रिहाना को दिए गए 18 करोड़ किसानों के समर्थन में आने को!

भारत विरोधी साजिश की इन गहरी जड़ों की ओर देखने की शुरुआत रिहाना के ट्वीट से हुई, जिसमें उन्होंने किसान आंदोलन का समर्थन कर लोगों को इस बारे में बात करने के लिए उकसाया था.

भारत विरोधी साजिश की इन गहरी जड़ों की ओर देखने की शुरुआत रिहाना के ट्वीट से हुई, जिसमें उन्होंने किसान आंदोलन का समर्थन कर लोगों को इस बारे में बात करने के लिए उकसाया था.

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Nihar Saxena
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खालिस्तान समर्थक संस्था की ओर से रिहाना को दिए ढाई मिलियन डॉलर.( Photo Credit : फाइल फोटो)

इस सच्चाई को लेकर मोदी सरकार (Modi Government) भी मुतमुईन है कि किसान आंदोलन को लेकर विदेशों में चल रहे सरकार विरोधी अभियान वास्तव में एक गहरी साजिश का हिस्सा हैं. जिस तरह से कनाडा फिर ब्रिटेन के सिख सांसदों ने कृषि कानूनों का विरोध कर किसान आंदोलन को अपना समर्थन दिया, जिस तरह अंतरराष्ट्रीय शख्सियतों की ओर से ट्विटर पर टूल किट शेयर की गई, उससे बहुत कुछ साफ है. अब कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया जा रहा है कि पॉप स्टार रिहाना (Rihanna) को किसान आंदोलन के समर्थन के लिए भारी-भरकम राशि अदा की गई है. लगभग 18 करोड़ के आसपास की यह धनराशि रिहाना को अलगववादी ताकतों की ओर से अदा की गई है. 

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कनाडा से ही मोदी सरकार के खिलाफ उठे थे पहले विरोधी सुर
मोदी सरकार की खुफिया संस्थाओं से जुड़े सूत्रों ने भी दावा किया है कि कनाडा के बाहर के कुछ नेताओं और संस्थाओं ने किसान समर्थित और मोदी सरकार विरोधी वैश्विक आंदोलन चला रखा है. इसमें महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है कनाडा स्थित एक संस्था पोयटिक जस्टिस फॉउंडेशन (PFJ) ने. इसी संस्था ने दुनिया की जानी-मानी हस्तियों को जुटा किसान आंदोलन के पक्ष में और मोदी सरकार के विरोध में माहौल बनाने का काम किया है. गौरतलब है कि किसान आंदोलन के वैश्वीकरण अभियान खासकर राजनीतिक स्तर पर कनाडाई प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने ही की थी. उन्होंने इस क्रम में बकायदा एक बयान जारी किया था. तब भी माना जा रहा था कि कनाडा की राजनीति में वर्चस्व रखने वाले सिख नेताओं ने ही इसे हवा-पानी दी है. 

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अलगाववादियों ने रिहाना को दिए 18 करोड़
यही नहीं, इस पूरे प्रकरण में एक और नाम सामने आया है, जिसका नाम एमओ धालीवाल है. बताते हैं कि यह खालिस्तान समर्थक है और स्कायरॉकेट के नाम से एक पीआर फर्म चलाता है. इस शख्स ने रिहाना को किसान आंदोलन के समर्थन में ट्वीट करने के लिए 2.5 मिलियन डॉलर यानी लगभग 18 करोड़ रुपए दिए. यही नहीं, ग्रेटा थनबर्ग की ओर से दो बार शेयर की गई टूल किट वास्तव में उसके जरिये भारत का अमन और सौहार्द बिगाड़ने की एक बड़ी साजिश का हिस्सा है. इसके पीछे धालीवाल समेत मेरिना पेटिरसन का नाम भी जुड़ा है, जो स्कायरॉकेट पीआर फर्म में रिलेशनशिप मैनेजर हैं. इसके अलावा अनीता लाल का नाम भी सामने आया है, जो कनाडा की वर्ल्ड सिख ऑर्गेनाइजेशन की निदेशक है. इसी फर्म से कनाडा के सांसद जगमीत सिंह का नाम भी जुड़ा हुआ है. 

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कनाडा की संस्था पीजेएफ पर साजिश फैलाने का संदेह
यहां यह जानना भी कम रोचक नहीं होगा कि अनीता लाल पोयटिक जस्टिस फॉउंडेशन की सह-संस्थापक भी हैं. यह वही संस्था है जिसका नाम ग्रेटा थनबर्ग की ओर से शेयर की गई टूल किट में कई बार आया है. भारत विरोधी साजिश की इन गहरी जड़ों की ओर देखने की शुरुआत रिहाना के ट्वीट से हुई, जिसमें उन्होंने किसान आंदोलन का समर्थन कर लोगों को इस बारे में बात करने के लिए उकसाया था. इसके बाद ग्रेटा थनबर्ग और मियां खलीफा भी इस अभियान से आ जुड़े. ग्रेटा थनबर्ग ने एक नहीं दो-दो बार टूल किट शेयर की. पहली वाली ट्वीट में दिग्गज भारतीय उद्यमियों का नाम शामिल था, जबकि दूसरी ट्वीट में उन्होंने इनका नाम डिलीट कर चक्का जाम की सही तारीख शेयर की गई. 

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भारतीय दिग्गज भी उतरे कीचड़ उछालने वाले अभियान के खिलाफ
इस गहरी साजिश ने ग्रेटा थनबर्ग के नाम की भी छीछालेदर की है. न सिर्फ ग्रेटा के भारतीय प्रशंसकों को निराश किया है, बल्कि मोदी सरकार ने ट्विटर और गूगल को आधिकारिक पत्र लिख यह जानकारी मांगी है कि इस टूल किट को सबसे पहले किसने तैयार किया, उससे जुड़ी पूरी जानकारी साझा की जाए. बताते हैं कि इस टूल किट को पहले पहल 23 जनवरी को भारत विरोधी भावनाओं को भड़काने के लिए शेयर करना था. यह अलग बात है कि इसे अब तीन-चार दिन पहले शेयर किया गया है. हालांकि बड़ी संख्या में भारतीय खेल जगत औऱ मनोरंजन उद्योग से जुड़ी हस्तियों ने इसके खिलाफ अपनी पुरजोर आवाज बुलंद की है. इसके साथ ही सरकार भी इसकी जड़ तक पहुंचने की कवायद में जुट गई है.

Source : News Nation Bureau

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