कोयला मंत्रालय ने खानों में कोयले के सड़क परिवहन को समाप्त करने के लिए एक रणनीति तैयार की है। इसके लिए केंद्रीय कोयला मंत्रालय फर्स्ट माइल कनेक्टिविटी (एफएमसी) और कोयला क्षेत्रों में रेल नेटवर्क को मजबूत करने पर काम कर रहा है। कोयला मंत्रालय अब 67 एफएमसी परियोजनाओं के साथ प्रति वर्ष 885 एमटी कोयला लोड करने की क्षमता पर काम कर रहा है। मंत्रालय क मुताबित फर्स्ट माइल कनेक्टिविटी की ये परियोजनाएं 2027 तक पूरी कर ली जाएंगी।
इसका सबसे बड़ा लाभ कोयले की प्रभावी लागत, तेज और पर्यावरण-अनुकूल तरीके से कोयला का परिवहन है। कोयला मंत्रालय ने कोयला कंपनियों की फस्र्ट माइल कनेक्टिविटी परियोजनाओं की प्रगति का आकलन करने के लिए समीक्षा बैठक की है। यह बैठक शुक्रवार को मंत्रालय के अपर सचिव एम. नागराजू की अध्यक्षता में हुई।
खानों से कोयले के सड़क द्वारा ढुलाई को खत्म करने के लिए मंत्रालय ने एफएमसी परियोजना के तहत मशीनीकृत कोयला ढुलाई और लोडिंग प्रणाली में सुधार की योजना विकसित की है। क्रशिंग, कोयले का आकार, और त्वरित कंप्यूटर-असिस्टेड लोडिंग कोल हैंडलिंग प्लांट्स (सीएचपी) और रैपिड लोडिंग सिस्टम वाले एसआईएलओ के फायदे हैं।
समीक्षा बैठक में बताया गया कि कम मानवीय हस्तक्षेप, सटीक पूर्व-तौलित मात्रा, तेज लोडिंग, और बेहतर कोयले की गुणवत्ता - ये सभी एफएमसी परियोजनाओं के लाभ हैं। लदान समय कम होने पर रेक और वैगन अधिक आसानी से उपलब्ध होंगे। सड़कों पर कम ट्रैफिक होने की वजह से प्रदूषण कम होगा और डीजल की खपत भी कम होगी।
कोयला मंत्रालय के मुताबिक वित्त वर्ष 2025 में 1.3 बिलियन टन और वित्त वर्ष 2030 में 1.5 बिलियन टन कोयला उत्पन्न करने का लक्ष्य रखा है ताकि भारत की ऊर्जा सुरक्षा को बढ़ाया जा सके और आयातित कोयले की जगह घरेलू रूप से खनन किए गए कोयले को प्रतिस्थापित करके आत्मनिर्भर भारत की तरफ कदम बढ़ाया जा सके। एक प्रमुख उद्देश्य पर्यावरण के अनुकूल, त्वरित और लागत प्रभावी कोयला परिवहन का विकास है।
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Source : IANS