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'बीजेपी भगाओ देश बचाओ' रैली में लालू की राजनीतिक साख दांव पर

'बीजेपी भगाओ, देश बचाओ' रैली के पूर्व ही बीजेपी के विरोधी दलों के कई महत्वपूर्ण नेताओं के इसमें नहीं आने के ऐलान से विरोधी दलों की एकता की मुहिम को झटका लगा है।

Updated on: 26 Aug 2017, 12:03 AM

नई दिल्ली:

बिहार की सत्ता से हाल में ही दूर हुए राष्ट्रीय जनता दल (राजद) की 27 अगस्त को पटना के ऐतिहासिक गांधी मैदान में होने वाली 'बीजेपी भगाओ, देश बचाओ' रैली को न केवल राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद के शक्ति प्रदर्शन के तौर पर देखा जा रहा है बल्कि इस रैली को उनकी राजनीतिक साख और राजनीतिक पूंजी से जोड़कर भी देखा जा रहा है। 

रैली के पूर्व ही बीजेपी के विरोधी दलों के कई महत्वपूर्ण नेताओं के इसमें नहीं आने के ऐलान से विरोधी दलों की एकता की मुहिम को झटका लगा है।

महागठबंधन तोड़कर नीतीश कुमार के बीजेपी के साथ जा मिलने के बाद पटना में होने वाली राजद की इस रैली में सोनिया गांधी, राहुल गांधी और मायावती के नहीं आने से रैली का राजनीतिक रंग फीका होना तय माना जा रहा है। कांग्रेस की तरफ से राज्यसभा में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद और बिहार प्रभारी सी़ पी़ जोशी रैली में शरीक होंगे।

राजद के उपाध्यक्ष रघुवंश प्रसाद सिंह ने आईएएनएस से कहा कि यह अभूतपूर्व रैली होगी। उन्होंने कहा कि यह रैली राजद की रैली है, जिसमें एक विचार के दलों को आमंत्रित किया गया है। इन दलों में कई बड़े नेता हैं। सोनिया गांधी और राहुल गांधी बड़े नेता हैं, वे लोग अपना प्रतिनिधि भेज रहे हैं। सिंह ने दावा कि यह विशाल रैली होगी, अगर सभी नेता पहुंच गए, तब क्या होगा? 

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बिहार के 38 में 19 जिलों के बाढ़ प्रभावित होने से भी रैली में भीड़ जुटने पर सवालिया निशान लगा है। लेकिन, राजद के कार्यकर्ता इस रैली को लेकर काफी उत्साहित हैं। पूर्व उप मुख्यमंत्री और राजद नेता तेजस्वी प्रसाद यादव ने भी कई क्षेत्रों में जाकर लोगों को इस रैली में आने का आमंत्रण दिया है। 

राजद के प्रवक्ता मनोज झा ने कहा, 'इस रैली की सफलता को लेकर कोई शंका नहीं होनी चाहिए। इस रैली में ही संभावित 2019 के लोकसभा चुनाव की स्क्रिप्ट लिखी जानी है।' 

जानकार कहते हैं कि इस रैली में प्रमुख बीजेपी विरोधी नेताओं की अनुपस्थिति और बाढ़ के बावजूद अगर राजद भीड़ जुटा लेती है, तब इस रैली को सफल माना जाएगा।

बिहार की राजनीति पर नजदीक से नजर रखने वाले पटना के पत्रकार संतोष सिंह कहते हैं, 'लालू जब-जब मुसीबत में फंसे हैं तब-तब उन्होंने रैली का आयोजन कर सामाजिक न्यास, धर्मनिपेक्षता जैसे मुद्दों को हवा दी है। यह उनका अपना स्टाइल है। एक बार फिर वे भ्रष्टाचार के मामले में घिरे हैं और रैली का आयोजन कर रहे हैं।' 

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सिंह मानते हैं कि यह रैली भी लालू को राजनीतिक संजीवनी देगी। उनका कहना है कि लालू इस रैली के माध्यम से राजनीतिक दलों को भी यह संदेश देने की कोशिश करेंगे कि उनका जनाधार अभी भी कायम है। ऐसे में लालू की राजनीतिक साख इस रैली से जुड़ी है। 

रैली में बीजेपी विरोधी दलों के नेताओं के मुख्य चेहरों में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, जद (यू) से बागी हुए शरद यादव और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव का भाग लेना तय माना जा रहा है।

जद (यू) इस रैली को लेकर राजद पर निशाना साध रहा है। जद (यू) के प्रवक्ता संजय सिंह कहते हैं कि यह रैली भ्रष्टाचार के आरोप में घिरे लालू परिवार के सदस्यों के चेहरों को साफ दिखाने की कोशिश है। उन्होंने कहा कि यह रैली लालू अपने दोनों बेटों को राजनीति में स्थापित करने के लिए बुला रहे हैं। 

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