राज्यसभा चुनाव: बिछ गई सियासी बिसात, आज पता चलेगा किसकी शह और किसको मात
आज देश के 16 राज्यों के 58 राज्यसभा सीटों पर होने वाले चुनाव के लिए सभी दलों ने अपनी कमर कस ली है। हर राजनीतिक पार्टी जोड़-तोड़ में लगी हुई है।
नई दिल्ली:
आज देश के 16 राज्यों के 58 राज्यसभा सीटों पर होने वाले चुनाव के लिए सभी दलों ने अपनी कमर कस ली है।
हर राजनीतिक पार्टी जोड़-तोड़ में लगी हुई है और अपने विधायकों के एकजुट होने का दावा कर रही है। लेकिन इन 16 राज्यों में सबसे ज्यादा नजर अगर किसी राज्य पर है तो वह है उत्तर प्रदेश।
उत्तर प्रदेश के 10 सीटों पर आज राज्यसभा सांसदों का चुनाव होगा जिसमें से 8 सीटों पर बीजेपी उम्मीदवारों का जीतना लगभग तय है क्योंकि 403 सदस्यों वाले यूपी विधानसभा में फिलहाल 324 सदस्य एनडीए के पक्ष में है। इसलिए आठ सीटों पर बीजेपी की जीत तय होने के बाद भी उनके पास 28 वोट सरप्लस में होंगे।
एक सीट पर समाजवादी पार्टी ने जया बच्चन को अपना उम्मीदवार बनाया है और उनका जीतना भी तय है। ऐसे में 10 वें सीट को लेकर बीजेपी और बीएसपी के बीच मुकाबला होना है।
चूंकि बीजेपी के पास 28 वोट सरप्लस में है ऐसे में उसे अपने 9 वें उम्मीदवार को जिताने के लिए सिर्फ 9 विधायकों के समर्थन की ही जरूरत है।
यहां यह जान लेना जरूरी है कि राज्यसभा के एक संसद के चुनाव के लिए कम से कम 37 विधायकों का समर्थन जारी है। बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह 9वीं सीट पर जीत के लिए जी जान से विधायकों को अपने पाले में लाने की रणनीति बनाने में जुटे हुए हैं।
वहीं दूसरी तरफ बीएसपी के पास सिर्फ 19 सीटें हैं ऐसे में उन्हें जीत के लिए समाजवादी पार्टी ने समर्थन देने का फैसला किया है।
बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) सुप्रीमो मायावती को समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव ने वैसे 9 विधायकों की सूची सौंप दी है जो चुनाव के दौरान बीएसपी उम्मीदवार के समर्थन में अपना वोट देंगे।
खास बात यह है कि समाजवादी पार्टी के पास कुल 47 विधायक हैं जिसमें से हाल ही में पार्टी छोड़कर बीजेपी में शामिल होने वाले नरेश अग्रवाल के बेटे नितिन अग्रवाल का बीजेपी उम्मीदवार को वोट देना पक्का माना जा रहा है। ऐसे में एसपी के 46 में से 37 विधायक जया बच्चन जबकि 9 विधायकों को बीएसपी उम्मीदवार के लिए वोट करना है।
क्रॉस वोटिंग के डर से ही समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव ने विधायकों के लिए डिनर पार्टी का आयोजन किया था जिसमें मुलायम सिंह यादव और आजम खान भी शामिल हुए।
बताया जा रहा है कि ये वो विधायक हैं जिसपर अखिलेश यादव को सबसे ज्यादा भरोसा है कि वो हर कीमत पर बीएसपी उम्मीदवार को ही वोट देंगे। यहां कोई भी सियासी चूक मायावती की पार्टी को राज्यसभा से दूर कर सकती है।
गोरखपुर और फूलपुर में एसपी उम्मीदवार को बीएसपी ने समर्थन दिया था जिसके बाद बतौर रिटर्न गिफ्ट बीएसपी प्रमुख मायावती राज्यसभा चुनाव में अपनी पार्टी के उम्मीदवार के लिए एसपी विधायकों का समर्थन चाहती हैं।
खास बात यह है कि राजनीतिक तौर पर देश के सबसे अहम राज्य यूपी के 10 राज्यसभा सीटों पर बीजेपी के अलावा समाजवादी पार्टी को छोड़कर और कोई भी दल अपने बूते एक भी सीट पर चुनाव जीतने में सक्षम नहीं है। इसलिए मायावती अपने उम्मीदवार के लिए पक्के तौर पर एसपी विधायकों का समर्थन चाहती हैं क्योंकि उन्हें विधायकों के क्रॉस वोटिंग का डर भी सता रहा है।
दो विधायक नहीं दे पाएंगे वोट, बीएसपी की बढ़ी मुश्किलें
इलाहाबाद हाई कोर्ट के एक फैसले ने बीएसपी की मुश्किल को और बढ़ दिया है। हाई कोर्ट ने बीएसपी विधायक मुख्तार अंसारी के वोट देने पर रोक लगा रखी है जिससे 19 विधायकों वाली बीएसपी का समर्थन अब घटकर 18 हो चुका है।
दूसरी तरफ जेल में बंद समाजवादी पार्टी के नेता हरिओम यादव को भी जेल प्रशासन ने वोटिंग के लिए जाने से मना कर दिया है जिसेसे बीएसपी का एक और वोट कम हो गया है।
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यहां यह जानना बेहद जरूरी है कि राष्ट्रपति चुनाव में एसपी के सात विधायकों ने पार्टी लाइन से अलग जाकर एनडीए उम्मीदवार राम नाथ कोविंद को वोट दे दिया था। बुधवार को राज्यसभा चुनाव को लेकर अखिलेश यादव के बैठक से भी 7 विधायक नदारद रहे थे जिसके बाद यह आशंका और गहरा गई थी।
क्रॉस वोटिंग के जरिए होगा हार-जीत का फैसला
गौरतलब है कि यूपी के 10 सीटों में से बीजेपी के 9 वे उम्मीदवार अनिल अग्रवाल और बीएसपी के इकलौते प्रत्याशी भीमराव अंबेडकर के बीच माना जा रहा है। अब इन दोनों में से किसी एक की जीत पूरी तरह क्रॉस वोटिंग पर निर्भर है।
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बीजेपी को नरेश अग्रवाल के बेटे के अलावा अमनमणि और भदोही से विधायक विजय मिश्रा का वोट मिलने की बात सामने आ रही है जिससे बीजेपी को कुल 31 विधायकों का समर्थन प्राप्त हो जाएगा जो जादुई आंकड़े से 6 कम है।
वहीं दूसरी तरफ बीएसपी उम्मीदवार को अपनी पार्टी के 18, सपा के बचे हुए 8, कांग्रेस के 7 और आरएलडी के एक विधायका का समर्थन मिलने की उम्मीद है लेकिन फिर भी कुल 34 वोट ही होते हैं जो जादुई आंकड़े से 3 कम हैं।
ऐसे में आज मुकाबला बेहद दिलचस्प होगा कि निर्दलीय विधायकों को कौन सी पार्टी अपने पक्ष में लाने में कामयाब रहती है।
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