कश्मीरी पत्रकार की रिहाई के लिए अंतरराष्ट्रीय संस्था CPJ ने सत्यपाल मलिक को लिखा पत्र

कमेटी टू प्रोटेक्ट जर्नलिस्ट ने राज्यपाल से कहा है कि कश्मीर में संघर्ष जैसे मुद्दे पर एक महत्वपूर्ण स्टोरी लिखना समाज सेवा है, कोई आपराधिक कृत्य नहीं.

कमेटी टू प्रोटेक्ट जर्नलिस्ट ने राज्यपाल से कहा है कि कश्मीर में संघर्ष जैसे मुद्दे पर एक महत्वपूर्ण स्टोरी लिखना समाज सेवा है, कोई आपराधिक कृत्य नहीं.

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कश्मीरी पत्रकार की रिहाई के लिए अंतरराष्ट्रीय संस्था CPJ ने सत्यपाल मलिक को लिखा पत्र

जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल सत्यपाल मलिक (फाइल फोटो : IANS)

जम्मू-कश्मीर में पिछले साल अगस्त में गिरफ्तार एक कश्मीरी पत्रकार की रिहाई के लिए अंतरराष्ट्रीय संस्था पत्रकार सुरक्षा समिति (कमेटी टू प्रोटेक्ट जर्नलिस्ट) (सीपीजे) ने बुधवार को राज्यपाल सत्यपाल मलिक से मुलाकात की. सीपीजे के एशियाई कार्यक्रम समन्वयक स्टीवन बटलर द्वारा लिखे गए पत्र के अनुसार, एक कश्मीरी पत्रकार आसिफ सुल्तान पर आतंकवादियों से संबंध होने और उनकी सहायता करने के झूठे आरोप लगे हैं.

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पत्र के अनुसार, 'उनके संपादक और परिवार ने इन दावों को पूरे विश्वास के साथ संदिग्ध बताया है और कहा है कि उनका काम विशुद्ध पत्रकार का काम है, जो समाचार इकट्ठा करता है.'

सुल्तान ने हिजबुल के मारे गए कमांडर बुरहान वानी पर पिछले साल जुलाई में एक स्थानीय अखबार में एक लेख लिखा था.

बटलर ने कहा, 'पुलिस ने लेख प्रकाशित होने के बाद हिरासत में लिए गए सुल्तान से कथित रूप से बार-बार पूछताछ कर उनसे खबर के सूत्र का खुलासा करने और कश्मीर में हिंसा पर लेख लिखने का दवाब डालने के साथ-साथ समाचार पत्र में प्रकाशित शीर्षकों पर प्रश्न पूछे थे.'

बटलर ने कहा, 'हम समझते हैं कि जम्मू एवं कश्मीर मुश्किल हालात का सामना कर रहा है, लेकिन सीपीजे इस बात पर जोर देना चाहती है कि सरकार के विरोधी लोगों का साक्षात्कार लेना या उन्हें सूत्र बनाना पत्रकारिता के दायरे में आता है और इसे अपराध में नहीं गिना जा सकता.'

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उन्होंने कहा, 'कश्मीर में संघर्ष जैसे मुद्दे पर एक महत्वपूर्ण स्टोरी लिखना समाज सेवा है, कोई आपराधिक कृत्य नहीं.'

पत्र के अनुसार, 'पिछले साल, सीपीजे ने शुजात बुखारी की हत्या समेत कई पत्रकारों पर हुए हमले के पर तथा कई पत्रकारों से उनके काम को लेकर की गई पूछताछ और उनकी हिरासत पर तदस्तावेज तैयार किए थे.'

Source : IANS

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