राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने रविवार को कहा कि देशभर में विभिन्न धार्मिक परंपराएं और प्रथाएं प्रचलित हैं, लेकिन केवल एक ही मान्यता है और वह है पूरी मानवता को एक परिवार मानकर सभी के कल्याण के लिए काम करना।
राष्ट्रपति कोविंद ओडिशा के पुरी में गौड़ीय मठ और मिशन के संस्थापक श्रीमद् भक्ति सिद्धांत सरस्वती गोस्वामी प्रभुपाद की 150वीं जयंती के तीन साल लंबे समारोह के उद्घाटन अवसर पर बोल रहे थे।
उन्होंने कहा, भगवान अपने सभी रूपों में पूजे जाते हैं। लेकिन भक्ति-भाव के साथ भगवान की पूजा करने की परंपरा भारत में महत्वपूर्ण रही है। यहां कई महान संतों ने निस्वार्थ पूजा की है। ऐसे महान संतों में श्री चैतन्य महाप्रभु का भी विशेष स्थान है। उनकी असाधारण भक्ति से प्रेरित होकर बड़ी संख्या में लोगों ने भक्ति मार्ग को चुना। हमें वृक्ष से भी अधिक सहिष्णु होना चाहिए, अहंकार की भावना से रहित होना चाहिए और दूसरों को सम्मान देना चाहिए। मनुष्य को सदैव ईश्वर का स्मरण करते रहना चाहिए।
राष्ट्रपति ने जिक्र किया कि भक्ति-मार्ग की ईश्वर के प्रति पूर्णभक्ति की विशेषता न केवल जीवन के आध्यात्मिक पक्ष में, बल्कि प्रत्येक व्यक्ति के दैनिक जीवन में भी देखी जाती है।
राष्ट्रपति ने कहा, हमारी संस्कृति में जरूरतमंदों की सेवा को सर्वोच्च प्राथमिकता दी गई है। हमारे डॉक्टरों, नर्सो और स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं ने कोविड महामारी के दौरान सेवा की भावना का प्रदर्शन किया। वे भी कोरोनावायरस से संक्रमित थे, लेकिन ऐसी विषम परिस्थितियों में भी उन्होंने हार नहीं मानी। साहस के साथ लोगों के इलाज में लगे हुए थे।
राष्ट्रपति ने आगे कहा कि कई कोरोना योद्धाओं ने अपने प्राणों की आहुति दी, लेकिन उनके सहकर्मियों का समर्पण अटूट रहा। पूरा देश ऐसे योद्धाओं का हमेशा ऋणी रहेगा।
कोविंद ने ने विश्वास व्यक्त किया कि गौड़ीय मिशन मानव कल्याण के अपने उद्देश्य को सर्वोपरि रखते हुए श्री चैतन्य महाप्रभु के संदेश को दुनिया में फैलाने के अपने संकल्प में सफल होगा।
डिस्क्लेमरः यह आईएएनएस न्यूज फीड से सीधे पब्लिश हुई खबर है. इसके साथ न्यूज नेशन टीम ने किसी तरह की कोई एडिटिंग नहीं की है. ऐसे में संबंधित खबर को लेकर कोई भी जिम्मेदारी न्यूज एजेंसी की ही होगी.
Source : IANS