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इलाज तो करना पड़ेगा, ट्रैक्टरों के साथ अपनी रखो तैयारी : टिकैत

कृषि कानून के विरोध में किसान दिल्ली की सीमाओं पर बैठे हुए हैं और आंदोलन जारी है. भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने एक बार फिर सरकार को सख्त लहजे में चेतावनी दे डाली है.

Updated on: 21 Jun 2021, 09:32 PM

highlights

  • कृषि कानून के विरोध में किसान दिल्ली की सीमाओं पर बैठे हुए हैं और आंदोलन जारी है
  • राकेश टिकैत ने एक बार फिर सरकार को सख्त लहजे में चेतावनी दे डाली है
  • सरकार मानने वाली नहीं है. इलाज तो करना पड़ेगा. ट्रैक्टरों के साथ अपनी तैयारी रखो

नई दिल्ली:

कृषि कानून के विरोध में किसान दिल्ली की सीमाओं पर बैठे हुए हैं और आंदोलन जारी है. भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने एक बार फिर सरकार को सख्त लहजे में चेतावनी दे डाली है. उन्होंने कहा है कि, सरकार मानने वाली नहीं है. इलाज तो करना पड़ेगा. राकेश टिकैत ने ट्वीट करते हुए कहा कि, सरकार मानने वाली नहीं है. इलाज तो करना पड़ेगा. ट्रैक्टरों के साथ अपनी तैयारी रखो. जमीन बचाने के लिए आंदोलन तेज करना होगा. ये पहली बार नहीं है जब राकेश टिकैत ने सरकार को चेतावनी दी है, इससे पहले भी अलग अलग मंचो से सरकार से कानून वापसी की मांग कर चुके हैं. लेकिन टिकैत का इस वक्त इस तरह की बात कहना इसलिए मायने रखता है, क्योंकि यूपी, उत्तराखंड और पंजाब में चुनाव नजदीक हैं.

राकेश टिकैत ने 19 जून को भी एक ट्वीट किया था जिसमें लिखा गया कि, केन्द्र सरकार ये गलतफहमी अपने दिमाग से निकाल दे कि किसान वापस जाएंगे, किसान तभी वापस जाएंगे, जब मांगें पूरी हो जाएंगी. हमारी मांग है कि तीनों कानून रद्द हों. एमएसपी पर कानून बने.

सरकार नहीं सुन रही तो हम राज्यपाल के माध्यम से कहेंगे अपनी बात

कृषि कानूनों के खिलाफ छह महीने से भी अधिक समय से चल रहे आंदोलन को किसान खत्म करने के लिए तैयार नहीं हैं. किसान नेता राकेश टिकैत ने सोमवार को एक नई घोषणा की है. उन्होंने कहा है कि अगर सरकार हमारी बात नहीं सुन रही है तो राज्यपाल और राष्ट्रपति बड़े होते हैं. हम राज्यपाल के माध्यम से अपनी बात कहेंगे. उन्होंने बताया कि 26 जून को किसान आंदोलन के कुछ प्रतिनिधि हर राज्य में राज्यपाल या उपराज्यपाल के पास जाएंगे. उन्हें अपनी मांगों की जानकारी देते हुए ज्ञापन देंगे और उनसे मिलेंगे. चूंकि कोरोना महामारी का समय है इसलिए हर राज्य में केवल पांच-छह लोग ही राज्यपाल या उपराज्यपाल के पास जाएंगे.

बता दें कि कोरोना संकट के दौरान पिछले 200 से ज्यादा दिनों से दिल्ली के बॉर्डर पर किसानों का विरोध प्रदर्शन जारी है. प्रदर्शनकारी किसानों की मांग है कि केंद्र सरकार की ओर से पारित तीनों कृषि कानूनों को वापस लिया जाए.