कांग्रेस ने राहुल गांधी की लोकसभा सदस्यता रद्द किए जाने को साजिश करार देते हुए इसे भारतीय लोकतंत्र का काला दिवस बताया है।
कांग्रेस महासचिव और कर्नाटक प्रभारी रणदीप सिंह सुरजेवाला ने ट्वीट कर कहा, लोकतंत्र में आज काला दिवस है ! आज बोलने के अधिकार पर धब्बा है! आज भगोड़ों और बैंक जालसाजों को बुलावा देने की मौत की घंटी है!
आज अडानी में जेपीसी की मांग के लिए पीएम के अंधे बदला का दिन है! आज का दिन सच्चाई के लिए लड़ने और झुकने का नहीं है!
वहीं कांग्रेस ने आधिकारिक ट्वीट हैंडल से ट्वीट कर कहा, राहुल गांधी की लोकसभा सदस्यता खत्म कर दी गई। वह आपके और इस देश के लिए लगातार सड़क से संसद तक लड़ रहे हैं, लोकतंत्र को बचाने की हर सम्भव कोशिश कर रहे हैं। हर षड्यंत्र के बावजूद वह यह लड़ाई हर कीमत पर जारी रखेंगे और इस मामले में न्यायसंगत कार्यवाही करेंगे। लड़ाई जारी है।
कांग्रेस सांसद अधीर रंजन चौधरी ने इसे प्रतिशोध की नीति करार देते हुए कहा, राहुल गांधी की सदस्यता रद्द करना मोदी सरकार की प्रतिशोध की नीति का उदाहरण है। भारत जोड़ो यात्रा से राहुल गांधी की लोकप्रियता बहुत बढ़ी है और मोदी सरकार को यही हजम नहीं हो रहा। उन्हें लग रहा है कि राहुल गांधी का मुंह बंद करना होगा क्योंकि अगर उन्हें बोलने दिया गया तो बीजेपी सरकार से बाहर हो जाएगी।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि राहुल गांधी की लोकसभा सदस्यता खत्म करना तानाशाही का एक और उदाहरण है। बीजेपी ये न भूले कि यही तरीका उन्होंने इन्दिरा गांधी के खिलाफ भी अपनाया था और मुंह की खानी पड़ी थी। राहुल गांधी देश की आवाज हैं, जो इस तानाशाही के खिलाफ अब और मजबूत होगी। भारत जोड़ो यात्रा में राहुल गांधी ने महंगाई, बेरोजगारी, भ्रष्टाचार और हिंसा का मुद्दा उठाया। इन पर ध्यान देने की जगह भाजपा सरकार राहुल के खिलाफ दमनकारी कदम उठा रही है।
कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने कहा, अदालत के फैसले के 24 घंटे के भीतर इस कार्रवाई और इसकी तेजी से मैं स्तब्ध हूं। यह हमारे लोकतंत्र के लिए अशुभ संकेत है।
वहीं दिग्विजय सिंह ने कहा कि ये सब पीएम मोदी के निर्देश में हुआ है, हम जेल जाने को तैयार हैं, अडानी पर जेपीसी करवा के रहेंगे।
राहुल गांधी को गुजरात की अदालत द्वारा वर्ष 2019 के मोदी उपनाम मानहानि मामले में दोषी करार दिए जाने और उन्हें दो वर्ष कैद की सजा सुनाए जाने की वजह से लोकसभा सचिवालय ने यह फैसला लिया और अब उनकी संसद की सदस्यता खत्म हो गई है।
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Source : IANS