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अयोध्या विवाद पर फैसला आने के बाद भी राम आंदोलन जारी, जानें क्यों

तीन दशक लंबे राम मंदिर (Ram mandir) आंदोलन भले ही अपने तार्किक निष्कर्ष पर पहुंच गया है, लेकिन इस आंदोलन का नेतृत्व करने वाले विश्व हिंदू परिषद (वीएचपी) इससे आगे बढ़ने के मूड में नहीं लगते हैं.

Updated on: 24 Nov 2019, 05:46 PM

नई दिल्ली:

तीन दशक लंबे राम मंदिर (Ram mandir) आंदोलन भले ही अपने तार्किक निष्कर्ष पर पहुंच गया है, लेकिन इस आंदोलन का नेतृत्व करने वाले विश्व हिंदू परिषद (वीएचपी) इससे आगे बढ़ने के मूड में नहीं लगते हैं. वीएचपी (VHP) आने वाले महीनों में राम मंदिर (Ram temple) पर केंद्रित कार्यक्रमों की एक श्रृंखला की योजना बना रही है. परिषद 'राम महोत्सव' के साथ आगामी चार महीनों में ग्रामीण स्तर पर अन्य कार्यक्रमों का आयोजन करेगी. इस संबंध में काम अभी जारी है.

परिषद के वरिष्ठ प्रचारक पुरुषोत्तम नारायण सिंह ने कहा है कि राम मंदिर मुद्दे पर हिंदुओं को जागृत रखना आवश्यक है.

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उन्होंने कहा, 'इसकी वजह से अन्य गैर-भाजपा राजनीतिक दलों को मुस्लिम तुष्टीकरण की नीति को छोड़ने के लिए मजबूर होना पड़ा. हिंदू जागरण मंदिर आंदोलन का एक परिणाम है. धर्मनिरपेक्षता के नाम पर हिंदुओं को सदियों से दूसरे दर्जे का नागरिक माना जाता रहा है.'

इन कार्यक्रमों के माध्यम से परिषद लोगों को बताएगी कि किस तरह से राम मंदिर के लिए लड़ाई अदालत के अंदर और बाहर लड़ी गई और अयोध्या आंदोलन में इनकी क्या भूमिका रही है.

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अयोध्या विवाद मामले में सुप्रीम कोर्ट में 40 दिनों तक लगातार चली सुनवाई के बाद 9 नवंबर को फैसला आया. फैसले में कहा गया कि राम मंदिर विवादित स्थल पर बनेगा और मस्जिद निर्माण के लिए अयोध्या में पांच एकड़ जमीन अलग से दी जाएगी. अदालत ने कहा कि विवादित 2.77 एकड़ जमीन केंद्र सरकार के अधीन रहेगी. केंद्र और उत्तर प्रदेश सरकार को मंदिर बनाने के लिए तीन महीने में एक ट्रस्ट बनाने का निर्देश दिया गया है.