बिहार के कटिहार में बुधवार को पुलिस फायरिंग में दो युवकों की मौत के मामले पर सियासत गर्म है। विरोधी तो सरकार पर निशाना साध ही रहे हैं, सत्ता पक्ष महागठबंधन में शामिल दलों के नेता भी अब सवाल उठा रहे हैं।
राजद के विधायक और पूर्व कृषि मंत्री सुधाकर सिंह ने तो इस मामले में पहले गोली चलाने वाले पुलिसकर्मियों पर हत्या का मामला दर्ज करने और फिर जांच की बात कही है। उन्होंने दोषियों पर कठोर कार्रवाई की बात भी कही है। उन्होंने कहा कि किसी भी विपरीत परिस्थिति में पुलिस को गोली नहीं चलानी चाहिए थी।
उन्होंने साफ लहजे में कहा कि मानवता के आधार पर पीड़ित परिवार को फौरी राहत देना चाहिए। कटिहार में पूरी तरह प्रशासन फेल रहा। अगर सरकार भी पुलिसकर्मियों पर कारवाई नहीं करती है तो सरकार भी असफल मानी जाएगी।
कांग्रेस विधायक दल के नेता शकील अहमद खान ने भी इस घटना को निंदनीय, अफसोसजनक बताया। उन्होंने कहा कि राज्य में सुखाड़ जैसी स्थिति है और जिसकी भी जिम्मेदारी है उसे व्यवहारिक होना चाहिए।
उन्होंने कहा कि लोग गुस्से में थे तो इसकी तैयारी होनी चाहिए। बारसोई अनुमंडल प्रशासन को फेल्योर बताते हुए कहा कि जब दो दिन पहले जानकारी दी गई थी कि लोग प्रदर्शन करने वाले हैं, तो प्रशासन की जिम्मेदारी होना चाहिए थी कि पुलिस बल की तैनाती से लेकर अन्य तरीके से भीड़ को रोकना चाहिए था। लेकिन, पुलिस ने सीधे सिर पर गोली मार दी। यह सभ्य समाज में कोई बर्दाश्त नहीं करेगा। यह अच्छी बात नहीं है। हम लोगों ने मांग की है कि जल्द से जल्द मृतक के परिजनों को मुआवजा दिया जाए।
सरकार को बाहर से समर्थन दे रही पार्टी भाकपा माले के विधायक महबूब आलम ने कहा कि पुलिस को संयम से काम करना चाहिए। उन्होंने इस घटना को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए कहा कि पुलिस को पहले से इसके नियंत्रण की व्यवस्था करनी चाहिए थी। उन्होंने सवाल करते हुए कहा कि पुलिस दौड़ते हुए लड़के पर सामने से गोली चला देगी, इसकी जांच होनी चाहिए और दोषी लोगों पर कड़ी कारवाई होनी चाहिए।
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Source : IANS