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रथ यात्रा पर बोली ममता बनर्जी, धार्मिक यात्रा से नहीं दंगा यात्रा से है दिक्कत

सुप्रीम कोर्ट ने 24 दिसम्बर को रथ यात्रा की अनुमति को लेकर बीजेपी की याचिका पर तुरंत सुनवाई करने से इनकार कर दिया है.

Updated on: 28 Dec 2018, 10:54 PM

नई दिल्ली:

कोलकाता में बीजेपी (भारतीय जनता पार्टी) की रथ यात्रा को लेकर ममता सरकार और राज्य की बीजेपी इकाई के बीच चल रही खींचतानी के बीच पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने शुक्रवार को कहा कि यह यात्रा लोगों को मारने के लिए है. उन्होंने कहा, 'ISKCON भी रथ यात्रा का आयोजन करता है. वे जगन्नाथ रथ यात्रा करते हैं लेकिन वो लोगों को मारने के लिए रथ यात्रा नहीं निकालते हैं. जो लोगों को मारने के लिए रथ यात्रा का आयोजन करते हैं उनकी दंगा यात्रा में आसक्ति होती है. भगवान कृष्ण और जगन्नाथ की रथ यात्रा भी निकलेगी, मैं ख़ुद उसमें भाग लूंगी.'

ममता ने 'भोगी' करार देते हुए बीजेपी नेताओं पर हमला करते हुए कहा कि इस पार्टी को यह तय करने का कोई अधिकार नहीं है कि लोग किस धर्म का पालन करें. मुख्यमंत्री ने कहा, 'ये कथित योगी, योगी नहीं बल्कि भोगी हैं. उनलोगों ने लोगों को अचानक धर्म पर फरमान देना शुरू कर दिया है. यह तय करने वाले वे कौन होते हैं?' उन्होंने कहा, 'मेरा धर्म मेरी पसंद का है. हमलोग धर्मनिरपेक्ष हैं. हम सभी ईश्वर की प्रार्थना करते हैं और सभी धर्मों का आदर करते हैं. हम हिंदू धर्म से उतना ही प्यार करते हैं जितना इस्लाम, सिख और इसाई धर्म से.

बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने 24 दिसम्बर को रथ यात्रा की अनुमति को लेकर बीजेपी की याचिका पर तुरंत सुनवाई करने से इनकार कर दिया है. बीजेपी ने कलकत्ता हाई कोर्ट के उस आदेश के खिलाफ अपनी याचिका पर तत्काल सुनवाई की मांग की जिसमें पश्चिम बंगाल में उसे रथ यात्रा निकाले जाने की अनुमति नहीं दी गई थी.

सुप्रीम कोर्ट रजिस्ट्री कलकत्ता उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ बीजेपी की याचिका पर अविलंब सुनवाई के पक्ष में नहीं है. यह जानकारी पार्टी से जुड़े एक वकील ने दी. बीजेपी के वकील ने कहा कि रजिस्ट्री ने उन्हें सूचित किया कि मामले को सामान्य प्रक्रिया में सूचीबद्ध किया जाएगा.

बता दें कि बीजेपी ने कलकत्ता हाई कोर्ट की खंडपीठ द्वारा पश्चिम बंगाल में पार्टी की रथ यात्रा को एकल पीठ द्वारा दी गई सशर्त मंजूरी को खारिज किए जाने के आदेश को चुनौती देते हुए सोमवार को सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया. बीजेपी मामले की जल्द सुनवाई की मांग को लेकर शीर्ष अदालत पहुंची है जबकि अदालत का शीत अवकाश सत्र चल रहा है.

बीजेपी की 'लोकतंत्र बचाओ रैलियों' की योजनाओं को उस वक्त तगड़ा झटका लगा, जब हाई कोर्ट की खंडपीठ ने 21 दिसम्बर को एकल पीठ द्वारा कार्यक्रम को दी गई सशर्त मंजूरी के आदेश को खारिज कर दिया. एकल पीठ ने कहा था कि पार्टी को अपने आंदोलन के दैरान किसी प्रकार का संकट पैदा नहीं करना चाहिए, क्योंकि इसके लिए उसे ही जिम्मेदार ठहराया जाएगा.

मुख्य न्यायाधीश देवाशीष करगुप्ता और न्यायमूर्ति शम्पा सरकार की खंडपीठ ने मामले को वापस एकल पीठ के पास भेज दिया है और निर्देश दिया कि एकल पीठ राज्य की एजेंसियों द्वारा मुहैया कराई गई खुफिया जानकारी पर विचार करे.

ममता बनर्जी सरकार ने एकल पीठ के 20 दिसम्बर के आदेश के खिलाफ व मामले की तुरंत सुनवाई के लिए खंडपीठ के समक्ष एक अपील दायर की थी.

न्यायमूर्ति तपाब्रत चक्रवर्ती की एकल पीठ के आदेश को खारिज करते हुए खंडपीठ ने एकल पीठ को 31 पुलिस थानों और पांच पुलिस कमिश्नरेट से मिली 36 खुफिया जानकारियों का अध्ययन करने का आदेश दिया, जिसे राज्य सरकार ने पीठ के समक्ष दाखिल किया है.

ममता बनर्जी नीत तृणमूल कांग्रेस सरकार ने बीजेपी की रथ यात्रा निकालने की अर्जी को खारिज कर दिया था और तर्क दिया था कि कार्यक्रम के परिणामस्वरूप सांप्रदायिक हिंसा होने की गंभीर आशंका है.

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बीजेपी की उत्तरी बंगाल के कूच बिहार, दक्षिण 24 परगना जिले के गंगासागर और बीरभूम जिले के तारापीठ के मंदिर कस्बे तक तीन रथ यात्रा रैलियां प्रस्तावित हैं. इन्हें पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह सात, नौ और 14 दिसंबर को हरी झंडी दिखाकर रवाना करने वाले थे.