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'मिट्टी के घर' में पले राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने रायसीना हिल में संभाला कामकाज, 10 बड़ी बातें

पिछले सप्ताह देश के सर्वोच्च पद के लिए निर्वाचित हुए कोविंद को चीफ जस्टिस जे.एस. केहर ने संसद के केंद्रीय कक्ष में एक संक्षिप्त समारोह में पद की शपथ दिलाई।

Updated on: 25 Jul 2017, 09:23 PM

highlights

  • रामनाथ कोविंद ने ली राष्ट्रपति पद की शपथ, संसद के सेंट्रल हॉल में किया गया कार्यक्रम का आयोजन
  • समारोह में पीएम मोदी, केंद्रीय मंत्री, सोनिया गांधी समेत कई वरिष्ठ नेता थे मौजूद
  • रामनाथ कोविंद ने संविधान के पालन का संकल्प लिया 

नई दिल्ली:

कानपुर देहात के गरीब परिवार में पले-बढ़े रामनाथ कोविंद ने मंगलवार को राष्ट्रपति पद की शपथ ली और कामकाज संभाला। दिल्ली की रायसीना हिल की गद्दी पर बैठने से पहले राष्ट्रपति अपनी गरीबी के दिनों को याद करना नहीं भूले।

संसद के सेंट्रल हॉल में शपथ के बाद अपने पहले संबोधन में कहा, 'मैं एक छोटे से गांव में मिट्टी के घर में पला-बढ़ा हूं। मेरी यात्रा बहुत लंबी रही है, लेकिन यह यात्रा अकेले सिर्फ मेरी नहीं रही है। हमारे देश और हमारे समाज की भी यही गाथा रही है। हर समस्याओं के बावजूद, हमारे देश में संविधान की प्रस्तावना में उल्लिखित-न्याय, स्वतंत्रता, समानता और बंधुत्व के मूल मंत्र का पालन किया जाता है और मैं इस मूल मंत्र का सदैव पालन करता रहूंगा।'

1. पिछले सप्ताह देश के सर्वोच्च पद के लिए निर्वाचित हुए कोविंद को चीफ जस्टिस जे.एस. केहर ने संसद के केंद्रीय कक्ष में एक संक्षिप्त समारोह में पद की शपथ दिलाई।

2. समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय मंत्री, कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी सहित विपक्ष के नेता और पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और एच.डी. देवेगौड़ा उपस्थित थे।

3. तीन घंटे से अधिक समय के प्रोटोकॉल और औपचारिकताओं की समाप्ति के बाद नए राष्ट्रपति अपने पूर्ववर्ती प्रणब मुखर्जी के साथ उनके नए आवास 10 राजाजी मार्ग गए।

4. कोविंद ने ईश्वर के नाम पर शपथ लेते हुए 'संविधान और कानून की रक्षा और संरक्षा' की शपथ ली और खुद को भारत के लोगों की सेवा और कल्याण में लगाने का संकल्प लिया।

5. कोविंद ने अपने भाषण में महात्मा गांधी और दीन दयाल उपाध्याय के दृष्टिकोण की सराहना की और कहा कि एक ऐसे भारत का निर्माण करने की जरूरत है, जो 'आर्थिक नेतृत्व देने के साथ ही नैतिक आदर्श भी प्रस्तुत करे।' कोविंद ने अपने भाषण में कहा कि उन्हें इस बात का पूरा एहसास है कि वह डॉ. राजेन्द्र प्रसाद, डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन, डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम और अपने पूर्ववर्ती श्री प्रणब मुखर्जी जैसी विभूतियों के पद चिन्हों पर चलने जा रहे हैं।

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6. राष्ट्रपति ने कहा, 'भारत की सफलता का मंत्र उसकी विविधता है। विविधता ही हमारा वह आधार है, जो हमें अद्वितीय बनाता है। इस देश में हमें राज्यों और क्षेत्रों, पंथों, भाषाओं, संस्कृतियों, जीवन-शैलियों जैसी कई बातों का सम्मिश्रण देखने को मिलता है। हम बहुत अलग हैं, लेकिन फिर भी एक हैं और एकजुट हैं।'

7. राष्ट्रपति कोविंद ने कहा, राष्ट्र निर्माण अकेले सरकारों द्वारा नहीं किया जाता। सरकार सहायक हो सकती है और समाज की उद्यमी और रचनात्मक प्रवृत्तियों को दिशा दिखा सकती है, प्रेरक बन सकती है। राष्ट्र निर्माण के लिए राष्ट्रीय गौरव जरूरी है।

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8. कोविंद ने कहा, 'हमें भारत की मिट्टी और पानी पर गर्व है। हमें भारत की विविधता, सर्वधर्म समभाव और समावेशी विचारधारा पर गर्व है। हमें भारत की संस्कृति, परंपरा एवं अध्यात्म पर गर्व है। हमें देश के प्रत्येक नागरिक पर गर्व है।

9. कोविंद ने कहा कि देश का हर नागरिक भारतीय परंपराओं और मूल्यों का संरक्षक है। उन्होंने कहा कि देश की सीमाओं की रक्षा करने वाले और हमें सुरक्षित रखने वाले सशस्त्र बल राष्ट्र निर्माता हैं। इसी तरह पुलिस और अर्धसैनिक बल, जो आतंकवाद और अपराधों से लड़ रहे हैं, वे राष्ट्र निर्माता हैं और इसी तरह किसान, वैज्ञानिक, नर्स, डॉक्टर, उद्यमी और शिल्पकार भी राष्ट्र निर्माता हैं।

10. कोविंद ने कहा कि भारत ने हमेशा से वसुधव कुटुंबकम के सिद्धांत पर भरोसा किया है। उन्होंने कहा, 'यह उचित होगा कि अब भगवान बुद्ध की यह धरती, शांति की स्थापना और पर्यावरण का संतुलन बनाने में विश्व का नेतृत्व करे।'

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