विपक्षी दलों का चुनावी गठबंधन: केंद्र में दोस्त, राज्यों में दुश्मन

बंगाल की सत्तारुढ़ पार्टी तृणमूल कांग्रेस, दिल्ली की आम आदमी पार्टी (AAP), आंध्र प्रदेश की तेलुगू देशम पार्टी (TDP) और केरल के वाम दल सभी ने बीजेपी (BJP) के खिलाफ विपक्षी ताकत का प्रदर्शन करते हुए यदा-कदा कांग्रेस के साथ मंच साझा किया है.

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Vikas Kumar
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विपक्षी दलों का चुनावी गठबंधन: केंद्र में दोस्त, राज्यों में दुश्मन

विपक्षी एकता : केंद्र में दोस्त, राज्यों में दुश्मन

विपक्षी दलों के बीच मेल-मिलाप और चुनाव से पहले महागठबंधन को लेकर बातचीत में प्रगति के बावजूद ऐसा नहीं लग रहा है कि कांग्रेस गैर-बीजेपी शासित राज्य खासतौर से पश्चिम बंगाल, दिल्ली, आंध्र प्रदेश और केरल में सत्ताधारी दलों के साथ लोकसभा चुनाव में गठबंधन कर पाएगी. बंगाल की सत्तारुढ़ पार्टी तृणमूल कांग्रेस, दिल्ली की आम आदमी पार्टी (AAP), आंध्र प्रदेश की तेलुगू देशम पार्टी (TDP) और केरल के वाम दल सभी ने बीजेपी (BJP) के खिलाफ विपक्षी ताकत का प्रदर्शन करते हुए यदा-कदा कांग्रेस के साथ मंच साझा किया है.

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मगर इन राज्यों में जब चुनावी समझौते की बात आती है तो कांग्रेस और संबंधित राज्य के सत्तारुढ़ दल का विश्वास हिल जाता है.

देश की राजधानी में बुधवार को विपक्षी दलों की बैठक के बाद तृणमूल कांग्रेस सुप्रीमो ममता बनर्जी ने घोषणा करते हुए कहा कि भाजपा को शिकस्त देने के लिए दलों के बीच चुनाव पूर्व समझौता और न्यूनतम साझा कार्यक्रम (कॉमन मिनिमम प्रोग्राम) को लेकर सहमति बनी है.

बंगाल में समझौते को तैयार कांग्रेस और वाम ने हालांकि बनर्जी के बयान को गंभीरता से नहीं लिया और इस बात पर जोर दिया कि चुनाव से पहले गठबंधन होने पर भी बंगाल में दोनों दलों के लिए तृणमूल कांग्रेस मुख्य प्रतिद्वंद्वी रहेगी.

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प्रदेश कांग्रेस के एक नेता ने राज्य में सत्ताधारी पार्टी द्वारा उनकी पार्टी के कार्यकर्ताओं और समर्थकों पर लगातार हमले का जिक्र करते हुए कहा कि बंगाल में तृणमूल कांग्रेस के साथ गठबंधन विकासकारी होगा और यह पार्टी के नेताओं से लेकर कार्यकर्ताओं और खासतौर से मतदाताओं को यह पूरी तरह नामंजूर होगा.

इसी प्रकार मार्क्‍सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (MCP) के एक नेता ने कहा कि तृणमूल कांग्रेस के साथ किसी प्रकार की सांठगांठ से वाम दलों के असली मतदाता बिदक जाएंगे.

बंगाल में वाम दल कांग्रेस के साथ दोस्ताना संबंध चाहते हैं लेकिन केरल में वे एक-दूसरे के दुश्मन बने हुए हैं जहां लेफ्ट डेमोक्रेटिक फ्रंट (LDF) और यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (UDF) प्रमुख खिलाड़ी हैं. दोनों मोर्चो ने प्रदेश में किसी प्रकार के समझौते की बात को खारिज कर दिया है. वहीं, भाजपा प्रदेश में सबरीमाला के मसले को लेकर अपनी राह बनाने में जुटी है.

आंध्रप्रदेश में भी कांग्रेस और तेदेपा के बीच समझौते को लेकर संदेह बना हुआ है क्योंकि संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (UPA) सरकार के दूसरे कार्यकाल के दौरान प्रदेश के विभाजन को लेकर कांग्रेस विरोधी जन-भावनाएं पैदा हुई.

तेदेपा और कांग्रेस के साथ मिलकर जोरदार चुनाव अभियान चलाने के बावजूद तेलंगाना विधानसभा चुनाव में इनका प्रदर्शन अच्छा नहीं रहा है और तेलंगाना राष्ट्र समिति (TRS) दोबारा सत्ता में आई.

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तेदेपा नेता जहां प्रदेश में कांग्रेस विरोधी जन-भावनाओं की बात कर रहे हैं वहां कांग्रेस नेता बताते हैं कि तेदेपा शुरू में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) का हिस्सा रही है.

दिल्ली में कांग्रेस और आप के बीच विरोध ज्यादा गंभीर है जिससे दोनों दलों के बीच समझौते की संभावना मुश्किल प्रतीत हो रहा है।

राहुल गांधी ने बुधवार को विपक्षी दलों की बैठक के बाद स्पष्ट कर दिया कि कांग्रेस आप के साथ गठबंधन को लेकर वचनबद्ध नहीं है. उन्होंने यह भी कहा कि दिल्ली में आप और बंगाल में तृणमूल के साथ गठबंधन पर कोई फैसला नहीं हुआ है.

Source : IANS

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