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जल्द लग सकता है बढ़ते पेट्रोल डीजल के दामों पर ब्रेक, जानिए क्या है वजह

पेट्रोल डीजल के (Petrol Diesel Price) आसमान छू रहे कीमतों पर जल्द ब्रेक लग सकता है. देश में प्रतिदिन बढ़ रहे पेट्रोल और डीजल की कीमतों से आम आदमी को जल्द ही राहत मिलने की सम्भावना है.

Updated on: 23 Mar 2021, 05:16 PM

दिल्ली :

पेट्रोल डीजल के (Petrol Diesel Price) आसमान छू रहे कीमतों पर जल्द ब्रेक लग सकता है. देश में प्रतिदिन बढ़ रहे पेट्रोल और डीजल की कीमतों से आम आदमी को जल्द ही राहत मिलने की सम्भावना है. बता दें कि इस समय देश के लगभग हर शहर में पेट्रोल और डीजल के रेट ऑल टाइम हाई पर चल रहे हैं. लेकिन जल्द महंगे पेट्रोल-डीजल से राहत मिल सकती है.  दुनिया भर में कोरोना संक्रमण (COVID19) के बढ़ते खतरे से पट्रोल और डीजल के कीमतों पर ब्रेक लगने की संभावना है.

दरअसल, दुनिया भर में कोरोना के दूसरे लहर से बढ़ते संक्रमण से अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की मांग घटने की संभावना है. अंतर्राष्ट्रीय बाजार में ईंधन का भाव 15 दिन में 10% गिर चुका है. यूरोप में भी कोरोना की इस लहर के चलते वहां ईंधन की मांग घटने की संभावना है. इसके चलते कच्चे तेल की कीमत 71 डॉलर प्रति बैरल की ऊंचई से गिरकर 64 डॉलर प्रति बैरल पर आ गई हैं. ओपेक प्लस के देशों ने उत्पादन में कटौती का फैसला जारी रखने का फैसला किया था. इससे ब्रेंट क्रूड का दाम 70 डॉलर प्रति बैरल के पार चला गया था. लेकिन, पिछले दो हफ्ते में क्रूड में बड़ी गिरावट आई है. इसकी वजह यह है कि कई देशों में फिर से कोरोना के मामले बढ़ रहे हैं. यूरोप के कुछ देशों ने लॉकडाउन जैसे प्रतिबंध लगा दिए हैं. आगे इस तरह की और पाबंदियां दिख सकती हैं. इससे क्रूड पर दबाव बढ़ सकता है.

क्या होता है पेट्रोल डीजल की कीमत तय करने का आधार 

आधिकारिक रूप से पेट्रोल या डीजल की कीमत अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल से तय होती है. यानी जब कच्चे तल का भाव घटे या बढ़े तो पेट्रोल या डीजल के दाम घटते या बढ़ते रहते हैं. इसी आधार पर रोज पेट्रोल और डीजल की कीमतों में बदलाव होता है. इसके आलावा पेट्रोल व डीजल के दाम में एक्साइज ड्यूटी, डीलर कमीशन और अन्य चीजों के किमत को जोड़ा जाता है.अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दाम गिरने से घरेलू ऑयल मार्केटिंग कंपनियां पेट्रोल और डीजल की कीमतें घटा सकती हैं.

मौजूदा ईंधन की कीमतों में लगभग टैक्स का हिस्सा 60 फीसदी है, जो रिकॉर्ड स्तर पर है. इसके बावजूद केंद्र सरकार ने करों में कमी करने से इनकार कर दिया है, जबकि कुछ राज्यों ने छोटी मोटी कटौती की है. बता दें कि ईंधन पर दोनों सरकारों की तरफ से टैक्स लिया जाता है.