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Rishi sunak( Photo Credit : @ ani)
ब्रिटेन के नए पीएम के रूप में ऋषि सुनक की ताजपोशी होने वाली है. सुनक की उपलब्धि को लेकर सोशल मीडिया पर आम से लेकर खास सभी अपनी राय रख रहे हैं. इस बीच कुछ लोगों ने इस उपल​ब्धि को लेकर देश में अल्पसंख्यक और शरणार्थी अधिकारों का मुद्दा उठाया है. जम्मू-कश्मीर की पूर्व सीएम महबूबा मुफ्ती का कहना है कि एक ओर जहां ब्रिटेन में अल्पसंख्यक मूल के एक शख्स को पीएम के रूप में स्वीकार किया है, वहीं देश सीसीए और एनआरसी जैसे विभाजनकारी कानूनों में फंसा हुआ है. कांग्रेस नेता शशि थरूर ने भी महबूबा के सुर में सुर मिलाए. उन्होंने कहा कि भारत में भी क्या ऐसा हो सकता है?
उन्होंने अपने ट्वीटर हैंडल पर ट्वीट करते हुए कहा कि सुनक पीएम बनते तो यह सभी को मानना होगा कि ब्रितानियों ने दुनिया में कुछ नायाब काम किया है. एक अल्पसंख्यक समुदाय के सदस्य को सबसे ताकतवर ऑफिस की कमान सौंपी गई है. अब जब सभी भारतीय खुशी मना रहे हैं तो सभी को यह पूछना चाहिए-क्या ऐसा हमारे देश में हो सकता है.
If this does happen, I think all of us will have to acknowledge that theBrits have done something very rare in the world,to place a member of a visible minority in the most powerful office. As we Indians celebrate the ascent of @RishiSunak, let's honestly ask: can it happen here? https://t.co/UrDg1Nngfv
— Shashi Tharoor (@ShashiTharoor) October 24, 2022
इस पर भाजपा ने ट्वीट करके पलटवार किया है. पूर्व केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि सुनक के पीएम बनाए जाने के बाद से कुछ नेता बहुसंख्यकवाद का मुद्दा बना रहे हैं. मैं उन्हें देश में पूर्व पीएम मनमोहन सिंह के 10 साल के कार्यकाल, पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल कलाम के पांच साल के कार्यकाल की याद दिलाना चाहूंगा. वहीं विशिष्ट आदिवासी नेता द्रौपदी मुर्मू इस समय हमारी राष्ट्रपति हैं. रविशंकर के तंज कसते हुए कहा कि क्या महबूबा उन्हें ये बताएंगी कि वे किसी अल्पसंख्यक को जम्मू कश्मीर के मुख्यमंत्री के रूप में देखना चाहेंगी.
इस मामले में पूर्व वित्त मंत्री पी चिंदबरम ने भी बयान दिया है. उन्होंने कहा कि पहले कमला हैरिस ओर अब ऋषि सुनक को यहां ने लोगों ने गले लगाया है. उन्हें सरकार में उच्च पद के लिए चुना गया है. चिंदबरम बोले, यह बहुसंख्यकवाद का पालन करने वाली पार्टियों के लिए सबक है.
Source : News Nation Bureau