जिमखाना सदस्यों ने वित्त्त मंत्री को पत्र लिखकर मामले में हस्तक्षेप का आग्रह किया
जिमखाना सदस्यों ने वित्त्त मंत्री को पत्र लिखकर मामले में हस्तक्षेप का आग्रह किया
नई दिल्ली:
राजधानी के लुटियंस जोन में स्थित दिल्ली जिमखाना क्लब (डीजीसी) के सदस्य करीब दो साल से क्लब की दशकों पुरानी विशिष्टता को बनाए रखने के लिए केंद्र के साथ कानूनी लड़ाई लड़ रहे हैं।केन्द्र सरकार ने इसके प्रबंधन के लिए एक प्रशासक नियुक्त किया है लेकिन पिछले साल दिसंबर में, क्लब के 90 प्रतिशत से अधिक सदस्यों ने वार्षिक आम बैठक (एजीएम) में क्लब की लेखांकन प्रक्रिया में बदलाव के खिलाफ मतदान किया था । इसके अलावा सदस्यों ने प्रशासक के कई अन्य फैसलों का जोरदार विरोध किया है।
जिमखाना क्लब के सबसे पुराने सदस्यों में से एक ने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और कॉपोर्रेट मामलों के मंत्रालय को 7 जनवरी को,पत्र लिखकर जिमखाना क्लब प्रशासक, उत्तर प्रदेश कैडर के पूर्व आईएएस अधिकारी ओम पाठक के क्लब की बागडोर संभालने के बाद गलत कार्यों तथा उनकी कार्यशैली पर प्रकाश डाला है।
जय भट्टाचार्जी ने एक ईमेल में कहा कि पिछली एजीएम में सदस्यों (शेयरधारकों) के पूर्ण बहुमत द्वारा डीजीसी के खातों को अस्वीका र किया है और सदस्यों के इस कदम को कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय या सरकार द्वारा नजरअंदाज नहीं किया जाना चाहिए। पाठक पिछले एक साल में तीसरे प्रशासक नियुक्त किए गए हैं।
उन्होंने ईमेल में कहा, स्पष्ट रूप से, ओपी (ओम पाठक)की नियुक्ति मामले में बहुत कम सावधानी बरती गई थी। उनका करियर रिकॉर्ड, जहां तक सार्वजनिक डोमेन में उपलब्ध है, चापलूसी भरा रहा है। दिल्ली पब्लिक स्कूल सोसायटी के मामलों में उनकी भागीदारी पर हर जगह सवालिया निशान हैं। यह विश्वास के साथ यह कहना असंभव है कि मंत्रालय या केन्द्र सरकार के ²ष्टिकोण से डीजीसी के प्रशासक के रूप में वह एक अच्छे विकल्प थे।
ईमेल में कहा गया है कि पाठक कई सांस्कृतिक/बौद्धिक कार्यक्रमों की मेजबानी के लिए धन लुटा रहे हैं जो गैर-जरूरी कार्य हैं । क्लब की एजीएम में नए लेखांकन मानदंडों के सेट पर आधारित खाते प्रस्तुत किए गए थे, जिनका पालन देश के किसी भी अन्य धारा 8 क्लबों द्वारा नहीं किया जाता है। लेखांकन नीति के इस परिवर्तन पर इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड एकाउंटेंट्स ऑफ इंडिया के विचार लेने की सांविधिक लेखा परीक्षकों की सलाह की ओपी ने अवहेलना की।
भट्टाचार्जी ने इस बात पर जोर दिया कि दिसंबर 2021 की आखिरी एजीएम में डीजीसी के खातों को सदस्यों (शेयरधारकों) के भारी बहुमत से पूरी तरह से खारिज कर दिया गया था, जिसे कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय या केन्द्र सरकार द्वारा नजरअंदाज नहीं किया जाना चाहिए।
ईमेल के मुताबिक, राज्य मंत्री राव इंद्रजीत सिंह ने हाल ही में क्लब का व्यक्तिगत दौरा किया था।
पिछले साल जुलाई में, भट्टाचार्जी ने क्लब में खराब कॉरपोरेट गवर्नेंस को उजागर करते हुए वित्त मंत्री और कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय को पत्र लिखा था ।
जब कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय ने क्लब में भ्रष्टाचार, कुप्रबंधन और भाई-भतीजावाद का आरोप लगाया था तो नेशनल कंपनी लॉ अपीलेट ट्रिब्यूनल ने पिछले साल 15 फरवरी को क्लब की जनरल कमेटी को भंग कर दिया और केंद्र को इसके मामलों के प्रबंधन के लिए एक प्रशासक नियुक्त करने का निर्देश दिया था।
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