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बीफ बैन: बैकफुट पर मोदी सरकार, रविशंकर बोले, खाने की आदत पर लगाम नहीं लगा सकते

केंद्रीय कानून एवं न्याय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने गुरुवार को कहा कि लोगों की खाने की आदत पर लगाम नहीं लगाया जा सकता, लेकिन एक संतुलन बनाने की जरूरत है।

Updated on: 16 Jun 2017, 12:11 AM

highlights

  • रविशंकर प्रसाद ने कहा,  हम लोगों के खाने की आदत को नियंत्रित नहीं कर सकते, एक संतुलन होना चाहिए
  • रविशंकर ने कहा, हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि लोगों का एक बड़ा तबका गाय का आदर तथा उसी पूजा करता है
  • राजनाथ सिंह भी बीफ को लेकर नई अधिसूचना पर दे चुके हैं सफाई

नई दिल्ली:

केंद्रीय कानून एवं न्याय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने गुरुवार को कहा कि लोगों की खाने की आदत पर लगाम नहीं लगाया जा सकता, लेकिन एक संतुलन बनाने की जरूरत है, क्योंकि देश में बड़ी तादाद में लोग गाय की पूजा करते हैं।

रविशंकर प्रसाद ने यहां संवाददाताओं से कहा, 'हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि लोगों का एक बड़ा तबका गाय का आदर तथा उसी पूजा करता है। हम लोगों के खाने की आदत को नियंत्रित नहीं कर सकते। एक संतुलन होना चाहिए।'

केंद्र में मोदी सरकार के तीन साल पूरा होने के मौके पर मंत्रालय की उपलब्धियां गिनाने के लिए प्रेस वार्ता का आयोजन किया गया था, जिसमें मंत्री ने ये बातें कहीं।

कानून मंत्री ने राज्य के नीति निर्देशक सिद्धांत के तहत संविधान के अनुच्छेद 48 का जिक्र किया, जो कहता है, 'राज्य को नस्ल सुधार कर तथा पशुवध पर रोक लगा कर आधुनिक एवं वैज्ञानिक तरीके से कृषि और पशुपालन को संगठित करने की जिम्मेदारी दी गई है।'

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बीते 13 जून को केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने कहा था कि केंद्र लोगों के खाने की पसंद पर किसी तरह की रोक नहीं लगाएगा। उनका बयान मिजोरम की राजधानी आईजोल में एक बीफ पार्टी के आयोजन के एक दिन बाद आया था।

 

रविशंकर प्रसाद ने कहा कि केंद्रीय पर्यावरण एवं वन मंत्री हर्षवर्धन पहले ही कह चुके हैं कि केंद्र सरकार अधिसूचना की समीक्षा करने के लिए तैयार है।

उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अतीत में मुद्दे पर 'बेहद कड़े शब्दों' में बोल चुके हैं।

बीते तीन वर्षो में उनके मंत्रालय के तहत कानून, न्याय एवं विधायी विभाग में कानून की उपलब्धियों की चर्चा करते हुए रविशंकर प्रसाद ने कहा कि संख्या, गति तथा कार्यशैली के मामले में पिछली संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार की तुलना में यह काफी आगे है।

न्यायालयों में भारी तादाद में लंबित मुकदमों की ओर इशारा करते हुए उन्होंने कहा कि देशभर के उच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों से 10 साल या उससे अधिक समय से लंबित मामलों (दीवानी तथा आपराधिक दोनों) को त्वरित तौर पर निपटाने के लिए वह पत्र लिखेंगे।

सर्वोच्च न्यायालय तथा उच्च न्यायालय में न्यायाधीशों की नियुक्ति को लेकर प्रक्रिया ज्ञापन (एमओपी) के पूरा होने के मुद्दे पर कानून मंत्री ने कहा, 'काम जारी है। कई मुद्दों पर विचार-विमश किया गया और सर्वसम्मति बन गई।'

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एमओपी के पूरा होने से पहले जो मुद्दे अभी तक नहीं सुलझ पाए हैं, उसे बारे में चर्चा करने से इनकार करते हुए मंत्री ने कहा कि सरकार तथा शीर्ष न्यायालय के बीच के मुद्दों के मीडिया के सामने उजागर नहीं किया जा सकता।

उन्होंने कहा कि एमओपी के पूरा न होने से न्यायिक नियुक्तियों पर किसी तरह का प्रभाव नहीं पड़ रहा है और साल 2016 में विभिन्न उच्च न्यायालयों में सर्वाधिक 131 न्यायाधीशों की नियुक्ति का जिक्र किया।