Operation Sindhu: ऑपरेशन सिंधु के तहत ईरान से 285 और भारतीयों की हुई वापसी, अब तक 1700 से ज्यादा लौटे स्वदेश
जसप्रीत बुमराह ने इंग्लैंड के खिलाफ किया वो कारनामा, जो भारतीय इतिहास में कभी नहीं हुआ, बनाए बड़े-बड़े रिकॉर्ड
IND vs ENG: इंग्लैंड के खिलाफ भारत ने लिया 96 रनों की लीड, तीसरे दिन का खेल खत्म, क्रीज पर केएल राहुल और शुभमन गिल
Chhattisgarh: अमित शाह ने नक्सलवाद के खिलाफ निर्णायक लड़ाई का किया ऐलान, कहा-सरेंडर करने का अच्छा मौका
Israel-Iran Conflict: ईरान-इजराइल के युद्ध में अब अमेरिका ने मारी एंट्री, तीन न्यूक्लियर साइट्स बरसाए बम, जानें चीन और रूस ने क्या कहा
ईरान ने लिया अब तक बड़ा फैसला, दुनिया में मच जाएगी अब अफरातफरी
राजस्थान में 62 आईएएस अधिकारियों का तबादला, कई जिलाधिकारी भी बदले
'गैंग्स ऑफ वासेपुर' की शूटिंग थी मुश्किल, ऋचा चड्ढा ने किया खुलासा
ईरान की संसद ने होर्मुज जलडमरूमध्य को बंद करने का प्रस्ताव किया पारित, अंतिम फैसला खामेनेई के पास

गरीब सवर्णों को भी सरकारी नौकरियों और शिक्षा में आरक्षण का बिल राज्यसभा से पारित, राष्‍ट्रपति की मुहर का इंतजार

राज्यसभा में करीब 10 घंटे चली चर्चा के बाद इस विधेयक के पक्ष में 165 वोट पड़े और विपक्ष में सिर्फ 7 वोट डाले गए. इससे पहले लोकसभा में मंगलवार को 323 वोटों के साथ यह विधेयक पारित हुआ था.

राज्यसभा में करीब 10 घंटे चली चर्चा के बाद इस विधेयक के पक्ष में 165 वोट पड़े और विपक्ष में सिर्फ 7 वोट डाले गए. इससे पहले लोकसभा में मंगलवार को 323 वोटों के साथ यह विधेयक पारित हुआ था.

author-image
saketanand gyan
एडिट
New Update
गरीब सवर्णों को भी सरकारी नौकरियों और शिक्षा में आरक्षण का बिल राज्यसभा से पारित, राष्‍ट्रपति की मुहर का इंतजार

सामान्‍य वर्ग के लोगों के लिए आरक्षण का बिल राज्‍यसभा से पास होने के बाद विक्‍ट्री साइन दिखाते मं

सरकारी नौकरियों और उच्च शिक्षण संस्थानों में आर्थिक रूप से कमजोर तबकों (EWS) को 10 फीसदी आरक्षण देने के लिए बुधवार को राज्यसभा से भी संविधान (124वां संशोधन) विधेयक पारित हो गया. राज्यसभा में करीब 10 घंटे चली चर्चा के बाद इस विधेयक के पक्ष में 165 वोट पड़े और विरोध में सिर्फ 7 वोट डाले गए. इस अहम बिल के दौरान चर्चा में राज्यसभा के कुल 39 सदस्यों ने हिस्सा लिया. इससे पहले लोकसभा में मंगलवार को 323 वोटों के साथ यह विधेयक पारित हुआ था और विपक्ष में 3 वोट पड़े थे. अब इस विधेयक को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के पास भेजा जाएगा और मुहर के बाद यह कानून का रूप ले लेगा. इस कानून के लागू हो जाने के बाद सुप्रीम कोर्ट द्वारा तय की 50 फीसदी आरक्षण की सीमा पार कर 60 फीसदी हो जाएगी. सरकार ने इस विधेयक को पारित कराने के लिए राज्यसभा की कार्यवाही को एक दिन के लिए बढ़ाया था. अब राष्‍ट्रपति से मंजूरी के बाद यह लागू हो जाएगा. 

