सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद आज संसद में उठ सकता है प्रमोशन में आरक्षण का मुद्दा

विपक्ष के साथ एनडीए के सहयोगी पार्टियों ने भी केंद्र से इस मामले में हस्तक्षेप करने की मांग की है.

विपक्ष के साथ एनडीए के सहयोगी पार्टियों ने भी केंद्र से इस मामले में हस्तक्षेप करने की मांग की है.

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Aditi Sharma
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ससंद में उठ सकता है प्रमोशन में आरक्षण का मुद्दा( Photo Credit : फाइल फोटो)

आज संसद में प्रमोशन में आरक्षण का मुद्दा भी उठाया जा सकता है. दरअसल इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद विपक्ष के साथ एनडीए के सहयोगी पार्टियों ने भी केंद्र से इस मामले में हस्तक्षेप करने की मांग की है. जिसके बाद बताया जा रहा है कि आज यानी सोमवार को ये मुद्दा संसद में उठाया जा सकता है. कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खडगे ने कहा है कि वे सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले का विरोध करेंगे. वहीं बताया ये भी जा रहा है कि केंद्र इस मामले में कोई भी हड़बड़ी दिखाने के मूड में नहीं है. 

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क्या था सुप्रीम कोर्ट का फैसला?

सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में उत्तराखंड हाईकोर्ट के उस फैसले को खारिज कर दिया था जिसमें राज्य सरकार से कहा गया था कि वो प्रमोशन में आरक्षण देने के लिए डाटा जुटाए. सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में राज्य सरकार से यह पता करने को कहा था कि एससी-एसटी कैटिगरी के लोगों का पर्याप्त प्रतिनिधित्व है या नहीं, जिससे प्रमोशन में रिजर्वेशन दिया जा सके. इसी के साथ सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि राज्य सरकार प्रमोशन में आरक्षण देने के लिए बाध्य नहीं है. बता दें, एससी-एसटी कैटेगरी में प्रमोशन में आरक्षण देने का आदेश हाई कोर्ट ने दिया था.

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सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर एलजेपी प्रमुख चिराग पासवान कहना है कि ये फैसला एससी-एसटी और ओबीसी को आरक्षण के अधिकारों से वंचित करता है. वहीं जेडीयू नेता केसी त्यागी का कहना है कि पार्टी शुरू से ही न्यायपालिका में भी आरक्षण की मांग करती आई है. इसके अलावा प्राइवेट कंपनियों में भी आरक्षण के पक्ष में है. मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो एलजेपी प्रमोशन में आरक्षण के मुद्दे को संसद में उठाएगी.

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वहीं बताया जा रहा है इस मामले में केंद्र कोई भी हड़बड़ी नहीं दिखाएगी. इसकी एक वजह 2 साल पहले एससी-एक्ट में हुए बदलाव के बाद हुआ हंगामा भी है. दरअसल दो साल पहले जब सुप्रीम कोर्ट ने एससी-एसटी एक्ट में बगलाव  किया था तो दलित समुदाय ने उम्र आंदोलन किया था. बाद में प्रेशर में आकर केंद्र ने पुराना कानून लागू कर दिया तो उधर स्वर्णों ने भी आंदोलन शुरू कर दिया. इसी हंगामें से सबक लेते हुए केंद्र ने फैसला लिया है कि वो इस बार इस मामले में कोई जल्दबाजी नहीं दिखाएगी.

Source : News Nation Bureau

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