कांग्रेस ने शनिवार को आरोप लगाया कि केंद्र वसूली में देरी कर निजी टेलीकॉम कपंनियों को फायदा पहुंचा रहा है. उल्लेखनीय है कि एक दिन पहले ही उच्चतम न्यायालय ने अपने आदेश के बावजूद टेलीकॉम कंपनियों को दूरसंचार विभाग को देनदारी नहीं जमा करने पर फटकार लगाई थी. कांग्रेस नेता रणदीप सुरजेवाला (Randeep Surjewala) ने सवाल किया कि मोदी सरकार को टेलीकॉम कंपनियों से वसूली में देरी के बदले क्या मिला?.
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उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को टेलीकॉम कंपनियों के शीर्ष कार्यकारियों से पूछा कि क्यों न अक्टूबर 2019 में दूरसंचार विभाग को समायोजित सकल राजस्व (एजीआर) के रूप में 1.47 लाख करोड़ का भुगतान करने के आदेश का अनुपालन नहीं करने पर अवमानना की कार्यवाही शुरू की जाए. कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने आरोप लगाया कि 23 जनवरी को नरेंद्र मोदी सरकार के जारी आदेश में टेलीकॉम कंपनियों से वसूली और कोई दंडात्मक कार्रवाई नहीं करने को कहा गया. कांग्रेस नेता ने आरोप लगाया कि केंद्रीय मंत्रिमंडल ने पिछले साल नवंबर में टेलीकॉम कंपनियों से 42 हजार करोड़ रुपये (स्पेक्ट्रम नीलामी किस्त) की वसूली टालने का फैसला किया था.
सुरजेवाला ने आगे कहा कि मोदी सरकार टेलीकॉम कंपनियों के द्वारा लूट रही है. 112 करोड़ मोबाइल ग्राहकों को लूटा जा रहा है. टेलीकॉम कंपनियां ग्राहकों से 1,60,028 करोड़ की जबरन उगाही कर रही हैं. ग्राहकों के टैरिफ प्लान को 40 प्रतिशत बढ़ाया गया. मोदी जी का यह संयोग और प्रयोग है. पैसे के दम पर कोर्ट के आदेश रोके जा रहे हैं.
बता दें कि भारती एयरटेल ने शुक्रवार को दूरसंचार विभाग को 10,000 करोड़ रुपये का बकाया 20 फरवरी तक देने, और उच्चतम न्यायालय में समायोजित सकल राजस्व (एजीआर) मामले अगली सुनवाई से पहले बाकी बकाया चुकाने की पेशकश की. उच्चतम न्यायालय की तल्ख टिप्पणी के बाद दूरसंचार विभाग ने शुक्रवार को सभी दूरसंचार ऑपरेटरों को दिन के अंत तक अपना बकाया चुकाने का निर्देश दिया था.
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एयरटेल ने दूरसंचार विभाग के सदस्य (वित्त) को भेजे पत्र में कहा कि माननीय उच्चतम न्यायालय के फैसले और उनके निर्देश के अनुपालन में हम 20 फरवरी 2020 तक भारती समूह की कंपनियों की ओर से 10,000 करोड़ रुपये (खाते में) जमा कर देंगे. एयरटेल पर सरकार का करीब 35,586 करोड़ रुपये बकाया है, जिसमें लाइसेंस शुल्क और स्पेक्ट्रम उपयोग शुल्क शामिल हैं.