Advertisment

राज्यसभा में विधेयक के पारित होने के बाद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ट्वीट कर खुशी जाहिर करते हुए कहा कि संविधान (124वां संशोधन) विधेयक, 2019 पारित होने पर हम अपने संविधान निर्माताओं और महान स्वतंत्रता सेनानियों को श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं. जिन्होंने एक मजबूत और समावेशी भारत की कल्पना की थी.

इससे पहले उच्च सदन में भारी हंगामे के बीच केंद्रीय सामाजिक न्याय मंत्री थावरचंद गहलोत ने इसे राज्यसभा में पेश किया. विधेयक को पेश करते हुए गहलोत ने कहा कि संविधान मौजूदा समय में आर्थिक आधार पर आरक्षण की अनुमति नहीं देता है और इसके कारण सामान्य श्रेणी के गरीब लोग अवसरों से चूक जाते हैं. उन्होंने कहा, 'सामान्य वर्ग के गरीबों द्वारा शिकायत की गई थी कि वे सरकारी लाभों का फायदा नहीं उठा पा रहे हैं. यह निर्णय बहुत सोच-विचार के बाद लिया गया है. यह विधेयक गरीबों के उत्थान में मददगार साबित होगा.'

विधेयक पेश किए जाने के बाद द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (डीएमके) सांसद एम कनिमोझी, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीआई) के डी राजा और राष्ट्रीय जनता दल (राजेडी) के मनोज कुमार झा ने इसका विरोध किया और प्रवर समिति (सेलेक्ट कमेटी) के पास भेजे जाने की मांग की.

कनिमोझी द्वारा विधेयक को सेलेक्ट कमेटी में भेजे जाने की मांग का प्रस्ताव सदन में गिर गया और इसके पक्ष में सिर्फ 18 वोट गिरे. वहीं इसके विरोध में कुल 155 वोट पड़े. वहीं अधिकतर पार्टियों ने इस बिल पर असहमति जताने और सरकार को घेरने के बाद भी समर्थन दिया.

कांग्रेस सांसद आनंद शर्मा ने कहा कि उनकी पार्टी आरक्षण विधेयक का विरोध नहीं कर रही है, लेकिन सरकार को साढ़े चार साल बाद विधेयक को पेश करने के पीछे का कारण बताना चाहिए. उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार वोट हासिल करने के लिए ऐसा कर रही है. उन्होंने सरकार को स्पष्ट करने को कहा कि अगर 10 फीसदी आरक्षण लागू होता है तो किन लोगों को फायदा होगा?

केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने विधेयक को लेकर कहा, इस संविधान में सकारात्मक कदम उठाने का पहला विचार प्रस्तावना आता है. जिसमें लिखा गया है कि सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक तौर पर न्याय दी जानी चाहिए. उन्होंने कहा कि 50 फीसदी की सीमा संविधान में नहीं है, यह सुप्रीम कोर्ट के फैसले में है. इस बिल से हम संविधान की दो अनुच्छेद में बदलाव की बात कर रहे हैं. इससे एससी/एसटी और ओबीसी के आरक्षण में कोई छेड़छाड़ नहीं हो रही है.

और पढ़ें : आलोक वर्मा ने सभी CBI अधिकारियों को बुलाया वापस, एम नागेश्वर राव ने किया था तबादला

प्रसाद ने कहा, 'क्या ये सच्चाई नहीं है कि अगड़े वर्ग (राजपूत और ब्राह्मण) के लोग मजदूर नहीं है? गांव में जाइए, अगड़े वर्ग के लोग रिक्शा चलाते हुए मिलेंगे. समर्थन करना है तो खुल कर कीजिए, 'लेकिन' मत लगाइए. आज लोकसभा और राज्यसभा में इतिहास बन रहा है. ये बदलाव का दिन है.'

संविधान संशोधन बिल को 'अभी क्यों लाए' सवाल पर जवाब देते हुए प्रसाद ने कहा- क्रिकेट में स्लॉग ओवर (सीमित ओवरों के मैच में अंतिम ओवर्स) में छक्का लगता है, अगर आपको इसी पर परेशानी है तो ये पहला छक्का नहीं है, अभी और छक्के लगेंगे.

