धर्म-सभा में लाखों भक्तों की हुंकार, राम मंदिर के लिए कानून बनाए सरकार

मोदी सरकार को दो टूक चेतावनी देते हुए महामंडलेश्वर स्वामी परमानंद महाराज ने कहा कि हम किसी की चापलूसी नहीं करते.

मोदी सरकार को दो टूक चेतावनी देते हुए महामंडलेश्वर स्वामी परमानंद महाराज ने कहा कि हम किसी की चापलूसी नहीं करते.

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Deepak K
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धर्म-सभा में लाखों भक्तों की हुंकार, राम मंदिर के लिए कानून बनाए सरकार

राम मंदिर के लिए कानून बनाए सरकार (पीटीआई)

राष्ट्रीय राजधानी के रामलीला मैदान में रविवार को आयोजित धर्म सभा में देश भर से यहां हजारों की तादाद में पहुंचे संतों, भागवान राम के अनुयायियों और हिंदू संगठनों के कार्यकर्ताओं ने अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए केन्द्र सरकार से कानून बनाने की मांग की. धर्म सभा की अध्यक्षता करते हुए आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरि ने कहा, 'राम मंदिर के लिए दिल्ली में उमड़े जनसैलाब ने इतिहास रच दिया है. राम हिन्दू समाज के लिए मुक्ति मंत्र और चेतना है. राम मंदिर के लिए एकजुट हुई इन भावनाओं को शासन और न्यायालय को समझ कर आदर करना होगा. ' 

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मोदी सरकार को दो टूक चेतावनी देते हुए महामंडलेश्वर स्वामी परमानंद महाराज ने कहा कि हम किसी की चापलूसी नहीं करते. अगर मंदिर नहीं बना तो राम भक्त चुप नहीं बैठेंगे. उन्होंने कहा कि अगर भाजपा पर यह आरोप लगता है कि वह चुनाव के दौरान ही राम मंदिर का मुद्दा उठाती है, तो दूसरे दलों को मंदिर निर्माण में सहयोग कर इस मुद्दे को ही समाप्त कर देना चाहिए. 

जगतगुरु रामानंदाचार्य स्वामी हंसदेवाचार्य महाराज ने धर्म सभा में कहा कि राम मंदिर के लिए कानून या अध्यादेश से कम कुछ स्वीकार्य नहीं है. उन्होंने सर्वोच्च न्यायालय पर सवाल उठाते हुए कहा कि अगर राम मंदिर प्राथमिकता में नहीं है तो रामनवमी पर वे अवकाश क्यों लेते हैं?

वहीं गीता मनीषी स्वामी ज्ञानानंद महाराज ने कहा कि संत चाहते हैं कि इसी दिसंबर में राम मंदिर निर्माण का कार्य शुरू हो.

धर्म सभा को संबोधित करते हुए विश्व हिन्दू परिषद (विहिप) के अंतर्राष्ट्रीय अध्यक्ष विष्णु सदाशिव कोकजे ने कहा, 'राम मंदिर चुनाव का मुद्दा न हो कर आत्मसम्मान का मुद्दा है. न्यायालय की प्रतीक्षा अनंत काल तक नहीं की जा सकती. संसद जनता की आकांक्षाओं के अनुसार कानून बना कर मंदिर निर्माण की राह खोले.' 

विहिप के अंतर्राष्ट्रीय कार्याध्यक्ष आलोक कुमार ने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय अपने कर्तव्यों की अवहेलना करने की बजाए जन आकांक्षाओं का सम्मान करे. सभी राजनीतिक दल राम मंदिर का समर्थन करें तथा संसद के शीतकालीन सत्र में ही कानून बनाएं अन्यथा आगामी चुनावों में जनता का आक्रोश सामने आएगा.

धर्म सभा में स्वामी चिन्मयानंद सरस्वती ने कहा कि 'राम लला हम आएंगे, मंदिर वहीं बनाएंगे' यह आवाज एक जाति, धर्म या सम्प्रदाय की नहीं है बल्कि पूरे देश की है. शीर्ष अदालत को अपनी गरिमा बनाए रखनी चाहिए. 

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पर निशाना साधते हुए स्वामी अनुभूतानंद महाराज ने कहा, ' शर्म की बात है कि राम लला टाट में बैठे हैं और हमारे नेता ठाठ में बैठे हैं. अगर सरकार या न्यायालय रास्ता नहीं निकालती है तो जिस तरह ढांचा ढहाया गया था उसी तरह भव्य राम मंदिर का निर्माण भी किया जाएगा.'

Source : IANS

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