Navjot Singh Sidhu की बढ़ेगी मुसीबत, 33 साल पुराने मामले में SC ने मांगा जवाब
नवजोत सिंह सिद्धू इस मामले में कई मोड़ देख चुके हैं. उन्हें 1999 में स्थानीय अदालत ने बरी कर दिया था. लेकिन पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने उन्हें दोषी ठहराया था.
highlights
- बढ़ सकती हैं सिद्धू की मुसीबतें
- सुप्रीम कोर्ट ने मांगा पुराने मामले में जवाब
- 33 साल पुराने मामले में सुप्रीम कोर्ट ने मांगा जवाब
नई दिल्ली:
पंजाब कांग्रेस अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू (Navjot Singh Sidhu) कई लड़ाइयों में उलझे हैं. पंजाब में राजनीतिक विरोधियों से लड़ाई में जीत मिली तो अपने ही साथी से चुनौती मिलने लगी. फिर चुनावी कमान हाथ में आई तो मुख्यमंत्री पद का चेहरा नहीं बन पाए और पंजाब का चुनाव निपटा तो अब सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें तलब कर लिया है. और उनसे उस मामले में जवाब मांगा है, जो केस 33 साल पुराना है. वो केस रोड रेस का था, जिसमें पटियाला में सिद्धू के साथ हुई झड़प में एक व्यक्ति को चोटें आई थी और बाद में उसकी अस्पताल में मौत हो गई थी. अब इस मामले में सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने नवजोत सिंह सिद्धू से जवाब मांगा है.
कैसे बढ़ सकती हैं सिद्धू की मुसीबतें?
नवजोत सिंह सिद्धू इस मामले में कई मोड़ देख चुके हैं. उन्हें 1999 में स्थानीय अदालत ने बरी कर दिया था. लेकिन पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने उन्हें दोषी ठहराया था. उन्हें गैर इरादतन हत्या के मामले में 3 साल जेल की सजा मिली थी और 1 लाख रुपया जुर्माना भरने का आदेश दिया गया था. सिद्धू के साथ एक अन्य व्यक्ति को भी इतनी ही सजा मिली थी. हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने 15 मई 2018 को सिद्धू को गैर-इरादतन हत्या के मामले से बरी कर दिया था. और उनपर मारपीट करने और चोट पहुंचाने के मामले में धारा 323 के तहत एक साल की जेल और 1000 रुपये का जुर्माना लगाया था.
फिर से सुप्रीम कोर्ट में कैसे उठा मामला?
सुप्रीम कोर्ट में 12 सितंबर 2018 को पीड़ित पक्ष की तरफ से एक याचिका दाखिल गई थी. जिसमें सुप्रीम कोर्ट से अपील की गई थी कि वो अपने आदेश पर पुनर्विचार करे. क्योंकि पोस्ट मार्टम की रिपोर्ट के मुताबिक, पीड़ित व्यक्ति जिसकी बाद में मौत हो गई थी, तो सिर में गंभीर चोटें आई थी. ये चोटें मारपीट की वजह से आई थी, इसलिए सिद्धू पर गैर-इरादतन हत्या का मामला बनता है. इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में नवजोत सिंह सिद्धू की तरफ से अपील की गई थी कि कोर्ट इस याचिका को खारिज कर दे. नवजोत सिंह सिद्धू की तरफ से दलील दी गई थी कि उस घटना को 33 साल बीत चुके हैं. उसके बाद सिद्धू का आचरण बेहद अच्छा रहा है. वो सांसद के तौर पर बेदाग रहे हैं और जनता की सेवा करते रहे हैं. वो आदतन अपराधी व्यक्ति नहीं हैं. ऐसे में सुप्रीम कोर्ट को अपने आदेश पर पुनर्विचार की जरूरत नहीं है. उन्हें सुप्रीम कोर्ट की तरफ से दी गई सजा और जुर्माने की राशि स्वीकार्य है. हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने उस मामले में नवजोत सिंह सिद्धू (Navjot Singh Sidhu) से जवाब मांगा है.
याचिका में क्या कहा गया है?
सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में कहा है कि सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court of India) को मृतक के पोस्टमार्टम रिपोर्ट पर ध्यान देना चाहिए. जिसमें मृतक के सिर में गंभीर चोटों की बात है. ऐसे में नवजोत सिंह सिद्धू को धारा 323 की जगह धारा 304 में सजा दी जानी चाहिए. ऐसे में अगर नवजोत सिंह सिद्धू अपने जवाब से कोर्ट को संतुष्ट नहीं कर पाए तो उनके लिए मुसीबत बढ़नी तय है. क्योंकि धारा 304 के तहत सजा 10 साल से लेकर आजीवन कारावास तक हो सकती है. ऐसे में सिद्धू को न सिर्फ जेल जाना पड़ सकता है, बल्कि उनकी राजनीतिक पारी पर भी संकट खड़ा हो जाएगा.
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