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राम मंदिर पर मध्यस्थों को समय देना हिंदुओं की आस्था के साथ खिलवाड़ है: रामदेव

रामदेव ने कहा कि पहले से ही कोर्ट ने इसमें सालों लगा दिया और अब मध्यस्थों को और समय देना ये हिंदुओं की आस्थाओं के साथ खिलवाड़ और अन्याय है.

Updated on: 10 May 2019, 09:05 PM

highlights

  • रामदेव ने कहा मध्यस्थाओं को समय देना गलत
  • मध्यस्था समिति को पूरी रिपोर्ट सौंपने के लिए 15 अगस्त तक का वक्त
  • लोकतंत्र के मूल्यों और आदर्शों का पतन स्वीकार नहीं किया जा सकता 

नई दिल्ली:

योग गुरु बाबा रामदेव ने राम मंदिर पर मध्यस्थों को और समय देने को गलत बताया है. रामदेव ने कहा कि पहले से ही कोर्ट ने इसमें सालों लगा दिया और अब मध्यस्थों को और समय देना ये हिंदुओं की आस्थाओं के साथ खिलवाड़ और अन्याय है. उन्होंने कहा कि चाहे वह हिंदू हो...मुसलमान हो...सिख हो या फिर किसी भी पंथ के सभी भगवान राम के पूर्वज हैं. राम मंदिर पर जल्द न्याय होना चाहिए, चाहे वह न्यायालय से मिले या उनके द्वारा नियुक्त पैरोकारों से मिले. अब राम मंदिर पर और विलंब देश के करोड़ों हिंदुओं की आस्था के साथ खिलवाड़ है.

ममता बनर्जी ऐसी भाषा का इस्तेमाल कर संविधान का अपमान किया है

बाबा रामदेव ने ममता बनर्जी की पीएम मोदी पर विवादित बयान पर भी अपनी प्रतिक्रिया दी. पीएम मोदी को थप्पड़ मारने वाले बयान पर रामदेव ने कहा, 'थप्पड़, जूते, चप्पल मारने, गाली गलौच करना यह लोकतंत्र का अनादर है, इस तरह की अमर्यादित भाषा, अशालीनता, अभद्रता, देश के हजारों शहीदों का संविधान का अपमान है. उन्होंने कहा कि लोकतंत्र के मूल्यों और आदर्शों का पतन किसी भी सूरत में स्वीकार नहीं किया जा सकता है. ऐसी भाषा का इस्तेमाल करने वालों को सबक मिलना चाहिए.

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मुद्दे कभी मरते नहीं हैं, वो हमेशा जिंदा रहते हैं

सिख दंगे के मुद्दे को एक बार फिर से उठाए जाने पर रामदेव ने कहा कि मुद्दे कभी मरते नहीं है, मुद्दे हमेशा जिंदा रहते हैं चाहे वह सिखों के कत्ले आम का हो, राम मंदिर का हो, हजारों करोड़ों के घोटालों का हो, मुद्दे हमेशा जिंदा रहेंगे और रहने चाहिए. यह पक्ष विपक्ष की बात नहीं है, सबकों अपनी बात प्रमाणिकता के साथ रखनी चाहिए, उसमें ओछापन नहीं होना चाहिए.

मध्यस्थता पैनल को दिया 15 अगस्त तक का समय

बता दें कि आज यानी शुक्रवार को तीन सदस्यीय मध्यस्थता समिति ने सुप्रीम कोर्ट को अपनी रिपोर्ट पेश कर दी है. मध्यस्थता कमेटी ने समाधान के लिए तीन महीने तक का समय मांगा जिसे सुप्रीम कोर्ट ने स्वीकार कर लिया. समिति ने कोर्ट से कहा कि 13500 पन्नों का अनुवाद होना बाकि है, इसलिए और वक्त चाहिए. इस पर कोर्ट ने मध्यस्था समिति को पूरी रिपोर्ट सौंपने के लिए 15 अगस्त तक का वक्त दे दिया है.