झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने केंद्रीय बजट 2023- 24 पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा, इस वर्ष के बजट से करोड़ों आदिवासी, दलित, पिछड़े, किसान, युवा, महिला और मजदूर बड़ी उम्मीदें लगाये हुए थे, लेकिन इसमें उनकी जेब काटकर पूंजीपतियों को सहूलियत दी गई है।
उम्मीद थी कि कोरोना के चलते स्वास्थ्य, शिक्षा, रोजगार के जो सेक्टर सबसे ज्यादा प्रभावित हुए थे, उसे लेकर विशेष प्रबंध किये जाएंगे। हमें उम्मीद थी कि जीएसटी कंपनसेशन के लिए समय बढ़ाया जाएगा, लेकिन आशा के विपरीत शिक्षा, स्वास्थ्य एवं ग्रामीण भारत की जीवन रेखा मनरेगा के बजट में कटौती की गई है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि नौकरी, रोजगार, महंगाई आदि विषय पर बजट की चुप्पी चिंताजनक है। विभिन्न कृषि उत्पादों पर मिलने वाले न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) को बढ़ाने पर कोई चर्चा नहीं की गई है। मुझे तो लगता है कि उन्होंने (केंद्र सरकार) मान लिया है कि इनके घोषणा करने मात्र से ही किसानों की आय दो गुनी हो गयी है ।
मुख्यमंत्री ने कहा कि हम तो झारखंड की नजर से इसमें अपने राज्य के लिए क्या किया गया है, वह ढूंढने का प्रयास कर रहे हैं। हम देश को प्रति किलोमीटर रेल पटरी के आधार पर सबसे ज्यादा मुनाफा कमा कर देने वाले हैं, ऐसे में यात्री रेल के परिचालन का दायरा बढ़ना चाहिए था, हमें नई रेल लाइन मिलनी चाहिए थी, नई ट्रेन मिलनी चाहिए थे। एयरपोर्ट युग से किनका भला होगा वह हम समझते हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा है कि मध्यम वर्ग को सहारा देने के लिए भी सिर्फ शिगूफा मात्र छोड़ा गया है। सात लाख वाली नई टैक्स नीति से लोगों ने क्या खोया क्या पाया वह बाद में समझ में आएगा। बचत को हतोत्साहित करने वाला यह बजट गरीब और मध्यम वर्ग के भविष्य को भी असुरक्षित करने वाला है।
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Source : IANS