आरजेडी सांसद मनोज झा ने कहा कि हमारी पार्टी इस बिल का खुलकर विरोध करती है. बहस के दौरान राजद सांसद ने कहा कि हम बाबा साहब के मुरीद लोग हैं, आरक्षण आमदनी बढ़ाओ योजना नहीं है. आरक्षण प्रतिनिधित्व का मामला है, सरकार ने इसे मनरेगा बना दिया है. राज्यसभा में एक झुनझुना लहराते हुए कहा कि यह झुनझुना हिलता भी है और बजता भी है. लेकिन सरकार आरक्षण के नाम पर जो झुनझुना दिखा रही है वह केवल हिलता है, बजता नहीं है.

और पढ़ें : मोदी जी बैक फुट पर खेलते हैं, देश की जनता चुनाव में फ्रंटफुट पर खेलेगी: राहुल गांधी

मनोज झा ने कहा, 'अनुच्छेद-15 और अनुच्छेद-16 जब बने थे, तो कई दिनों तक उस पर चर्चा हुई थी. आज हमने चंद घंटे में यह तय कर दिया कि इसकी आत्मा को मार दो, इसका कत्ल कर दो. ऐसा नहीं होता है. यह मध्य रात्रि की डकैती है और यह संविधान के मूल ढांचे के साथ छेड़छाड़ हो रही है. हम तो इनकी नीति और नीयत दोनों के खिलाफ हैं. हम सीधे तौर पर कहते हैं कि आरक्षण खत्म कर देंगे, लेकिन पहले जाति को तो खत्म करो.'

कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया (सीपीआई) सांसद डी राजा ने कहा कि संविधान में सामाजिक पिछड़ेपन का प्रावधान है, कहीं भी आर्थिक आधार पर आरक्षण का प्रावधान कहीं नहीं है. आर्थिक आधार पर आरक्षण संविधान सभा की चर्चा के खिलाफ है. उन्होंने कहा कि सरकार हर बिजनेस हाउस का समर्थन करती है इसलिए निजी क्षेत्रों में आरक्षण का बिल लेकर आएं, हम उसका समर्थन करेंगे.

और पढ़ें : राजनाथ सिंह ने कहा, नागरिकता संशोधन विधेयक सिर्फ पूर्वोत्तर तक सीमित नहीं

कांग्रेस सांसद कपिल सिब्बल ने सदन में कहा, मंडल कमीशन ने आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग को 10 फीसदी आरक्षण देने की बात कही थी लेकिन सुप्रीम कोर्ट के द्वारा असंवैधानिक घोषित हो गया. अगर 9 जज की बेंच इसे असंवैधानिक बता सकती है तो आप संविधान में कैसे संशोधन कर सकते हैं? उन्होंने कहा कि आरक्षण नहीं, नौकरियां चाहिए. इस सरकार के कार्यकाल में जितनी नौकरियां पैदा हुई, उससे कहीं ज्यादा नौकरियां चली गई. अगर 8 लाख कमाने वाला भी गरीब है तो इनकम टैक्स भी माफ हो.

आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह ने कहा, सरकार सवर्ण गरीबों को धोखा दे रही है. भारत की राजधानी दिल्ली है लेकिन बीजेपी की राजधानी कहां है यह पूरा देश जानता है और इस बिल का दस्तावेज वहीं से आया है. दलितों के आरक्षण को खत्म करने की सोच के साथ यह बिल आया है. उस (बीजेपी) राजधानी के प्रमुख बिहार में बोल चुके हैं कि आरक्षण को खत्म होना चाहिए.

और पढ़ें : फसल बीमा को लेकर बीजेपी पर भड़की शिवसेना, उद्धव ठाकरे बोले- भाड़ में जाए गठबंधन

इस संविधान  (124वां संशोधन) विधेयक के पारित होने के साथ ही राज्यसभा भी अनिश्चित काल के लिए स्थगित कर दिया. शीतकालीन सत्र के दौरान राज्यसभा में चार विधेयक पारित हुए. राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश नारायण सिंह ने कहा कि 11 दिसंबर से शुरू हुए शीतकालीन सत्र के दौरान सदन की 18 बैठकें हुईं और 27 घंटे परिचर्चा चली, जबकि 78 घंटे का सदन का वक्त लगातार हंगामे के कारण बेकार गया. उन्होंने कहा कि यह संसद के उच्च सदन के कामकाज का दुखद प्रतिबिंब है.

Source : News Nation Bureau

economic weaker section राज्यसभा 10 percent reservation BJP सवर्ण आरक्षण general category reservation parliament upper caste reservation quota for upper caste PM modi rajya-sabha
      
Advertisment