राम मंदिर के मॉडल में हो सकता है बदलाव, एक मंजिल और जोड़ने का प्रस्ताव
अयोध्या में भव्य राम मंदिर के करीब तीन दशक पुराने विश्व हिन्दू परिषद के ‘नक्शे’ में बदलाव कर इसकी ऊंचाई बढ़ाते हुए एक और मंजिल जोड़ी जा सकती है.
दिल्ली:
अयोध्या (Ayodhya) में भव्य राम मंदिर के करीब तीन दशक पुराने विश्व हिन्दू परिषद (Vishwa Hindu Parishad) के ‘नक्शे’ में बदलाव कर इसकी ऊंचाई बढ़ाते हुए एक और मंजिल जोड़ी जा सकती है. विश्व हिन्दू परिषद के नक्शे में प्रस्तावित मंदिर को अष्टकोणीय आकृति में बनाने का खाका तैयार किया गया था. इसके अनुसार, मंदिर में पांच प्रवेशद्वार (सिंह द्वार, नृत्य मंडप, रंग मंडप, पूजा-कक्ष और गर्भगृह) होंगे तथा रामलला की मूर्ति निचले तल पर विराजमान होगी. मंदिर में लोहे का इस्तेमाल नहीं किया जाएगा. ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय (Champat Rai) एवं इसके सदस्य विमलेन्द्र मोहन प्रताप मिश्र, डा. अनिल मिश्र की बृहस्पतिवार को ट्रस्ट के भवन निर्माण समिति के अध्यक्ष नृपेन्द्र मिश्रा के साथ बैठक हुई जिसमें करीब डेढ़ घंटे तक प्रस्तावित मंदिर संबंधी विषयों पर चर्चा हुई.
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विहिप चाहता है कि मंदिर पुराने नक्शे के आधार पर ही बनाया जाए क्योंकि इसमें बदलाव से निर्माण कार्य में ज्यादा समय लगेगा. सूत्रों ने बताया, ‘मंदिर के पुराने नक्शे में कुछ बदलाव कर उसे भव्य रूप प्रदान करने का सुझाव आया है. अब मंदिर के लिये 2 मंजिल के बजाय 3 मंजिल बनाने तथा एक मंडप और एक अतिरिक्त मंजिल के साथ 35 फुट ऊंचे शिखर का विस्तार करने पर मंथन हो रहा है.’
सूत्रों ने बताया कि वर्तमान में प्रस्तावित राम मंदिर की ऊंचाई 125 फुट है, जिसे करीब 160 फुट किया जा सकता है. इस बारे में पूछने पर राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के कोषाध्यक्ष स्वामी गोविंददेव गिरि जी ने ‘पीटीआई भाषा’ को बताया, ‘मंदिर का मॉडल विहिप के नक्शे पर आधारित होगा. इसके ‘आकार’ और ‘स्केल’ में कुछ बदलाव हो सकता है.’ एक ट्रस्टी ने बताया कि नृपेन्द्र मिश्र भवन निर्माण समिति की बैठक कर निर्माण कार्य संबंधी कार्य योजना प्रस्तुत करेंगे.
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नृपेन्द्र मिश्रा के नेतृत्व में एक समिति का गठन किया गया है जो विशेषज्ञों एवं अन्य लोगों से विचार विमर्श कर यह तय करेगी कि निर्माण कार्य कब से शुरू किया जाए और इसकी रूपरेखा क्या हो? गौरतलब है कि ट्रस्ट ने नृपेंद्र मिश्रा को मंदिर निर्माण समिति का अध्यक्ष नियुक्त किया है. मिश्रा नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने पर उनके पहले कार्यकाल में प्रधान सचिव थे.
उल्लेखनीय है कि शिल्पी चंद्रकांत सोमपुरा ने 1987 में विहिप के अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष अशोक सिंघल के कहने पर राममंदिर का मॉडल तैयार किया था. इसमें पूरे मंदिर के निर्माण में करीब 1.75 लाख घन फुट पत्थर की जरूरत बतायी गई थी. विहिप के नक्शे के अनुसार, प्रस्तावित राम मंदिर का मॉडल भगवान विष्णु के पसंदीदा अष्टकोणीय आकार का दर्शाया गया है और इसे नागर शैली में पूर्णतया पत्थरों से तैयार करने का प्रस्ताव किया गया था.
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इस नक्शे में प्रस्तावित मंदिर की लंबाई 270 फुट, चौड़ाई 135 फुट और ऊंचाई 125 फुट बतायी गई है. हर मंजिल पर 106 खम्भे होंगे. पहली मंजिल पर खम्भे की लम्बाई 16.5 फुट और दूसरी मंजिल पर 14.5 फुट प्रस्तावित है. प्रत्येक मंजिल 185 बीम पर टिकी होगी. मंदिर में संगमरमर का फ्रेम और लकड़ी के दरवाजे होंगे. विहिप के नक्शे में भगवान राम की प्रतिमा नीचे वाले तल पर बतायी गई है जबकि ऊपर वाली मंजिल पर राम दरबार बनेगा. साथ ही एक गर्भ गृह प्रस्तावित है, जिसमें कौली (पुजारी के बैठने की जगह) भी होगी . मंदिर में दो घूमत बनाने का सुझाव है. घूमत वह जगह होगी, जहां लोग इकट्ठा हो सकते हैं. एक घूमत ढकी हुई और दूसरी घूमत खुली हुई होगी.
सूत्रों के मुताबिक, मंदिर निर्माण का कार्य पूरा करने में तीन साल से अधिक समय लगेगा. इसके भूतल के लिए जितनी नक्काशी की आवश्यकता है, वह पूरी हो चुकी है लेकिन शेष कार्य पूरा होने में समय लगेगा.
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