किसी भी सूरत में रेप पीड़ितों की पहचान सार्वजनिक न हो- सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने अहम फैसले में कहा है कि रेप पीड़ितों की पहचान किसी भी सूरत में मीडिया या जांच एजेंसियों की ओर से उजागर नहीं होनी चाहिए.

सुप्रीम कोर्ट ने अहम फैसले में कहा है कि रेप पीड़ितों की पहचान किसी भी सूरत में मीडिया या जांच एजेंसियों की ओर से उजागर नहीं होनी चाहिए.

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Vineeta Mandal
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किसी भी सूरत में रेप पीड़ितों की पहचान सार्वजनिक न हो- सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने अहम फैसले में कहा है कि रेप पीड़ितों की पहचान किसी भी सूरत में मीडिया या जांच एजेंसियों की ओर से उजागर नहीं होनी चाहिए. कोर्ट ने साफ किया कि ऐसे रेप पीड़ित जिनकी मौत भी हो चुकी है,या मानसिक रूप से कमज़ोर है, उनकी पहचान भी सार्वजनिक नहीं की जा सकती, भले ही उनके घरवालों ने इसकी इजाजत दे दी हो. सुप्रीम कोर्ट ने पुलिस से कहा है कि रेप और पॉक्सो एक्ट के मामलों में पुलिस एफआईआर वेबसाइट पर अपलोड न करें. फोरेंसिक लैब भी सीलबंद कवर में ही रिपोर्ट को कोर्ट में पेश करें.

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कोर्ट ने कहा- ये दुर्भाग्यपूर्ण है कि देश में रेप पीड़ितों को ऐसे ट्रीट किया जाता है , जैसे उनकी ही ग़लती हो और उल्टे उन्हें ही सामाजिक बॉयकॉट और प्रताड़ना को झेलना पड़ता है. इस मानसिकता को बदलने की ज़रूरत है। कोर्ट ने राज्यों / केंद्र शासित प्रदेशों को निर्देश दिया कि वो एक साल में जिले में ऐसे केंद्र स्थापित करे कि जो रेप पीड़ितों के पुर्नवास और उनसे जुड़े दूसरे मसलों को डील करें.

मीडिया को नसीहत

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मीडिया को किसी अपराध की घटना को न केवल रिपोर्ट करने का अधिकार है, बल्कि ये उसकी ड्यूटी भी है, लेकिन ऐसे मामलों की रिपोर्टिंग, बिना सनसनी फैलाये, संज़ीदगी के साथ कि चाहिए। मीडिया कर्मियों को रेप पीड़ित के इंटरव्यू से बचना चाहिए.

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर किसी वजह से लोकहित में किसी रेप पीड़ित की पहचान सार्वजनिक करना ज़रूरी भी है तो तो इसका फैसला सिर्फ कोर्ट करेगी.

Source : News Nation Bureau

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