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पाकिस्‍तान के इशारे पर नाच रहे थे दिल्‍ली के दंगाई! 2016 में ही हो गई थी हिंसा फैलाने की साजिश

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और आरएसएस का डर दिखाकर कैसे इस्लामाबाद में बैठे हुक्मरान अपने मोहरों से भारत को अस्थिर करने की साज़िशें रचते हैं. आज उसकी गवाही खुद पाकिस्तानी संसद के सबसे अहम दस्तावेज देने जा रहे हैं.

Updated on: 06 Mar 2020, 01:51 PM

नई दिल्‍ली:

भारत के आंतरिक मामले को हिंदू बनाम मुसलमान का रंग देकर कैसे पाकिस्तान हाथ सेंक रहा है. उसकी एक-एक हकीकत इमरान और पाकिस्तान की नीयत को बेनकाब कर देगी. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और आरएसएस का डर दिखाकर कैसे इस्लामाबाद में बैठे हुक्मरान अपने मोहरों से भारत को अस्थिर करने की साज़िशें रचते हैं. आज उसकी गवाही खुद पाकिस्तानी संसद के सबसे अहम दस्तावेज देने जा रहे हैं. आप यह जानकार हैरान रह जाएंगे कि आतंक एक्सपोटर पाकिस्तान भारत में न सिर्फ मजहबी नफरत बल्कि दलितों को उकसाने के लिए बाकायदा एक नीति पर काम करता है. भारत के आंतरिक मामलों में टांग अड़ाने वाले इमरान की करतूत यूं ही नहीं, बल्कि एक सोची-समझी और गहरी साज़िश है. आइए देखते हैं पाकिस्तानी सीनेट के दस्तावेज और उसकी गाइडलाइन पर नजर डालते हैं:

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अक्टूबर 2016 के नाम से ये पाकिस्तानी सीनेट यानी वहां की सीनेट की रिपोर्ट है. इसके कवर पेज पर पॉलिसी गाइडलाइन व्यू ऑफ द लेटेस्ट सिचुएशन डेवलपिंग बिटवीन इंडिया एंड पाकिस्तान...मतलब भारत और पाकिस्तान के बीच मौजूदा हालात पर नीतियां अमल में लाने को कहा गया था. सीनेट की बैठक 26 सितंबर 2016 को हुई थी. गाइडलाइन की शुरुआत में ही बताया गया है कि कश्मीर मसले पर पाकिस्तान को कैसे प्रोपेगैंडा करना है. दुनिया में झूठ को सच बनाकर कैसे बेचना है.

इसमें बताया गया है कि कश्मीर पर भारत विरोधी प्रचार के लिए एक कॉर्डिनेशन कमेटी बनाएं, जिसमें अलगाववादियों को शामिल किया जाए. पाकिस्तानी संसद, विदेश मंत्रालय की टीम ऐसी शीट बनाए, जिसका इस्तेमाल भारत के खिलाफ किया जाए.

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गाइडलाइन में साफ-साफ लिखा है कि भारत के अल्पसंख्यक, जिसमें मुस्लिम..सिख..ईसाई शामिल हो..उनके मतभेद का फायदा उठाया जाए. सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि इसमें दलितों का जिक्र किया गया. पाकिस्तानी संसद की समिति ने भारत के अल्पसंख्यक. दलितों के मुद्दे को भुनाकर स्टेट के खिलाफ यानी सिस्टम के खिलाफ खड़ा कर देने की वकालत की है.

भारत के इन नागरिकों के मसले को लाइमलाइट करने का जिम्मा इस्लामाबाद पॉलिसी रिसर्च इंस्टीट्यूट और इस्टीट्यूट ऑफ रिजनल स्टडीज को सौंपा गया, जो भारत के आंतरिक मामले के खिलाफ दुष्प्रचार कर नफरत के शोले भड़का सके और पाकिस्तान दुनिया में ढोल पीट सके..कि देखो हिंदुस्तान में क्या हो रहा है.

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गौर करने वाली बात ये है कि इस रिपोर्ट में एक बार नहीं...बल्कि चार बार मोदी और संघ का जिक्र किया गया. 2016 में ही पाकिस्तानी संसदीय समिति ने बताया था कि 2019 में भी मोदी की सरकार आएगी और हमें वहां के अल्पसंख्यकों से संवाद करने के लिए एक लॉबी तैयार करनी होगी.

मतलब ये है कि मोदी के खिलाफ इनके बयानों को पाकिस्तान ने अपने टूल की तरह इस्तेमाल करने की नीति बनाई. सीनेट की इसी रिपोर्ट को आधार बनाकर पाकिस्तान ने कुलभूषण जाधव के मामले को जासूसी से जोड़ा, क्योंकि सीनेट ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि भारत को बदनाम करने के लिए कुलभूषण जाधव के मामले को किसी बड़े लॉ स्कॉलर से उठवाना चाहिए.

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जिस पाकिस्तान के पास कर्जे की किस्त चुकाने के लिए पैसे नहीं..उसने कुलभूषण पर झूठ को सच बनाकर बेचने के लिए पैसा पानी की तरह बहाया.,..हर केस के लिए 20 करोड़ की रकम खर्च की..बावजूद इसके उसे इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस में मुंह की खानी पड़ी. यही हाल कश्मीर में अनुच्छेद 370 हटने के बाद दिखा..कश्मीर पर दुष्प्रचार करने के लिए पाकिस्तान ने बहुत हाथ पैर चलाए. अलगाववादियों को ढाल बनाकर कश्मीर को अस्थिर करने की चालें चली..मगर फरेबी पाकिस्तान की दाल नहीं गली और जैसे ही नागरिकता संशोधन कानून बिल पास हुआ....पाकिस्तान के अंदर का आतंकी जाग उठा.

जब सीनेट ने अपनी ये रिपोर्ट रखी थी..तब पाकिस्तान में नवाज़ शरीफ की सरकार थी. वक्त बदला..शरीफ से इमरान मुल्क के कप्तान बन गए..मगर कुछ नहीं बदला..तो वो है पाकिस्तान की फितरत...ऐसे में नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ हिंसक घटनाओं में यही सवाल है कि जाने-अनजाने कहीं उपद्रवी पाकिस्तान का मोहरा तो नहीं बन गए.