उप महासचिव अमीना मोहम्मद ने संयुक्त राष्ट्र के सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) को लागू करने में चल रहे काम की निगरानी को स्थानीय बनाने के भारत के प्रयासों की सराहना की है।
यहां बुधवार को एसडीजी स्थानीयकरण के भारतीय मॉडल पर एक सत्र में अपने संदेश में उन्होंने कहा, मैं भारत सरकार और नीति आयोग के उस उल्लेखनीय काम के लिए सराहना करती हूं, जिसमें एसडीजी को स्थानीयकृत किए गए हैं जिसमें संकेतक, लक्ष्य, सरकार के सभी स्तरों पर योजना, बजट और निगरानी ढांचे शामिल हैं।
एसडीजी में 17 एजेंडा बिंदु हैं जो संयुक्त राष्ट्र द्वारा 2015 में 2030 तक हासिल करने के लिए निर्धारित किए गए हैं और वे गरीबी उन्मूलन और स्वास्थ्य को बढ़ावा देने से लेकर जलवायु कार्रवाई और सामाजिक न्याय तक हैं।
भारत सरकार का थिंक टैंक, नीति आयोग दीर्घकालिक नीतियों का संचालन करता है और उनके कार्यान्वयन के लिए तकनीकी सलाह प्रदान करता है।
नीति आयोग की उपाध्यक्ष सुमन बेरी ने कहा कि आयोग ने राज्य और जिला स्तर पर एसडीजी के कार्यान्वयन की प्रगति को देखने के लिए निगरानी उपकरण विकसित किए हैं।
उन्होंने कहा कि यह राज्यों और राज्यों के भीतर संस्थाओं के बीच प्रतिस्पर्धात्मक सहयोग प्रदान करता है, क्योंकि वे अपने प्रयासों को बढ़ाने की कोशिश करते हैं।
सुमन बेरी ने कहा एसडीजी इंडिया इंडेक्स डैशबोर्ड राज्यों के बीच तीव्र प्रतिस्पर्धा पैदा कर रहा है : जो राज्य अच्छा करते हैं, तीसरे चौथे स्थान पर हैं और पहले स्थान तक पहुंचने का प्रयास करते हैं, (जबकि) अन्य राज्य बेहतर करने पर ध्यान केंद्रित करते हैं।
उन्होंने कहा, प्रतिस्पर्धा की भावना राज्यों को बेहतर करने के लिए प्रेरित कर रही है (और) आप देखेंगे कि इससे बेहतर परिणाम मिले हैं।
मोहम्मद ने कहा, 2030 का एजेंडा हमेशा की तरह प्रासंगिक बना हुआ है, यह अशांत अज्ञात जल को नेविगेट करने के लिए दुनिया का कैम्पास है।
उन्होंने कहा, एसडीजी मानता है कि दुनिया एक अभूतपूर्व तरीके से जुड़ी हुई है और जिस स्तर पर भारत में केंद्र और राज्यों से लेकर जिला और व्यक्तिगत घरेलू स्तर तक अंतसर्ंबध के इस संदेश को अपनाया गया है, वह वास्तव में प्रभावशाली है।
अवर महासचिव उषा मोनारी-राव ने कहा कि भारत का स्थानीयकृत एसडीजी निगरानी का मॉडल अन्य देशों के लिए एक उदाहरण होगा।
उन्होंने कहा, हमारा उद्देश्य इन साझेदारियों (भारत के साथ यूएनडीपी के) से सीखने का विस्तार करना है, ताकि वैश्विक प्रतिबद्धताओं को भारत के भीतर और एक उदाहरण के रूप में उपयोग कर हमेशा दुनियाभर में वैश्विक प्रतिबद्धताओं को हरे, समावेशी और न्यायसंगत कार्यो में बदलने के प्रयासों को प्रेरित किया जा सके।
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Source : IANS