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राष्ट्रपति ने जवानों व शहीदों को 2020 के लिए वीरता पुरस्कार से किया सम्मानित

राष्ट्रपति ने जवानों व शहीदों को 2020 के लिए वीरता पुरस्कार से किया सम्मानित

Updated on: 22 Nov 2021, 10:40 PM

नई दिल्ली:

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने सोमवार को सशस्त्र बलों के जवानों और शहीदों को वर्ष 2020 के लिए दो कीर्ति चक्र, एक वीर चक्र और 10 शौर्य चक्र सहित अन्य वीरता पुरस्कारों से सम्मानित किया।

कोविंद सशस्त्र बलों के सर्वोच्च कमांडर हैं। उन्होंने कर्मियों को विशिष्ट वीरता, अदम्य साहस और कर्तव्य के प्रति अत्यधिक समर्पण के लिए पुरस्कार प्रदान किए।

राष्ट्रपति भवन की ओर से जारी एक विज्ञप्ति में कहा गया है कि यहां राष्ट्रपति भवन में सुबह में पहले चरण और शाम को दूसरे चरण में आयोजित रक्षा अलंकरण समारोह के दौरान पुरस्कार प्रदान किए गए।

दो में से एक कीर्ति चक्र और 10 में से दो शौर्य चक्र शहीदों को मरणोपरांत दिए गए। कीर्ति चक्र, वीर चक्र और शौर्य चक्रों के अलावा, राष्ट्रपति ने 13 परम विशिष्ट सेवा पदक, दो उत्तम युद्ध सेवा पदक और 24 अति विशिष्ट सेवा पदक भी प्रदान किए।

पुरस्कार समारोह के दौरान सबसे मार्मिक क्षण वे क्षण थे, जब मरणोपरांत पुरस्कार पाने वालों में से तीन के प्रशस्ति पत्र पढ़े गए।

27 नवंबर, 2018 की तड़के कोर ऑफ इंजीनियर्स, फस्र्ट बटालियन, राष्ट्रीय राइफल्स के सैपर प्रकाश जाधव, जिन्हें कीर्ति चक्र (मरणोपरांत) से सम्मानित किया गया, जम्मू-कश्मीर के एक गांव में घेरा और तलाशी अभियान का नेतृत्व कर रहे थे। अचानक आतंकियों ने सर्च पार्टी पर अंधाधुंध फायरिंग कर दी। अपने दोस्त के लिए खतरे को भांपते हुए जाधव ने उसे एक तरफ धकेल दिया और खुद को सामने कर लिया। आतंकवादियों द्वारा भारी गोलीबारी पर उन्होंने प्रभावी ढंग से जवाबी कार्रवाई की और एक आतंकवादी को मौके पर ही खत्म कर दिया। इसी बीच दूसरे आतंकी ने फायरिंग के बाद पेट्रोल बम फेंक दिया।

जाधव ने अपनी टीम को घर से निकलने को कहा, तीाी जाधव को गोली लगी। हालांकि, अपनी गंभीर चोटों की बेपरवाह किए बिना उन्होंने निडर होकर आतंकवादी को गोली मारकर घायल कर दिया। पेट्रोल बम के कारण आग पूरे घर में फैल गई और प्रकाश जाधव खुद को घर से बाहर नहीं निकाल सके। गोली लगने और जलने के कारण उन्होंने दम तोड़ दिया।

प्रशस्तिपत्र पढ़ने के बाद जब उद्घोषक ने कहा, सैपर प्रकाश जाधव ने कर्तव्य निभाते हुए विशिष्ट वीरता, अनुकरणीय साहस का प्रदर्शन किया और भारतीय सेना की सच्ची परंपराओं में सर्वोच्च बलिदान दिया, तब हॉल में हर एक की आंखें नम हो गईं।

ऐसा ही हुआ, जब मेजर विभूति शंकर ढौंडियाल के लिए प्रशस्तिपत्र पढ़ा गया। उन्होंने राष्ट्रीय राइफल्स के 55 बटालियन के कोर ऑफ इलेक्ट्रॉनिक्स एंड मैकेनिकल इंजीनियर्स में अपनी सेवाएं दी थीं। उन्हें मरणोपरांत शौर्य चक्र से सम्मानित किया गया। मेजर ढौंडियाल ने विभिन्न अभियानों में अद्वितीय वीरता और असाधारण नेतृत्व गुणों का प्रदर्शन किया था, जिसके परिणामस्वरूप 17 फरवरी, 2019 को पांच आतंकवादियों का सफाया हुआ और 200 किलोग्राम विस्फोटक सामग्री बरामद हुई।

जब एक गांव में एक आतंकवादी समूह की मौजूदगी की सूचना मिली, तो अधिकारी ने बटालियन स्तर के ऑपरेशन की योजना बनाई। तलाशी के दौरान, अधिकारी को एक गौशाला में छिपे एक आतंकवादी ने गोली मार दी। उन्हें कई गोलियां लगीं।

गंभीर रूप से घायल होने के बावजूद, अधिकारी ने अपना सामरिक संयम बनाए रखा और आतंकवादी गोलीबारी का जवाब दिया। अपनी व्यक्तिगत सुरक्षा की परवाह न करते हुए अधिकारी आग के बीच गाय के शेड के करीब रेंगते रहे, ताकि छिपे हुए आतंकवादियों और आग पर काबू पाया जा सके। परिणामस्वरूप एक आतंकवादी का सफाया हो गया। मगर अधिकारी ने आतंकवादियों से लड़ते हुए ऑपरेशन साइट पर ही दम तोड़ दिया।

जाट रेजिमेंट, 34 बटालियन, राष्ट्रीय राइफल्स के नायब सूबेदार सोमबीर को मरणोपरांत भी शौर्य चक्र से सम्मानित किया गया। सोमबीर 34 राष्ट्रीय राइफल्स (जाट) की हमला टीम का हिस्सा थे, जिन्होंने एक ऑपरेशन की योजना बनाई और उसे अंजाम दिया, जिसमें जम्मू और कश्मीर में तीन कट्टर आतंकवादियों को मार गिराया गया। सोमबीर ने लक्ष्य घर की घेराबंदी करते हुए आतंकवादियों के सबसे संभावित बचने के मार्ग को कवर करने के लिए खुद को और अपने दोस्त को तैनात किया। एक आतंकवादी ने अंधाधुंध फायरिंग कर घेरा तोड़ने की कोशिश की और उन पर हथगोले फेंके, जिससे उनका दोस्त गंभीर रूप से घायल हो गया।

अपने दोस्त को खतरे में देखकर और व्यक्तिगत सुरक्षा की परवाह न करते हुए नायब सूबेदार सोमबीर ने पहल की और आतंकवादी को पकड़ लिया। इस लड़ाई में उन्होंने विदेशी आतंकवादी को मार गिराया, जिसे बाद में श्रेणी ए प्लस प्लस आतंकवादी के रूप में पहचाना गया, लेकिन इस बेहद साहसी कार्य के दौरान सूबेदार सोमबीर के सीने और गर्दन पर गंभीर गोलियां लगीं। बाद में उन्होंने दम तोड़ दिया।

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