मोदी सरकार को सुप्रीम कोर्ट की क्लीनचिट, राफेल डील पर सुप्रीम कोर्ट ने खारिज की पुनर्विचार याचिका
सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को राफेल डील पर फैसला देते हुए विपक्षी नेताओं की ओर से दायर पुनर्विचार याचिका को खारिज करते हुए मोदी सरकार को क्लीन चिट दे दी.
नई दिल्ली:
सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने बुधवार को राफेल डील (Rafale Deal) पर फैसला देते हुए विपक्षी नेताओं की ओर से दायर पुनर्विचार याचिका (REview Petition) को खारिज करते हुए मोदी सरकार (Modi Sarkar) को क्लीन चिट दे दी. चीफ जस्टिस रंजन गोगौई, जस्टिस एस.के कौल, जस्टिस के.एम. जोसेफ की बेंच ने राफेल डील पर फैसला सुनाया. सुप्रीम कोर्ट ने कहा, अब राफेल डील पर सौदे की जांच नहीं होगी. इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने पुनर्विचार याचिका खारिज कर दी. इसके साथ ही मोदी सरकार को राफेल डील पर क्लीन चिट (Clean Chit) मिल गई. साथ ही राफेल डील को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी (Congress Leader Rahul Gandhi) के बयान पर उनकी माफी भी मंजूर कर ली. अब इस मामले में राहुल गांधी के खिलाफ अवमानना का केस नहीं रहेगा.
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राफेल मामले की जांच की अर्जी सुप्रीम कोर्ट में 14 दिसंबर 2018 को खारिज हो गई थी. राफेल खरीद प्रक्रिया और इंडियन ऑफसेट पार्टनर के चुनाव में सरकार द्वारा भारतीय कंपनी को फेवर किए जाने के आरोपों की जांच की गुहार लगाने वाली तमाम याचिकाओं को 14 दिसंबर 2018 को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया था. इससे मोदी सरकार को बड़ी राहत मिली थी. सुप्रीम कोर्ट ने कहा था, फैसले लेने की प्रक्रिया में कहीं भी कोई संदेह की गुंजाइश नहीं है. सुप्रीम कोर्ट ने राफेल डील मामले में केस दर्ज कर कोर्ट की निगरानी में जांच की गुहार खारिज कर दी थी.
सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ताओं ने कहा कि राफेल मामले में सुप्रीम कोर्ट का 14 दिसंबर 2018 का जजमेंट खारिज किया जाए और राफेल डील की सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में जांच कराई जाए. प्रशांत भूषण ने इस दौरान कहा कि केंद्र सरकार ने कई फैक्ट सुप्रीम कोर्ट से छुपाया. दस्तावेज दिखाता है कि पीएमओ ने पैरलल बातचीत की थी और ये गलत है. पहली नजर में मामला संज्ञेय अपराध का बनता है और ऐसे में सुप्रीम कोर्ट के पुराना जजमेंट कहता है कि संज्ञेय अपराध में केस दर्ज होना चाहिए और इस मामले में भी संज्ञेय अपराध हुआ है. ऐसे में सुप्रीम कोर्ट को इस मामले में जांच का आदेश देना चाहिए.
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इस मामले में कुछ याचियों ने डील कैंसिल करने की मांग की थी. हमारी दलील अलग है. हमारी दलील है कि सुप्रीम कोर्ट ने पहले से ललिता कुमारी से संबंधित वाद में व्यवस्था दे रखी है कि जब भी संज्ञेय अपराध हुआ हो तो मामले में एफआईआर होना चाहिए. इसी जजमेंट के आलोक में हम मामले की जांच चाहते हैं. मामले में सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में जांच होनी चाहिए.
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