रोहिंग्या मुद्दे पर हस्तक्षेप न करने का आग्रह करते हुए कहा कि उन्हें वापस भेजने का निर्णय सरकार का नीतिगत फैसला है। केंद्र ने साथ ही कहा कि इन रोहिंग्या में से कुछ का संबंध पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई और आतंकवादी गुटों से है।

केंद्र ने शीर्ष अदालत से कहा कि 'रोहिंग्या मुद्दा न्यायोचित (जस्टिसिएबल) नहीं है और जब इस संबंध में कानून में उनके निर्वासन के लिए सही प्रक्रिया मौजूद है तो फिर केंद्र सरकार को नीतिगत निर्णय लेकर देश हित में आवश्यक कार्यकारी फैसले लेने दिया जाना चाहिए।'

केंद्र सरकार ने अदालत को बताया कि यह देश हित में लिया गया एक 'आवश्यक कार्यकारी' फैसला है।

केंद्र ने प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति ए.एम. खानविलकर और न्यायमूर्ति डी. वाई. चंद्रचूड़ की पीठ के समक्ष कुछ रोहिंग्या शरणार्थियों के अवांछित और भारत विरोधी गतिविधियों में संलिप्त होने का हवाला देकर अपने हलफनामे में कहा कि ये लोग हवाला और मानव तस्करी के माध्यम से भी धनराशि जमा करने में संलिप्त हैं।

केंद्र ने कहा, 'रोहिंग्या का लगातार भारत में रहना पूरी तरह से अवैध है और इससे राष्ट्रीय सुरक्षा पर गंभीर खतरा उत्पन्न हो सकता है।'

केंद्र ने कहा कि 'कई रोहिंग्या (पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई, आईएस (आतंकवादी संगठन इस्लामिक स्टेट) और अन्य ऐसे उग्रवादी समूहों की संदिग्ध घातक योजनाओं में भी दिखे हैं जो भारत में संवेदनशील क्षेत्रों में सांप्रदायिक हिंसा भड़काकर अपने निहित स्वार्थो की पूर्ति करना चाहते हैं।'

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केंद्र ने यह भी कहा कि कुछ रोहिंग्या का संबंध पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठनों से है। केंद्र ने साथ ही कहा कि म्यांमार से रोहिंग्या शरणार्थियों का आना 2012 में शुरू हुआ था और ये लोग म्यांमार से भारत अवैध रूप से पश्चिम बंगाल, त्रिपुरा और असम के रास्ते यहां बिचौलियों के माध्यम से आए हैं।

अदालत ने मामले की अगली सुनवाई तीन अक्टूबर को करने का निर्देश दिया। अदालत ने सुनवाई स्थगित करते हुए याचिकाकर्ताओं और अन्य को मामले की अगली सुनवाई से पूर्व केंद्र के रुख पर अपना प्रत्युत्तर दाखिल करने को कहा।

केंद्र ने कहा कि रोहिंग्या शरणार्थियों के भारत में रहने पर देश के संसाधन और देश की जनता के अधिकार प्रभावित होंगे।

हलफनामे में कहा गया कि वे अन्य देश से आए शरणार्थी हैं, इसलिए भारतीय संविधान के तहत उनके कोई अधिकार नहीं हैं।

केंद्र ने कहा कि पड़ोसी देशों से अवैध शरणार्थियों के भारी प्रवाह के कारण कुछ सीमावर्ती राज्यों की जनसांख्यिकी में गंभीर बदलाव आया है।

इसी बीच, केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि भारत में रोहिंग्या शरणार्थियों के भाग्य पर फैसला सुप्रीम कोर्ट लेगा।

उन्होंने कहा कि शीर्ष न्यायालय मामले पर सुनवाई कर रहा है और 'जो भी फैसला लिया जाएगा, वह सुप्रीम कोर्ट द्वारा ही लिया जाएगा।'

केंद्रीय गृह राज्य मंत्री किरण रिजीजू ने कहा कि रोहिंग्या शरणार्थियों को उनके देश वापस भेजने का फैसला राष्ट्रहित में है।

रिजीजू ने सुप्रीम कोर्ट में मामले की सुनवाई से पूर्व संवाददाताओं से कहा, 'यह एक गंभीर मामला है। सरकार जो भी करेगी, वह राष्ट्र हित में होगा।'

शीर्ष न्यायालय रोहिंग्या शरणार्थियों को म्यांमार वापस भेजने के केंद्र के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई कर रहा है।

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