दुनिया के 150 देशों के 2 लाख से भी ज्यादा कंप्यूटर्स पर 12 मई को हुए 'वानाक्राई' रैंसमनवेयर वायरस के सायबर हमले ने तहलका मचा रखा है। इस हमले के हैकर्स की के बारे में किसी भी तरह की जानकारी जुटाने में भी सभी देशों की सरकारें असफल रहीं है।
हालांकि गूगल के लिए काम करने वाले भारतीय मूल के रिसर्चर नील मेहता ने दावा किया है कि ये साइबर हमले उत्तरी कोरिया से हो रहे हैं। नील ने ट्विटर पर एक मालवेयर के 'कोड्स' पोस्ट किए हैं, जो फिरौती वायरस 'वानाक्राई' और लैजरस ग्रुप के मालवेयर के बीच संबंध का संकेत देता है।
इसे भी पढ़ें: भारतीय बैंक हो सकता है रैनसमवेयर WannaCry का अगला निशाना !
नील ने ये कहा है कि दुनियाभर के 150 से ज्यादा देशों को निशाना बनाने वाले 'वानाक्राई' रैंसमनवेयर वायरस की कोडिंग का इस्तेमाल लैजरस ग्रुप ने इससे पहले किए गए हमलों में भी हुआ है। नील के अनुसार, लैजरस ग्रुप के हैकर चीन में सक्रिय हैं, जो 2014 में सोनी पिक्चर्स को हैक करने और 2016 में बांग्लादेश का एक बैंक हैक करने में संलिप्त थे।
शुक्रवार को शुरू हुआ यह साइबर हमला सोमवार को कम हो गया। वानाक्राइ कहां से आया, इसे लेकर दुनिया भर के साइबर सुरक्षा विशेषज्ञ शोध में लगे हैं। इस रिसर्च पर सुरक्षा एजेंसियों की भी नजर है।
इसे भी पढ़ें: माइक्रोसॉफ्ट ने 'रैनसमवेयर' साइबर हमले को बताया चेतावनी
बीबीसी की वेबसाइट पर मंगलवार को प्रसारित रिपोर्ट में कहा गया है कि मेहता ब्रिटिश कोलंबिया विश्वविद्यालय से स्नातक शिक्षा प्राप्त हैं और इससे पहले दिग्गज प्रौद्योगिकी कंपनी आईबीएम की इंटरनेट सिक्योरिटी सिस्टम्स में काम कर चुके हैं।
नील ने 2014 में एक मालवेयर 'हर्टब्लीड' का पता लगाया था, जिसके हमले का शिकार लाखों कंप्यूटर, ऑनलाइन स्टोर और सोशल नेटवर्क साइटें हुई थीं और हैकरों ने सोशल मीडिया इस्तेमाल करने वालों की निजी सूचनाएं और वित्तीय जानकारियां हासिल कर ली थीं।
IANS के इनपुट के साथ
आईपीएल 10 से जुड़ी हर बड़ी खबर के लिए यहां क्लिक करें
एंटरटेनमेंट की खबर पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें
HIGHLIGHTS
- 'वानाक्राई' रैंसमनवेयर वायरस ने विश्व के 150 देशों में मचा रखा है तहलका
- भारतीय रिसर्चर नील मेहता का दावा-उत्तर कोरिया से इसके संबंध
Source : News Nation Bureau