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UP चुनाव से पहले टिकैत का ऐलान- दिल्ली की तरह लखनऊ का भी घेराव करेंगे

कृषि कानूनों का महीनों से विरोध कर रहे किसान नेता राकेश टिकैत (Rakesh Tikait) ने कहा है कि वो अब दिल्ली के तर्ज पर उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव से पहले लखनऊ का घेराव करेंगे.

Updated on: 26 Jul 2021, 06:38 PM

highlights

  • लखनऊ को दिल्ली बनाएंगे और घेरेंगे
  • देश की हर राजधानी को दिल्ली बना देंगे
  • यूपी में किसानों को फ्री बिजली क्यों नहीं?

 

नई दिल्ली :

कृषि कानूनों का महीनों से विरोध कर रहे किसान नेता राकेश टिकैत (Rakesh Tikait) ने कहा है कि वो अब दिल्ली के तर्ज पर उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव से पहले लखनऊ का घेराव करेंगे. राकेश टिकैत ने आगे कहा कि आंदोलन कर रहे किसान देश की हर राजधानी को दिल्ली बना देंगे.  राहुल गांधी के ट्रेक्टर से संसद मार्च पर राकेश टिकैत ने कहा कि अब संसद तक ट्रैक्टर जाएगा. यह ट्रैक्टर नहीं है, बल्कि टैंक है. भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने एक बार फिर दोहराया कि जब तक कृषि कानूनों को वापस नहीं लिया जाता है, तब तक आंदोलन चलता रहेगा. सरकार के साथ हुईं बैठकों पर उन्होंने बताया कि कई मीटिंग्स हुईं, जिनमें कुछ मुद्दों पर हम मान भी गए, लेकिन सरकार नहीं मानी. 

यूपी की राजधानी लखनऊ पहुंचे राकेश टिकैत ने कहा कि हम आखिर लखनऊ क्यों नहीं आ सकते हैं. लखनऊ को दिल्ली बनाएंगे और इसे भी घेरेंगे. उन्होंने कहा, ''ट्रेनों को रोककर रखा गया है, नहीं तो यहां भी आज भीड़ होती. किसान हैं और वे कुछ भी कर सकते हैं. देश की हर राजधानी को दिल्ली बनाएंगे.'' बीजेपी पर हमला बोलते हुए किसान नेता टिकैत ने कहा कि बीजेपी भी तीन तरह की है. एक बीजेपी मकान के अंदर कैद है. एक छीनी हुई है तो तीसरी दूसरे लोगों को भर्ती करने वाली है. इनके नेता खुद नहीं कुछ बोल सकते हैं.

किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा कि किसानों की लड़ाई बीजेपी से नहीं है. पिछले कई महीनों से दिल्ली के बॉर्डर पर किसानों के साथ कृषि कानूनों की वापसी की मांग कर रहे टिकैत ने कहा कि हमारी लड़ाई बीजेपी से नहीं, बल्कि मोदी सरकार से है. बीजेपी के बड़े नेताओं को हाउस अरेस्ट कर दिया गया है. वहीं, किसान आंदोलन में लगे एसी के सवाल पर टिकैत ने कहा कि आखिर किसके घर पर एसी नहीं लगी है. हमने वहां पर प्रेस क्लब बना रखा है और वहीं पर एसी लगा था, जहां आराम करने के लिए लेट गए.

किसान नेता राकेश टिकैत ने पूछा कि हर जगह किसानों को बिजली फ्री दी जा रही है, तो फिर यूपी में क्यों नहीं मिल रही? उन्होंने पूछा कि आखिर हम चुनाव में क्यों नहीं जा सकते? अब ये चुनावी भाषा में समझेंगे तो वैसी ही दवाई दी जाएगी. बिना चुनाव लड़े दवाई देंगे. बंगाल में दवाई दी, उससे इन्हें आराम मिला. किसान रहकर ही जंग लड़ेंगे.