लाल कोठी के बालक राम महंत रामशरण दास बोले- यह अयोध्या है, यहां कोई युद्ध नहीं होता

भाजपा के बूथ अध्यक्ष चंद्रिका गुप्ता ने कहा, अयोध्या में प्रेम है, भाईचारा है सौहार्द है, अयोध्या - यहां युद्ध नहीं हो सकता अयोध्या में हिंदू और मुसलमान मिलकर एक साथ रहते हैं

भाजपा के बूथ अध्यक्ष चंद्रिका गुप्ता ने कहा, अयोध्या में प्रेम है, भाईचारा है सौहार्द है, अयोध्या - यहां युद्ध नहीं हो सकता अयोध्या में हिंदू और मुसलमान मिलकर एक साथ रहते हैं

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Sushil Kumar
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Ram Mandir

अयोध्या( Photo Credit : न्यूज स्टेट)

यह अयोध्या है और यहां युद्ध नहीं होता’’ तथा यह धार्मिक शहर प्राचीन काल से ही प्रेम सद्भाव और भाईचारे के लिए जाना जाता रहा है. समाज के विभिन्न तबकों के लोगों का ऐसा मानना है. लाल कोठी के बालक राम महंत रामशरण दास के अनुसार अयोध्या का अर्थ है जहां कोई योद्धा आपस में एक दूसरे से लड़ाई नहीं करता यानी यहां कोई युद्ध नहीं करता. उन्होंने कहा कि अयोध्या प्राचीन काल से ही प्रेम सद्भाव और भाईचारे के लिए जाना जाता रहा है.

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अयोध्या वासियों की सोच प्रेम भाव वाली, गंगा जमुनी संस्कृति को बढ़ाने वाली रही है. लालकोठी अयोध्या में गुज्जर समाज का सबसे पुराना मंदिर है. भाजपा के बूथ अध्यक्ष चंद्रिका गुप्ता ने भाषा से कहा, अयोध्या में प्रेम है, भाईचारा है सौहार्द है, अयोध्या - यहां युद्ध नहीं हो सकता अयोध्या में हिंदू और मुसलमान मिलकर एक साथ रहते हैं और एक साथ चलते हैं. अयोध्या मामले में उच्चतम न्यायालय के फैसले के एक दिन बाद धार्मिक नगरी में माहौल पूरी तरह से शांत है. इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग उत्तर प्रदेश के अध्यक्ष नजमुल हसन गनी ने कहा कि देश आस्थाओं से नहीं, कानून से चलता है .

साथ ही उन्होंने आशंका जतायी कि आस्था के नाम पर आने वाले दिनों में मथुरा, काशी और अन्य शहरों की मस्जिदों के साथ कहीं छेड़छाड़ न कर दी जाए. गनी ने कहा कि न्यायालय के फैसले का स्वागत है . भाजपा नेता निशिंद्र मोहन मिश्रा ने कहा कि किसी को घबराने की आवश्यकता नहीं है . अयोध्या में हिंदू और मुसलमान अमन चैन से रहते आए हैं और आगे भी रहेंगे. बसपा नेता बाबूराम गुप्ता ने कहा कि फैसले का स्वागत है और अयोध्या में दोनों समुदायों के बीच कभी किसी तरह की कोई परेशानी नहीं रही है और अभी परेशानी की कोई वजह नहीं है. होटल कारोबारी गोपाल गुप्ता ने कहा कि अदालत की ओर से जो फैसला आया है, हम उसका स्वागत करते हैं लेकिन दूसरे पक्ष को भी मायूस होने की जरूरत नहीं है क्योंकि उच्चतम न्यायालय ने उनके साथ भी न्याय किया है. 

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