कांग्रेस सीडब्ल्यूसी की बैठक में संगठन चुनाव की तारीख तय
कांग्रेस सीडब्ल्यूसी की बैठक में संगठन चुनाव की तारीख तय
नई दिल्ली:
कांग्रेस पार्टी ने संगठन चुनाव प्रक्रिया की तारीख तय कर दी है। पार्टी की कार्य समिति की बैठक (सीडब्ल्यूसी) में संगठन चुनाव प्रक्रिया का प्रस्ताव पारित किया गया। अगले साल सितंबर तक पार्टी को नया अध्यक्ष मिल जाएगा।सीडब्ल्यूसी की बैठक के बाद कांग्रेस के प्रमुख प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला और केसी विणुगोपाल ने संयुक्त प्रेसवार्ता कर कहा, पूरी बैठक के दौरान 52 में से 42 नेताओं ने सीडब्ल्यूसी में अपनी बात रखी। 18 महीने के बाद कांग्रेस की व्यक्तिगत बैठक हुई, तीन प्रस्ताव पारित किए गए।
के सी वेणुगोपाल ने कहा, बैठक में तीन मुद्दों पर प्रस्ताव पेश किया गया। देश के ताजा राजनीतिक हालात, किसानों के मुद्दे पर, देश की अंतरिक सुरक्षा पर चर्चा की। नागालैंड-असम-मिजोरम सिमा विवाद पर प्रस्ताव में चर्चा की गई। जिस प्रकार से देश की केंद्रीय एजेंसियों का इस्तेमाल किया गया। बैठक में बहुत सारे साथियों ने ये मांग उठाई की राहुल गांधी को अध्यक्ष बनाया जाए। साथ ही सोनिया गांधी को अन्तरिम अध्यक्ष की बजाए पूर्ण कालिक अध्यक्ष बने रहने की मांग की गई।
वहीं बैठक में जिन राज्यों में चुनाव हैं उन राज्यों के महासचिव प्रभारियों ने राज्य में उठाये गए कदम की जानकारी दी। इसके साथ ही संगठन चुनाव को लेकर। पार्टी में अब नेताओं और कार्यकतार्ओं का पार्टी में ट्रेनिंग प्रोग्राम चलाया जाएगा। राज्य, डिस्ट्रिक्ट, ब्लॉक लेवल पर ट्रेनिंग प्रोग्राम और जन जागरण अभियान देशभर में केंद्र सरकार के खिलाफ चलाया चलाया जाएगा। पदयात्रा की जाएगी।
सुरजेवाला ने कहा चुनाव के मद्देनजर, 12 से 15 नवम्बर सेवा ग्राम वर्धा में एक प्रवास का आयोजन किया जायेग। इस दौर पार्टी की ओर से ट्रेनिंग सेशन का आयोजन किया जाएगा। जिसमें पार्टी के वरिष्ठ नेता शामिल होंगे।
केसी विणुगोपाल ने कहा, 1 नवंबर से पार्टी का सदस्यता अभियान शुरू किया जाएगा। 1 अप्रैल- 31 अप्रैल 2022 तक अध्यक्ष के पद के लिए नामंकन की तारीख रहेगी। 21 अगस्त-21 सितंबर तक पार्टी का अध्यक्ष चुन लिया जायेगा। वही सीडब्ल्यूसी के सदस्यों का चुनाव 31 अक्टूबर तक कर लिया जायेगा।
गौरतलब है कि सोनिया गांधी ने बैठक में कहा, इस बार हम किसानों और किसान संगठनों द्वारा जारी आंदोलन की पृष्ठभूमि में मिल रहे हैं। संसद के माध्यम से तीन कृषि कानून को वापस लेने की मांग करते एक साल से अधिक समय हो गया है। हमारे विरोध के बाद भी मोदी सरकार उन्हें पारित कराने पर तुली हुई थी ताकि कुछ निजी कंपनियों को फायदा हो सके। किसानों ने तुरंत अपना विरोध शुरू कर दिया और तब से अब तक बहुत कुछ झेला है। लखीमपुर-खीरी की चौंकाने वाली घटनाएं हाल ही में भाजपा लगातार किसानों को धोखा देती रही है।
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