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रोहिंग्या शरणार्थी (फाइल फोटो-IANS)
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म्यांमार से भारत आए रोहिंग्या मुस्लिमों को वापस भेजे जाने के मसले पर एक बार फिर केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से आग्रह किया कि वह इस मामले में सुनवाई न करे।
रोहिंग्या शरणार्थी (फाइल फोटो-IANS)
म्यांमार से भारत आए रोहिंग्या मुस्लिमों को वापस भेजे जाने के मसले पर एक बार फिर केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से आग्रह किया कि वह इस मामले में सुनवाई न करे।
हालांकि, कोर्ट ने इस पर कुछ न कहते हुए सुनवाई की अगली तारीख 7 मार्च तय कर दी। फिलहाल रोहिंग्या मामले में यथास्थिति बनी रहेगी।
वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण ने बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में नई अर्जी दाखिल कर मांग की कि म्यांमार से भारत आ रहे लोगों को न रोका जाए।
उन्होंने आरोप लगाया कि रोहिंग्या मुस्लिमों को भारत में घुसने से रोकने के लिए सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) बल प्रयोग कर रही है। सरकार अब नई अर्जी पर अगली सुनवाई के दौरान जवाब देगी।
Rohingya Muslim refugees case: Supreme Court said till the next date of hearing on March 7, the status quo be maintained in the case
— ANI (@ANI) January 31, 2018
आपको बता दें कि केंद्र सरकार ने पिछले साल सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर कर रोहिंग्या के ISI और ISIS से संबंधों की ओर इशारा किया था। केद्र ने कहा था कि वह आतंरिक सुरक्षा के लिए खतरा हैं।
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भारत में रोहिंग्या मुसलमानों की पंजीकृत संख्या 14 हजार से अधिक है। लेकिन कई अन्य रिपोर्ट्स के मुताबिक, यह संख्या लगभग 40 हजार के करीब है। इन्हें भारत सरकार ने वापस म्यांमार भेजने का फैसला किया है।
रोहिंग्या म्यांमार के रखाइन प्रांत में हिंसा के बाद 2012 में भारत आए थे। जिन्हें सरकार वापस भेजना चाहती है। वहीं 2017 में रखाइन प्रांत में हुई हिंसा के बाद भारत ने सीमावर्ती इलाकों में सुरक्षा बढ़ा दी थी और रोहिंग्या को भारत आने से रोक दिया था।
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Source : News Nation Bureau