भूजल दोहन करने के मामले को लेकर ग्रेटर नोएडा और ग्रेटर नोएडा वेस्ट के 30 बिल्डरों पर उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (यूपीपीसीबी) ने मुख्यालय से जुमार्ना लगाने की सिफारिश की है। क्षेत्रीय कार्यालय में इस संबंध में मुख्यालय को पत्र लिखकर मांग की गई है कि जुमार्ने के साथ-साथ जल अधिनियम 1974 के तहत कार्रवाई की जाए। यूपीपीसीबी को कार्यवाही की रिपोर्ट 15 मई तक एनजीटी में दाखिल करनी होगी।
एनजीटी में ग्रेटर नोएडा और ग्रेटर नोएडा वेस्ट के 63 प्रोजेक्ट पर बोरवेल से भूजल दोहन की शिकायत की गई थी। एनजीटी के आदेश पर जिला स्तरीय समिति ने इसकी जांच की थी। दो अलग-अलग चरणों में सभी प्रोजेक्ट की जांच की गई थी। जिसमें 41 प्रोजेक्ट पर बोरवेल मिले थे। कुछ जगह एनओसी मिली तो कुछ जगह प्राधिकरण के बोरवेल लगे मिले। एनजीटी ने भूजल दोहन करने वाले बिल्डरों पर कार्रवाई कर 15 मई तक रिपोर्ट मांगी थी। साथ ही बिल्डरों को पर्यावरण क्षतिपूर्ति के रूप में प्रोजेक्ट की कुल कीमत का 0.5 प्रतिशत शुल्क जमा कराने का आदेश दिया था, लेकिन किसी भी बिल्डर ने पर्यावरण क्षतिपूर्ति शुल्क नहीं जमा कराया है। जांच पूरी होने के बाद यूपीपीसीबी ने बिल्डरों पर जुमार्ना लगाने की सिफारिश की है।
जिन बिल्डरों के नाम की सिफारिश जुमार्ना लगाने के लिए की गई है उनमें आर सिटी इंफ्रास्ट्रक्च र, एपीबी रियलिटी, अजनारा रीयलटेक, अरिहंत इंफ्रा रीयल्टी, आस्था इंफ्रासिटी, काउंटी इंफ्रास्ट्रक्च र, धन्या प्रमोटर्स, गैलेक्सी इंटरनेशनल रियेलटेक, पृथ्वी लिंक बिल्डवेल, ला रेजिडेंशिया डेवलपर्स, लकी पॉम वैली, महागुण इंडिया, सुपरसिटी डेवलपर्स, पटेल एडवांस जेबी, एकेजे रीयल इंफ्रा, पंचतत्व प्रमोटर्स, स्टेलर कंसल्टेंट प्रोजेक्ट, सुपरटेक कंस्ट्रक्शन, इको विलेज 3 शामिल हैं। इसके साथ-साथ कई और बिल्डर हैं जिन पर कार्यवाही होनी है।
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Source : IANS